जादू एक ऐसी शक्ति है जिसका वर्णन विज्ञान नहीं कर सकता। मीडिया जब मोदी के जादू की संज्ञा का सहारा लेता है तो वह या तो इस जादू का वर्णन करने की मेहनत से कतरा रहा है या फिर यह उसकी क्षमता से परे है। आम तौर पर यह जादू कारगर योजना और कड़ी मेहमत का नतीजा है।

ऐसे ही एक जादू की परत धीरे-धीरे खुल रही है। यह एक अविश्वस्नीय राजनीतिक उलटफेर है। आज से पहले इसकी कल्पना नहीं की गई लिहाजा अधिकांश के लिए यह जादू अदृश्य है।

मुसलमानों की एक छोटी लेकिन अहम संख्या ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई भाजपा का रुख करना शुरू किया है। यह बदलाव उस बच्चे के व्यवहार की तरह है जो किसी अंजान व्यक्ति पर भरोसा करना शुरू कर रहा है।

इंडिया टुडे- एक्सिस 2019 एग्जिट पोल नतीजों ने दिखाया कि चार राज्यों में 14 फीसदी मुसलमानों ने भाजपा के लिए वोट किया। हालांकि किसी सर्वे अथवा एग्जिट पोल में गलती की गुंजाइश बहुत ज्यादा रहती है। हालांकि मुसलमानों का भाजपा के प्रति अविश्वास और खासतौर पर 2002 के गुजरात दंगों के बाद मोदी  पर उपजे अविश्वास के चलते यह मानना कठिन हो जाता है कि मध्यप्रदेश जैसे राज्य में प्रति सात मुसलमान वोटरों में एक ने भाजपा के लिए वोट किया।

नई आवाज

लेकिन सर्वे मार्ग प्रशस्त करते हैं और व्यापक प्रवृति की ओर इशारा करते हैं।

इस चुनाव में प्रचार की रिपोर्टिंग के दौरान कुछ मुसलमान युवाओं से मुलाकात हुई जिनका दावा था कि ‘मोदी काम तो अच्छा कर रहा है लेकिन उनको योगी जैसे लोगों को बोलना चाहिए कि सोच समझ के बात करें।

‘चुनाव नतीजों के दिन एक टीवी चैनल के ऑफिस से मुझे मेरे ऑफिस छोड़ते समय एक युवा मुसलमान टैक्सी ड्राइवर ने कहा, ‘मोदी सबके लिए काम कर रहा है। लेकिन हम लोगों में जो थोड़ा पढ़ा लिखा है वह बाकी लोगों को मोदी के बारे में डराते हैं और जो पढ़े लिखे नहीं हैं वह डर जाते हैं।’

कुछ महीनों पहले दुबई में लखनऊ का निवासी एक मुसलमान टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि घर से आ रही खबरों से वह बेहद खुश है। ‘दुबई आज दुबई बना है क्योंकि यहां लोगों को कानून का डर है। मुझे घरवालों ने बताया कि मोदी के आने से आज भारत में भी ऐसा हो रहा है।’ 

महिलाएं चुपचाप ला रहीं बदलाव?

मोदी की कई योजनाओं के जैसे डायरेक्ट बेनेफिट, उज्जवला इत्यादि के  लगभग 22 करोड़ लाभार्थियों में अधिकांश मुसलमान हैं जिसमें खासतौर पर महिलाएं शामिल हैं। शहरों की आरामदायक जीवन के बीच यह कल्पना भी नहीं की जा सकती है कि एक गरीब परिवार के लिए एलपीजी सिलेंडर क्या मायने रखता है जहां एक महिला चुल्हे के धुंए के बीच बैठकर पूरे परिवार के लिए दिन का खाना तैयार करती है।

हम कल्पना नहीं कर सकते हैं कि गांव के उस घर के लिए बिजली क्या मायने रखती है जहां अंधेरा होने के बाद तेल का दिया जलाया जाता था। न ही ज्यादातर मीडिया टिप्पणीकारों को इस बात का ऐहसास है कि गांवों में ज्यादातर महिलाएं दिन की प्रचंड गर्मी के बावजूद पानी पीने से कतराती हैं जिससे उन्हें खुले में शौंच के लिए न जाना पड़े और आज सरकार आज उनके लिए शौचालय का निर्माण करा रही है।

