भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में विकास के वादों और हिंदुत्व की मजबूत लहर पर चुनाव जीता। पार्टी के मतदाताओं ने हमेशा से उनसे यह अपेक्षा रखी कि वह हिंदू हितों के लिए काम करेंगे। लेकिन बहुत सारे आलोचकों के साथ-साथ कई आलेखों में यह दावा किया गया कि पार्टी के कट्टर समर्थक खुश नहीं हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि हिंदू हितों से जुड़े मुद्दों को "अनदेखा" किया गया है।

हालांकि, आंकड़ें कुछ अलग ही कहानी कहते हैं। निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि "कुछ भी नहीं" किया गया। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही एनडीए सरकार ने हिंदू समुदाय का समर्थन पक्का करने के उद्देश्य से कई कदम उठाए। गहरी नजर से देखा जाए तो सरकार ने कई नीतियों को रद्द भी किया जो पिछली सरकार द्वारा शुरु की गई थी। लेकिन हिंदुओं ने इन्हें अनुचित माना था।

मुगलों द्वारा सदियों से प्रताड़ित किए गए हिंदुओं ने 2014 में भाजपा को बड़ी ही आशा के साथ पुनर्जीवित किया था। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार निश्चित रूप से हिंदू समुदाय की इन उम्मीदों से वाकिफ थी। हम 2014 के बाद से सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों पर गहन विचार करेंगे

भारत से चुराकर बाहर ले जाई गईं मूर्तियां और कलाकृतियां अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से वापस लाई गईं:
 
कीमती कलाकृतियों और मूर्तियों के बाजार भाव से वाकिफ तस्करों का एक नेटवर्क हमारे देश में सक्रिय था और कई पुरानी मूर्तियां चोरी कर ली गई थीं, जो कि दुनिया भर के संग्रहालयों में पहुंच गई थी। इसकी विडंबना यह है कि हिंदुओं को अपने स्वयं के देवताओं को देखने के लिए प्रवेश शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। जो कि तस्करों या अंग्रेजों द्वारा चुराए गए थे। लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा "हिंदू विरासत" को वापस लाने के लिए एक केंद्रीकृत प्रयास किया गया था। कुछ सहयोगी हिंदू संगठनों की सहायता से कुछ महत्वपूर्ण सफलताएँ भी प्राप्त हुईं। जिसमें से एक बेशकीमती भगवान गणेश की कांस्य मूर्ति लगभग 1,000 वर्ष पुरानी थी, इसके अलावा चोल और मौर्य काल की मूर्तियां भी वापस लाई गईं। 

ये कदम हिंदू भावनाओं के पुनरुत्थान के लिए महत्वपूर्ण हैं। विदेशी नेताओं और प्रतिनिधियों के बीच श्रीमद् भगवद् गीता के प्रसार ने निश्चित तौर पर इस कार्य में मदद की है। 

प्राचीन हिंदू लोकाचार का पुनरुत्थान 

कस्बों और गांवों का नाम बदलना और मंदिरों को नष्ट करना मुस्लिम आक्रमणकारियों की बहुत स्पष्ट रणनीति थी। अभी तक हमारे देश में 704 शहर / कस्बे / गाँव हैं, जो कि मुगल आक्रमणकारियों के नाम हैं। अकबर के नाम पर 251 स्थान, बाबर के नाम पर 61 स्थान, हुमायूँ के नाम पर 11, जहाँगीर के बाद 141, औरंगज़ेब के बाद 177, शाहजहाँ के बाद 63 स्थान रखे गए हैं।

लगभग 1526 से 1707 ईस्वी के बीच इन शहरों का नाम बदलने के लिए की गई कार्रवाई का उद्देश्य मूल रुप से हिंदुओं के मानस से उनके ऐतिहासिक स्थलों का निशान मिटाना था। मौजूदा सरकार ने पुराने खोए हुए गौरव को पुनर्जीवित करने के इरादे से इलाहाबाद को प्रयागराज, अयोध्या के रूप में और मुगल सराय को पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर के रूप में फिर से प्रतिष्ठित किया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बहुत सारे शहर अभी तक इसकी जद में नहीं आए हैं। लेकिन यह निश्चित रूप से एक शानदार शुरुआत है।

