पैनल ने कहा कि भारतीय दंड संहिता तहत गंभीर आरोपों में दोषी ठहराए गए या आरोपित किए गए और मकोका, यूएपीए(UAPA0)और पीएमएलए(PMLA) जैसे कड़े कानून प्रावधानों की सजा काट रहे कैदियों को रिहा या पैरोल नहीं दी जानी चाहिए। असल में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एए सैयद, राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय चांडे और महाराष्ट्र के महानिदेशक जेल एसएन पांडे को समिति में शामिल किया गया था।