नई दिल्ली: श्रीलंका में धमाका करने वाला नेशनल तौहीद जमात वैश्विक आतंक के परिदृश्य पर एक उभरता आतंकी संगठन है। वह आतंक की दुनिया में इतना नया है कि वारदात के दिन मैंने साउथ एशियन एशियन टेररिज्म पोर्टल पर श्रीलंका के आंतकवादी संगठनों में उसका नाम देखने की कोशिश की तो वहां कई तमिल आतंकवादी संगठनों के नाम थे मगर किसी मुस्लिम आतंकवादी संगठन का नाम नहीं था।

तौहीद का आतंकवाद का कोई इतिहास नहीं रहा। ज्यादा से ज्यादा वह मुस्लिम कट्टरतावादी सांप्रदायिक संगठन कहा जा सकता है जो अपने बौद्ध विरोधी रुझान के लिए जाना जाता है। आंतकवाद के विशेषज्ञों को भी यकीन नहीं हो रहा कि उसके जैसा सामान्य सा संगठन इतने बड़े स्तर की आतंकवादी घटना को अंजाम कैसे दे सकता है।

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इसलिए माना जा रहा था कि ईस्टर पर हमलों के पीछे कोई अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन होने की संभावना है। अब तो यह साफ हो गया है कि इसके पीछे आईएस का हाथ था। 

तौहीद जमात का नाम पहली बार 2013 में सामने आया था। श्रीलंका के तत्कालीन रक्षा मंत्री ने इस संगठन को लेकर चिंता जताई थी। उस दौरान खुफिया एजेंसियों ने इस संगठन के आईएसआईएस से तार जुड़े होने की बात कही थी। आईएसआईएस से प्रभावित लोगों के इस संगठन से जुड़े होने की बात भी सामने आई थी। इन हमलों में इस संगठन पर सबसे ज्यादा शक होने का भी यही कारण है। 

कुछ वर्षों पहले श्रीलंका से कुछ लोग सीरिया के युद्ध में शामिल होने के लिए आईएस में शामिल हो गए थे। सीरिया में पैर उखड़ने के बाद लौटे ये लोग तौहीद जमात संगठन को धार देने में लगे  रहे। उन्होंने इस कट्टर इस्लामी संगठन को आत्मघाती हमले करनेवाला आतंकी संगठन बना दिया। श्रीलंका का आतंकी हमला सात आत्मघाती हमलावरों ने किया था।

आईएसआईएस की लड़ाई में भाग लेने उसके इस्लामी समाज का हिस्सा लेने दुनिया के कई देशों के हजारों की तादाद में मुसलमान  लड़के इराक गए थे । श्रीलंका से भी 2015 में कई लड़ाके सीरिया की लडाई में भाग लेने गए थे। जिसके खत्म होने के बाद लौट आए है। अब वे यहां आतंक फैलाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा मालदीव में आईएस नें कई संभावित आतंकवादी भर्ती किए हैं। वे भी इस अभियान में शामिल हुए हैं।

 श्रीलंका में धमाका करने वाले नेशनल तौहीद जमात के लड़ाकों के पास आतंकी गतिविधियों का कोई पूर्व अनुभव नहीं था।उन्हें प्रशिक्षण की जरूरत थी । यह भूमिका आईएसआईएस के भगोड़ों ने निभाई, उनके पास मध्यपूर्व में आतंक फैलाने का अनुभव था। उन्होंने ही इस पूरी योजना का खाका बनाकर दिया। 

इसके अलावा बताया जा रहा है कि हमला करने वाले दो आत्मघाती हमलावर आपस में सगे भाई थे।  सूत्र के अनुसार, कोलंबो के एक अमीर मसाला व्यापारी के बेटों ने खुद को उड़ा लिया। यह दोनों मेहमान राजधानी के शांगरी-ला और दालचीनी ग्रैंड होटलों में नाश्ते के लिए कतार में खड़े थे। यह दोनों भाई 27-29 साल की उम्र के थे। 
इन दोनों के नामों का खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि तीन होटलों और तीन गिरजाघरों पर भीषण हमलों में शामिल अन्य आतंकी हमलावरों से इन दोनों भाइयों का क्या संबंध था। दोनों भाई इस्लामी चरमपंथी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) के प्रमुख सदस्य थे।