दुनिया भर में योग का प्रसार करना

योग दुनिया को हिंदू धर्म का एक उपहार है। योग मन और शरीर, विचार और कार्रवाई, संयम और पूर्णता, मनुष्य और प्रकृति की एकता के लिए जरुरी है। यह स्वास्थ्य और समृद्धि के बीच सामंजस्य पैदा करन वाला एक समग्र दृष्टिकोण है। पीएम मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा से एक दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में अपनाने का आग्रह किया। 
यह नरम हिंदुत्व से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण कदम था। आज योग भारी संख्या में विदेशियों को हिंदू धर्म से जोड़ रहा है। इसके साथ यह तथ्य भी अहम है कि जापानी प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण विदेशी प्रतिनिधियों को गंगा आरती और मंदिरों के दर्शन कराए जा रहे हैं, जो कि दुनिया भर में हिंदू संस्कृति के प्रचार प्रसार की दिशा में एक बड़ा कदम है। 

गायों को संरक्षण 

हम हिंदुओं के लिए गाय सिर्फ एक पवित्र पवित्र पशु नहीं बल्कि "मां" के रूप में माना जाता है। गौ रक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है होने के साथ ही एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा भी है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने गोबर-धन योजना की शुरुआत की, जिसके तहत किसानों से गोबर और गोमूत्र एकत्रित किया जाता है जिससे बाद में कचरे से खाद, बायोगैस और जैव-सीएनजी का उत्पादन किया जा रहा है। नीती अयोग के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि इससे किसानों की आय में 10% की वृद्धि होगी। अप्रत्यक्ष रूप से इस कदम से यह भी सुनिश्चित होता है कि गायों की अच्छी देखभाल और देखभाल की जाए। जब किसान को आमदनी होने का भरोसा होता है तो वह अपने इसी “विश्वास” के कारण वह अपने पशुओं के लिए बेहतर सुविधाएँ प्रदान करता है। 
आगे जाकर सरकार ने देशभर में बूचड़खानों में मवेशियों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। एक किसान अपने पशुओं को तभी खुद से अलग करता है जब कम आय के कारण पशुधन का रखरखाव उनके लिए मुश्किल हो जाता है। 
एक और कदम उठाते हुए और भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने "अवैध" कत्लखानों को बंद करने के लिए एक आदेश पारित किया। जो कि राज्य में पशुपालन में लगे लाखों हिंदुओं की आजीविका की रक्षा करने के लिए गौ तस्करों पर प्रतिबंध लगा दिया। यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश में देश भर के सबसे ज्यादा  अवैध बूचड़खाने थे। 


हिंदू तीर्थयात्रा और बुनियादी ढांचे की जरूरतें पूरी करना

तीर्थयात्राएं करना हिंदू जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लेकिन क्या हम सभी हिंदुओं ने अपने विभिन्न महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर खराब सड़कों और बेकार जन सुविधाओं को नहीं झेला है। इसे देखते हुए सरकार ने “स्वदेश दर्शन योजना” को मंजूरी दी। जिसके तहत बौद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और हेरिटेज सर्किट जैसे 15 तरीके के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। 

स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय ने 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 5708.88 करोड़ रुपए की 70 परियोजनाओं को मंजूरी दी इनमें से 30 प्रमुख परियोजनाओं या उनके प्रमुख घटकों के इसी वर्ष पूरा होने की उम्मीद है। रामायण सर्किट के विकास के लिए शुरु में बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को चुना गया। वाराणसी में पुराने मंदिर, जो अतिक्रमण की वजह से छिप गए थे। उन्हें दोबारा सामने लाया जा रहा है और उन्हें वह सम्मान और पवित्रता दी जा रही है जिसके वे हकदार हैं। कई पवित्र तालाबों और झीलों की सफाई करके उन्हें पुनर्जीवित किया जा रहा है। वाराणसी में गंगा नदी के किनारे के घाट अब सुंदर स्वच्छ हैं और उनपर सरकार की ओर से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सिर्फ पुरानी धरोहरें ही नहीं, भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर की प्रतिमा बनाने की योजना बनाई गई है, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। 

