मायनेशन के एडिटर-इन-चीफ ने भारतीय राजनीती के एक सबसे विद्वत और परिष्कृत भारतीय राजनेता को ओड़िसा में हुई एक घटना के संबंध खुला पत्र लिखा है। उस नेता ने, जो राज्य का मुख्यमंत्री भी है, उन्होंने एक पत्रकार के मजाक पर उसे यातनाएं दीं। इस घटना की लोगों ने जमकर आलोचना की है।

प्रिय श्री नवीन पटनायक,
भारतीय राजनीति में आपका विशेष स्थान रहा है। आप भारतीय राजनीति में परम परिष्कृत की परिभाषा थे। आप भाजपा के अशिष्टों के बीच उत्तम शिष्ट व्यक्ति थे। आप कला प्रेमी और उसके संरक्षक थे। आप एक उत्कृष्ट पाठक और लेखक थे। एक सत्ताधारी और विवेकी पार्टी के अध्यक्ष और मूल्यों के रक्षक थे।

आपकी मिक जागर और जैकलिन केनेडी के साथ मुलाकातें हुई हैं। 1960 के दशक में ओबेरॉय होटल में रहा आपका बुटिक ग्राहकों के बीच खासा लोकप्रिय रहा। आपकी बहन गीता मेहता देश के बेहतरीन लेखकों में से एक हैं और आपने स्वयं कम से कम तीन जानी-मानी किताबें लिखी हैं। आपने डीसीवर नामक मर्चेंट-आइवरी फिल्म में भी काम किया, जिसमें पिएर्स ब्रोसनन और सईद जाफरी सह-अभिनेता के रूप में थे।

आपने कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए इंडियन नेशनल ट्रस्ट (आईएनटीएचक) की स्थापना की , जो की बहुत संजीदा और अद्भुत कार्य रहा है।

श्री पटनायक, आप भारत के सबसे सुसंस्कृत, खुले और संवेदनशील विरासत के राजनेता हैं। इसके बावजूद अपने अपनी इस प्रतिष्ठा को राजनीति के दलदल में खींचकर अपमानित किया है। यदि आप अभिजीत अय्यर-मित्रा का एक मूर्ख की तरह व्यावहारिक रुप से मजाक उड़ाने की जगह सार्वजनिक रूप से या निजी तौर पर एक बड़े व्यक्ति की तरह समझाते या अपना समझ कर निजी तौर पर दंडित भी करते, तो आप ओडिशा के स्वाभिमान को और बेहतर प्रदर्शित कर सकते थे। इस घटना के बाद भले ही आपने राजनीतिक ध्यान अपनी ओर खींचा हो, लेकिन आपने अपने उसे प्रतिष्ठा को खो दिया, जिसे आपने वर्षों की मेहनत के बाद तैयार किया था।

अपने अपनी पार्टी के सदस्यों और प्रवक्ताओं के साथ भारत के सबसे कमजोर एलजीबीटीक्यू समुदायों, जो देश में अल्पसंख्यक भी हैं, के समर्थन में आईपीसी की धारा 377 को हटाने का समर्थन किया। इसके बाद भी आपने अन्य नेताओं की तरह अपनी जीत पर कोई मुद्दा नहीं उठाया। इसपर श्रेय भी नहीं लिया। जब आप इतने कमजोर लोगों के साथ हैं, तो फिर भी, क्या आपको अभिजीत पर उठाये अपने कदम पर कोई पछतावा नहीं हुआ?  वह खुले तौर पर एक समलैंगिक है और कमज़ोर है। राज्य पुलिस जानती है कि वह खुद को बचाने के लिए सशक्त नहीं है। उसके पास किसी तरह की कोई राजनैतिक ताकत नहीं है।

यह बात व्यावहारिक है कि उचित नीति विश्लेषक और लेखक होने के नाते आप बीजेपी से न ही मित्रता रख सकते हैं और न ही उसकी प्रसंशा कर सकते हैं। आपकी पार्टी ही सबसे पहले इस घटना से पीछे हट जाएगी और अभिजीत से उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी ले ली जाएगी, जो उस सामान्य और कमजोर व्यक्ति का एक मात्र विकल्प है। क्या यह शक्ति और उसके विस्तार की लड़ाई है, जिसमें कभी भी किसी कमजोर के लिये कोई जगह और समर्थन नहीं है?

लेकिन फिर भी आपसे बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है। 2010 में आपको अपनी पार्टी बीजेडी की 14वीं वर्षगांठ में तिरंगे का अपमान करने के आरोप का सामना करना पड़ा था। आपके अच्छे स्वाभाव और आचरण के कारण कोई भी व्यक्ति आपसे उम्मीद रख सकता है कि बहुत खराब स्थिति में भी आपमें कुछ सहानुभूति मौजूद रहती है।

हमारी राजनीतिक और कानूनी व्यवस्था, विशेष रूप से चर्च के प्रति, ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के प्रति बहुत अधिक सहानुभूति और मानव दयालुता दर्शाते हुए उसपर एक नन के साथ बलात्कार करने का आरोप होने के बावजूद उस रेपिस्ट को कुछ ही हफ्तों के भीतर जमानत देकर छोड़ दिया था। जबकि अभिजीत को तो एक रेपिस्ट की तरह पिछले 40 दिनों से प्रताड़ित किया जा रहा है। वो भी सिर्फ एक हास्यास्पद बात करहने के आरोप में। क्या यह जायज है।

इससे आपने न केवल खुद को अपमानित किया है, बल्कि आपने ओडिसा वासियों के सांस्कृतिक गौरव के कोणार्क मंदिर की स्वतंत्रता और सहिष्णुता की भावना को भी अपमानित किया है। दीवारों पर प्यार करने वाले पुरुष और महिलायें, अमर वास्तुकार जिन्होंने उन्हें बनाया और ओडिशा के पत्थर जो बरसों से स्थिर खड़े हुए हैं, आप पर आज गर्व नहीं कर रहे हैं।

और अब अंत में एक बड़ी और  निष्पक्ष घोषणा हुई कि ओडिशा सरकार ने पत्रकार अभिजीत अय्यर-मित्रा को क्षमा कर दिया है।

श्रीमान पटनायक शायद आप किसी दिन आईने से सामने खड़े होकर खुद को क्षमा कर पाएंगे। आपने अपनी गरिमा को नीचे गिरा दिया है।

आपका,

अभिजीत मजूमदार
मुख्य संपादक
MyNation