तौहीद जमात का एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय है। यहां इसे तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में तौहीद जमात की स्थापना एक तमिल मुस्लिम अरिंगर कुझु ने की थी । जिसका मकसद है पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सच्चे इस्लाम को फैलाया जाए। दरअसल यही आईएस की विचारधारा है, जो सच्चे इस्लाम के नाम पर इस्लाम के कट्टरतावादी रुख का प्रसार करने के लिए हर हिंसक तरीका अपनाता है। 
दारुल उलूम देवबंद की तरह यह भी एक कट्टरपंथी सुन्नी इस्लामी समूह है जो बहावी विचारधारा से प्रभावित है। यह इस्लामिक समूह वैसे तो सभी गैर मुस्लिमों को अल्लाह का दुश्मन मानती है ।
तौहीद जमात भटके हुए ईसाइयों को अल्लाह के रास्ते पर लाने के लिए एक वेबसाइट भी चलाती है जो कि तमिल भाषा में है। तौहीद जमात जिसका मतलब होता है सिर्फ अल्लाह में विश्वास रखनेवाला समूह, वह इस समय भारत के अलावा प्रमुख रूप से श्रीलंका में सक्रिय है। 
तमिलनाडु के तौहीद जमात के मुस्लिम नेता जैनुलबुद्दीन उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के खिलाफ बयान दिया। 
जैनुलबुद्दीन ने सबके प्रिय एपीजे अब्दुल कलाम को मुसलमान मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बयान दिया कि उनका नाम अब्दुल कलाम हो सकता है, लेकिन वो एक मुस्लिम नहीं थे।  अब्दुल कलाम संतों की पूजा किया करते थे इसलिए वे मुसलमान नही थे।

इस संगठन का ये बयान तब आया है जब रामेश्वरम के कलाम मेमोरियल में डॉ. कलाम की मूर्ति के हाथ में वीणा और बगल में गीता रखने को लेकर विवाद गरमाया हुआ था ! 

जमात ने बाबा रामदेव के पतंजलि प्रोडक्ट्स के खिलाफ फतवा जारी किया था। तमिलनाडु तौहीद जमात की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि मुस्लिमों की मान्यता के मुताबिक, गाय का मूत्र हराम है, जिसका प्रयोग नहीं करना चाहिए, इसलिए यह फतवा जारी किया गया है कि पतंजलि के उत्पाद हराम है।

तमिलनाडु तौहीद जमात ने कहा कि यह फतवा इसलिए जारी किया गया है कि उत्पाद के तत्वों के बारे में जागरूकता की कमी के कारण मुस्लिम रोजाना इसका उपयोग करते हैं। इस तरह के उत्पाद मुस्लिम उपयोग नहीं करें। जमात चाहती थी कि मुसलमान पतंजलि के बजाय मुस्लिम उत्पादकों हमदर्द और शाहनाज हुसैन के उत्पादों का इस्तेमाल करे।
वैसे श्रीलंका में आतंकी हमले के बाद तमिलनाडु की  जमात ने बयान जारी कर कहा कि श्रीलंका की जमात से उनका कोई संबंध नहीं है।

श्रीलंका में ईस्टर पर हुए आतंकी हमले ने 30 साल तक चले गृहयुद्ध की याद ताजा कर दी। लंबे समय तक श्रीलंका में अमन का माहौल था। लेकिन ताजा आठ धमाकों ने श्रीलंका को ऐसा जख्म दिया कि देश में लोग असुरक्षित महसूस करने लगे। लगभग पांच सौ लोग मारे गए सैंकड़ो घायल हुए।
 दस दिन पहले ही विदेशी खुफिया एजेंसियों ने श्रीलंका को इस बावत चेतावनी दे दी थी कि नेशनल तौहीद जमात श्रीलंका में हमला करने वाला है। अब श्रीलंका की सरकार यह मान रही थी कि  स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात हमलों के पीछे था और यह जांच की जा रही थी कि क्या उनके पास अंतरराष्ट्रीय समर्थन था। मगर इस बीच आईएसआईएस ने हमलें की जिम्मेदारी ली है।इससे साबित होता है कि यह जमात और आईएसआईएस की मिलीजुली साजिश थी।