चारधाम महामार्ग विकास परियोजना केंद्र सरकार की एक परियोजना है। उत्तराखंड में राजमार्गों की मौजूदा स्थिति में सुधार करने के लिए इस परियोजना के तहत सरकार सड़कों को सुधार रही है जो कि चारों 'धाम' यानी गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ती हैं। 12,000 करोड़ का यह ड्रीम प्रोजेक्ट उत्तराखंड के 1100 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित इन सभी तीर्थस्थानों को सभी मौसमों में जोड़े रखेगा। परियोजना 7 भागों में विभाजित है और इसके जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है।

इसके अलावा, रेलवे ने चार धाम रेल संपर्क परियोजना के लिए मई 2017 में अपना अंतिम सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। इसलिए हिंदू तीर्थयात्री इन स्थानों पर न केवल सड़कों, बल्कि रेलवे के माध्यम से भी जा सकते हैं। रेलवे ने ‘रामायण एक्सप्रेस’ के नाम से एक विशेष पर्यटक ट्रेन शुरू की है, जो भारत और श्रीलंका में फैले 16 दिनों के टूर पैकेज में भगवान राम के जीवन से जुड़े 4 महत्वपूर्ण स्थलों की यात्रा कराएगी। 

नवरात्रि के समय वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए विशेष नई ट्रेनें शुरु की गई हैं और नाथू ला पास मार्ग को खोलने के कारण कैलाश-मानसरोवर जैसे महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थलों तक पहुंच आसान हो गई है। जिसका श्रेय केवल इसी सरकार को जाता है।  एक कदम और आगे बढ़ाते हुए और सरकार ने विदेशी सरकारों के साथ मिलकर  सद्भावना का निर्माण किया है, जिसकी वजह से नेपाल के जनकपुर, सीता की जन्मस्थली और भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या के बीच एक सीधी बस सेवा शुरू की गई है। अपने एक भाषण में खुद पीएम ने इस बारे में जिक्र किया। खबरों के मुताबिक इस रुट पर तीर्थयात्रियों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने सीता की जन्मस्थली को विकसित करने के लिए 1 अरब रुपये के अनुदान की घोषणा भी की है।

प्रसाद योजना के तहत, देश में विकास के लिए 41 धार्मिक स्थलों की पहचान की गई है। इन 41 धार्मिक स्थलों के विकास के लिए 727.16 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। 


हिंदू हितों की रक्षा के लिए कड़ा रुख अपनाना

एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए गृह मंत्रालय के माध्यम से सरकार ने सबरीमाला मंदिर में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था तैयार की, जहां महिलाओं के प्रवेश से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर के बहुत सारे हिंदू परेशान थे। केरल राज्य की भाजपा इकाई और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने केरल की वामपंथी सरकार पर सबरीमाला मंदिर और "हिंदू परंपराओं" को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा माकपा सरकार को "हिंदू विश्वास के साथ खेलने" की अनुमति नहीं देगी, जिसके कारण हिंदुओं और तीर्थयात्रियों की भावनाएं आहत हों। देश भर के हिंदुओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप के रूप में लिया है। 


हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा पर विशेष ध्यान देना 

हम हिंदुओं के लिए गंगा नदी पवित्र हैं। हम मां गंगा के मूर्त स्वरुप की पूजा करते हैं। हम मानते हैं कि गंगा नदी में स्नान करने से पापों का निवारण होता है और मोक्ष (जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) मिलती है। हिंदू संस्कृति में गंगा नदी का स्थान बेहद ऊंचा है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) शुरू किया गया। जिसके तहत गंगा की सफाई और कायाकल्प के लिए अनुमानित रुप से 17484.97 करोड़ की 105 परियोजनाएं शुरु की गईं। जिसमें गंगा बेसिन से जुड़े राज्यों में बुनियादी सीवरेज ढांचे के विकास की योजना भी शामिल है। 