इस ट्वीट में दावा है कि मेरे घर में काम करने वाली बाई मुसलमान है। उसके परिवार और गांव में सभी ने भाजपा को वोट दिया है। उसका पूरा परिवार मुफ्त गैस सिलेंडर, गैस स्टोव, राशन, गर्भवती महिला की योजना इत्यादि का लाभान्वित है।

जो मुसलमानों के दमन की बात करते हैं उन्हें ऐहसास भी नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में लाई गई सामाजिक योजनाओं का लाभ समुदाय को मिला है।  

मोदी के कार्यकाल में सदियों पुराने सामाजिक और लिंगभेदी अन्यायों को पहली बार चुनौती मिल रही है। तत्काल तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया गया और बहु विवाह को अदालत में चुनौती दी गई। वे पार्टियां जो मुसलमान को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती रहीं उन्होंने कभी मुसलमान महिलाओं की सुध नहीं ली।

खासबात है कि मोदी के कार्यकाल में पहली बार 1,300 महिलाएं भारत से बिना मेहराम (बिना पुरुष के साथ) हज यात्रा की।

कई लोगों का मानना है कि 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनावों में बीजेपी को मिला मुसलमान महिलाओं का समर्थन उसके मैनडेट और अधिक सशक्त करने वाला था।
किसे नहीं चाहिए सफलता में हिस्सेदारी

कई वर्षों तक तथाकथित सेकुलर पार्टियों, असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम या केरल के यूनियन मुस्लिम लीग को समर्थन देकर मुसलमान वोटर हाशिए पर पहुंचा और वहां से मोदी की इस नई भाजपा के उदय का डर के साथ चश्मदीद बना।

डर का माहौल पैदा करने वाले तथाकथित उदारवादी और कट्टर समुदायिक नेता कई वर्षों से तर्क दे रहे जो पार्टी हिंदुओं का बात करती हो वह मुसलमानों की दुश्मन है और उनसे इस्लाम पर खतरा है।

लेकिन अब कुछ लोगों को ऐहसास होने लगा है कि मोदी भले हिंदुओं की बात करते हों और बिना किसी शर्म के अपनी भगवा पहचान को सामने करते हों, उनके कार्यकाल में न सिर्फ बिना किसी भेदभाव के सभी समुदायों को फायदा पहुंचाया गया बल्कि सउदी अरब से लेकर यूएई और ईरान तक के भारत के संबंध को पुख्ता किया गया।

मोदी सरकार में अल्पसंख्यकों के मंत्रालय ने चुपचाप अपना काम किया। पूरे देश में दस्तकारों के लिए हुनर हाट से लेकर मदरसों के शिक्षकों की ट्रेनिंग की जिससे प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत 308 जिलों में मुसलमान लड़कियों को पढ़ाया जा सके।

अब कई मुसलमानों ने सोचना शुरू कर दिया है कि वह क्यों हाशिए पर रहने के बजाए इस नए भारत के उदय में भागीदार बनें। तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने उन्हें लॉलीपॉप के अलावा कुछ नहीं दिया जिसके चलते आज वह गरीबी और अशिक्षा के दलदल में फंसे हैं।

मोदी ने शुरू किया नया अध्याय

मोदी की स्वाभाविक राजनीतिक समझ ने नया अध्याय शुरू किया है। नए सांसदों को दिए अपने भाषण में पीएम मोदी ने साफ और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात रखी। ‘जनता के नुमाइंदों के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसकी सेवा करने और किसकी नहीं। हम उनकी सेवा करेंगे जिन्हें हमपर भरोसा है और उनकी सेवा करेंगे जो भविष्य में भरोसा कर सकते हैं। इसी में महान शख्ति निहित है।’

मुसलमानों की निष्ठा में यह छोटा सा बदलाव बीजेपी को मजबूत करती है। लेकिन यह बीजेपी की वोटबैंक नीति नहीं है क्योंकि यदि यह वोट बैंक की नीति हुई तो उसके कट्टर हिंदू समर्थक इसका विरोध करेंगे। इसीलिए बीजेपी से उम्मीद है कि राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा, कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 35 ए और 370 को हटाया जाएगा और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया जाएगा।