नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के जिस तथ्यपूर्ण बयान को आधार बनाकर कांग्रेस हमलावर हो रही है, उसे ऐसा करने का अधिकार कतई नहीं है। क्योंकि यह वही कांग्रेस पार्टी है जिसने सत्ता हासिल करने के लिए न केवल उनके हत्यारोपियों के साथ हाथ मिला लिया था। बल्कि देश में दूरसंचार क्रांति के राजीव गांधी सपनों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने की इजाजत दे दी और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के दोषियों को अपनी तरफ से माफी भी दे दी।   

1.    राजीव गांधी के संदिग्ध हत्यारोपियों के साथ मिलकर सरकार चलाना 

जरा याद करिए 1997 का साल। जब राजीव गांधी की हत्या के बाद जैन आयोग की रिपोर्ट पेश की गई थी। उस वक्त कांग्रेस के समर्थन से इंद्र कुमार गुजरात प्रधानमंत्री थे। इस सरकार में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम यानी द्रमुक भी शामिल थी। 

जैन आयोग की रिपोर्ट में यह पाया गया था कि राजीव गांधी हत्याकांड में डीएमके नेताओं की भूमिका संदिग्ध थी। जिसके कारण कांग्रेस बिफर गई थी और उसने गुजराल से मांग की कि वह डीएमके को सरकार से बाहर करें वरना कांग्रेस अपना समर्थन वापस ले लेगी। 
गुजराल ने उनकी बात नहीं मानी। तब नाराज कांग्रेस ने सरकार गिरा दी। लेकिन आज वही डीएमके और कांग्रेस तमिलनाडु में गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं। 

जैन आयोग की रिपोर्ट में करुणानिधि के खिलाफ कई बातें कही गई थीं, जिसमें राजीव गांधी हत्याकांड के संबंध में उनकी संदिग्ध भूमिका बताई गई थी। 

जैन आयोग के अलावा भी राजीव गांधी हत्याकांड की जांच करने वाले अधिकारियों ने श्रीपेरम्बुदूर में राजीव गांधी के एक विस्फोट में मारे जाने में डीएमके की संदिग्ध भूमिका पाई थी। 

इस मामले में एक किताब ‘कांस्पिरेसी टू किल राजीव गांधी-फ्रॉम सीबीआई फाइल्स’ लिखने वाले सीबीआई अधिकारी के. रागोथमन ने लिखा है कि ‘21 मई 1991 को जिस दिन राजीव गांधी की हत्या हुई उसी दिन डीएमके नेता करूणानिधि की रैली भी श्रीपेरम्बुदूर में ही होने वाली थी। उसी दिन वहां करुणानिधि की भी रैली होने वाली थी। तब राजीव तो रैली के लिए वहां पहुंच गए थे। लेकिन करूणानिधि ने अपनी रैली रद्द कर दी’। जो कि उन्हें संदेह के घेरे में लाती है। 

लेकिन बाद में क्या हुआ। उसी डीएमके के साथ कांग्रेस ने मिलकर सरकार चलाई। साल 2004 में जब यूपीए की सरकार बनी तो उसमे डीएमके भी शामिल थी। दोनों पार्टियों का गठबंधन साल 2013 तक चलता रहा।

प्रश्न यह है कि डीएमके की अपनी विचारधारा है वह हमेशा से राजीव गांधी के हत्यारे संगठन एलटीटीई का खुलेआम समर्थन करती रही है। लेकिन कांग्रेस को कभी भी डीएमके साथ जुड़ने में कोई आपत्ति नहीं दिखी।

2.    राजीव गांधी के दूरसंचार क्रांति के सपनों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने दिया

यूपीए 1 और यूपीए 2 की सरकार के दौरान डीएमके के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। लेकिन कांग्रेस को न तो अपने नेता के संदिग्ध हत्यारोपियों से कोई आपत्ति दिखी और ना ही उनके भ्रष्टाचार से। 

यहां तक कि डीएमके के कोटे से  बने मंत्रियों ने टेलीकॉम सेक्टर में कई बड़े घोटाले किए। दुनिया जानती है कि भारत की संचार क्रांति का सपना सबसे पहले राजीव गांधी ने ही देखा था। जिसे तहस नहस करने में डीएमके के मंत्रियों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनसे अपना गठबंधन बरकरार रखा।

यानी कांग्रेस ने ना केवल राजीव गांधी जैसे अपने बड़े नेता के हत्यारोपियों से हाथ मिलाया, बल्कि दूरसंचार क्रांति के उनके सबसे बड़े सपने को पलीता लगाने वालों से भी किसी तरह का परहेज नहीं किया। 

3.    पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को अपनी तरफ से दे दी माफी

वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा राजीव गांधी के हत्यारों से मिलने के लिए जेल गए थे। जहां उन्होंने निजी तौर पर अपने पिता के हत्या के दोष में सजा काट रही नलिनी को माफी देने की घोषणा कर दी थी। 

नलिनी ने ही महिला बॉम्बर सुबा और धनु को कपड़े खरीदकर दिए थे, जो उन्होंने राजीव गांधी की हत्या के दिन पहने थे। वह इस पूरी साजिश में भागीदार थी। 

यही नहीं राहुल गांधी ने जर्मनी में अपने एक दौरे में बयान दिया था कि वह लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण की मौत से भी खुश नहीं थे। जबकि प्रभाकरण ही वह शख्स था, जिसने राजीव गांधी की हत्या की पूरी योजना तैयार की थी।

लेकिन राहुल गांधी पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारोपियों को माफी और सहानुभूति दर्शा रहे हैं।  लेकिन राजीव गांधी सिर्फ उनके पिता ही नहीं बल्कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री भी थे। ऐसे में राहुल प्रियंका को उन्हें निजी तौर पर माफी देने का क्या अधिकार है।

कांग्रेस लगातार राजीव गांधी की शहादत को कम करने का काम करती रही है। लेकिन आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजीव गांधी के बारे में तथ्यात्मक रुप से सही बयान दिया तो कांग्रेस पार्टी अपना विरोध जताने के लिए सारी हदें पार कर रही हैं। 

क्या कांग्रेस को कोई अधिकार है स्वर्गीय राजीव गांधी की दुखद हत्या पर किसी तरह का बयान देने का? क्योंकि उनकी पत्नी और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सत्ता की मलाई का स्वाद लेने के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या को एक तरह से भुला ही दिया।