इनमें से, 25 सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप निर्माण / पुनर्वास के माध्यम से लगभग 421 एमएलडी अतिरिक्त एसटीपी क्षमता का निर्माण किया गया है और लगभग 2050 किलोमीटर नई सीवर लाइनें बिछाई गई हैं। बाकी परियोजनाएँ कार्य पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं। 

2017 में गंगाजल की गुणवत्ता जांचने के लिए कराए गए सर्वेक्षण में 2016 की तुलना में पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार पाया गया। पानी में घुल्य ऑक्सीजन की मात्रा 33 स्थानों पर सुधरती हुई दिख रही है। जो कि स्टैण्डर्ड प्रति 5 मिलीग्राम प्रति लीटर की गुणवत्ता से ऊपर है। 26 स्थानों पर जैविक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर कम हो रहा है जो कि अहम सुधार है। इसके अलावा 30 स्थानों पर कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की गिनती कम हुई है। 

नितिन गडकरी ने दावा किया है कि मार्च 2019 तक 70 से 80 प्रतिशत गंगा स्वच्छ हो जाएगी। उन्होंने आगे दोहराया कि "यह एक सामान्य धारणा है कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं किया जा रहा है लेकिन यह सही नहीं है।" मैं विशेष रूप से इस तथ्य को उजागर करना चाहता हूं कि कि सिर्फ गंगा ही नहीं बल्कि  यमुना नदी जैसे अन्य पवित्र और महत्वपूर्ण जल निकायों की सफाई भी हमारी प्राथमिकता में है। 
वास्तविक कार्य तो भूल जाइए, क्या किसी भी दूसरे राजनीतिक दल ने पवित्र नदियों की सफाई का वादा भी किया है। 

धर्मांतरण में लगा ईसाई माफिया, जो गरीब हिंदुओं को लुभाने के लिए धनबल का उपयोग करता है, उससे जूझने के लिए सरकार ने लगभग 20,000 एनजीओ के लाइसेंस रद्द कर दिए। यह एनजीओ विदेशी एवेंजेलिकल संगठनों से भारी मात्रा धन प्राप्त करते थे और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय थे। इन संगठनों के काम करने का तरीका गरीबों की पहचान करना और उनकी आर्थिक समस्याओं का समाधान धर्मांतरण के जरिए कराना था। 
इस संदर्भ में, मैं गरीबों को घर दिलाने वाली आवास योजना, आयुष्मान भारत, एलईडी बल्ब योजना, गैस सिलेंडर योजना को भी हिंदुत्ववादी मानता हूं क्योंकि यह निश्चित रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े हिंदुओं के जीवन स्तर को सुधारता है, जिन्हें ईसाई धर्मांतरण माफिया द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। यहां तक कि समोसे जैसी छोटी छोटी चीज़ों का लालच देकर भी यह माफिया धर्मांतरण कराता रहा है।

इसी सिलसिले की अगली कड़ी में हज सब्सिडी को हटाना, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति को समाप्त करना तथा अवैध रोहिंग्याओं और बांग्लादेशी नागरिकों के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के माध्यम से बाहर निकालना सरकार की इसी आक्रामक नीति का हिस्सा है। सरकार के यह सभी कदम हिंदू हितों की रक्षा के लिए हैं। 

लेकिन क्या सरकार के यह सभी कदम पर्याप्त हैं? बेशक नहीं।

क्या यह सभी कदम सही दिशा में उठाए जा रहे हैं? जैसा कि मैंने पहले कहा था कि आंकड़े इस सवाल का जवाब हां में देते हैं। 

लेकिन बहुत कुछ और भी किया जा सकता है। क्योंकि जैसा कि कहावत भी है कि  रोम एक दिन में नहीं बनाया गया था और बहुत कुछ किया जा सकता है और आगे भी किया जाएगा।