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस हमले में नाम भले ही नेशनल तौहीद ए जमात का आ रहा हो मगर यह हमला जितना संगठित था, हमले का डिजाइन जितना सोफेस्टिकेटेड था उससे लगता है कि उसमें किसी विदेशी या अंतर्राष्ट्रीय संगठन का हाथ है। यह सही साबित भी हो गया।

एनटीजी (नैशनल तौहीद जमात) श्रीलंका का एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। इसे तौहीद-ए-जमात के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन पर श्रीलंका में वहाबी विचारधारा को बढाने का आरोप है। इस संगठन का प्रभाव श्रीलंका के पूर्वी प्रांत में ज्यादा देखा गया है। यह संगठन देश के कई हिस्सों में महिलाओं के लिए बुर्का और मस्जिदों के निर्माण के साथ शरीया कानून को आगे बढ़ाने में लगा है।

आईएस ने श्रीलंका के जैसे हमले कई और भी देशों में किया है। इस मामले में आईएस की स्वीकारोक्ति से पहले भी ट्विटर पर ऐसी कुछ तस्वीरें शेयर की जा रही हैं और दावा किया जा रहा है कि श्रीलंका में हमला करने वालों में आईएसआईएस के ये तीन आतंकी भी शामिल थे. इनके नाम हैं- अबुलबरा, अबु उबैदा और अबुल मुख्तार। 
दावा ये भी है कि ये तस्वीरें आईएसआईएस के समर्थक ने आईएस के चैनल पर टेलीग्राम पर शेयर की थी। दरअसल श्रीलंका पर आतंकी हमला तौहीद जमात और आईएस की मिली जुली कोशिश लगती है 

 बौद्ध और मुस्लिम तनाव के बीच तौहीद जमात श्रीलंका में पिछले साल भी चर्चाओं में आया था, जब उस पर भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़ने का आरोप लगा था। ये संगठन 2014 में दुनिया के सामने आया जब इस संगठन के सेक्रेटरी अब्दुल रैजिक ने बौद्ध धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए। उसे 2016 में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

भारत के तमिलनाडु में भी इस संगठन की बड़ी सक्रियता मानी जाती है। नेशनल तौहीद जमात पर वहाबी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने का भी आरोप लगा है। हालांकि श्रीलंका के कुछ मुस्लिम इस संगठन का विरोध भी करते रहे हैं। 2014 में पीस लविंग मुस्लिम्स इन श्रीलंका (PLMMSL) ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार, श्रीलंका के राष्ट्रपति और अन्य कई राजनयिकों को पत्र तक लिखा। इस संगठन ने तर्क दिया था कि तौहीद जमात देश में असहिष्णुता फैलाने के साथ-साथ इस्लामिक आंदोलनों पर दबाव भी बना रहा है।


 
आईएसआईएस का इराक और सीरिया को मिलाकर बने इस्लामिक स्टेट पर कब्जा था। तब वह अपने लड़ाकों से हमले कराता था ,हमले के वीडियो भी जारी करता था। बाद में अपने सहयोगी संगठनों की मदद से भी संयुक्त अभियानों को अंजाम देने लगा । 2016 में बांग्लादेश में होटल पर हमला या फिलीपीन में हुआ हमला इसी श्रेणी में आता है। पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों की भरमार है वहां आईएस बहुत ताकतवर नहीं है वहां तो वह कुछ सहयोगी संगठनों की मदद से हमले करता है। कई बार उन्हें ठेका दे दिया जाता है।दुनिया के कई देशों में हुए लोन वुल्फ हमलों में तो उग्रवादी अपनी पहल पर हमले करते हैं बाद में आईएस संगठन इन हमलों की जिम्मेदारी  अपने उपर ले लेता है।
श्रीलंका में तौहीद जमात के आतंकियों को आईएस के भगोड़े आतंकियों ने ट्रेनिंग दी और वह लोन वुल्फ की तरह अनजान बनकर चर्चों पर टूट पड़े। 
 

     सतीश पेडणेकर

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक हैं)