नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की वायनाड से कांग्रेस की उम्मीदवारी घोषित होने के  कुछ ही घंटे बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि कि वह राज्य में सांप्रदायिक भाजपा को हराने के लिए मुस्लिम कट्टरतावादियों से हाथ मिला रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष को आड़े हाथों लेते हुए केरल माकपा के सचिव कोडीयेरी बालकृष्णन ने कहा वायनाड में यूडीएफ की कांग्रेस की सहयोगी मुस्लिम लीग का ज्यादा दबदबा है। 

लीग ने जमाते इस्लामी,पापुलर फ्रंट आफ इंडिया की  राजनीतिक शाखा सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के साथ समझौता किया हुआ है। इसलिए राहुल गांधी मुस्लिम लीग,जमात और सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी के मिले जुले उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। क्या कांग्रेस ने इस बात पर विचार किया है कि इन उग्रवादी संगठनों के साथ गठबंधन करना राष्ट्रीय स्तर पर उपयुक्त रहेगा या नहीं? 

भाजपा को हराने का यह तरीका सही नहीं है कि सांप्रदायिक मुस्लिम ताकतों के साथ हाथ मिलाया जाए। मगर एक बात जो माकपा के नेता कहना भूल गए कि राहुल गांधी की मदद करनेवाले इन संगठनों में कुछ खूनी राजनीति करनेवाले और धार्मिक कट्टरतावादी संगठन भी शामिल हैं।

साल 2009 में परिसीमन के बाद सियासी अस्तित्व में आई उत्तरी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से जब राहुल गांधी पर्चा भरने पहुँचे तो लोगों ने 'इस्लामिक झंडे' लहराकर उनका स्वागत किया। केरल की वायनाड लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। पर्चा भरने के बाद राहुल ने वहां एक रोड शो भी किया। हालांकि उनका यह रोड शो विवादों में घिर गया । कांग्रेस के रोड शो में केरल में पार्टी की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के झंडों से विवाद खड़ा कर दिया । आईयूएमएल का झंडा पाकिस्तान के झंडे जैसा है। 

इस बात का संज्ञान लेते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मुस्लिम लीग के झंडे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'वायनाड में राहुल गांधी ने केरल में अपने खास सहयोगी मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं से मना कर दिया कि अपनी पार्टी का हरा झंडा लेकर रैली में न आएं वरना यूपी का वोटर नाराज होगा। ये मुस्लिम लीग से समझौता कर चुनाव लड़े तो सेक्युलर ? हम 'सबका साथ सबका विकास' करें तो भी सांप्रदायिक ?' रुड़की में एक रैली में योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'देश के दुर्भाग्यपूर्ण बंटवारे की जिम्मेदार मुस्लिम लीग और कांग्रेस थी। आज राहुल गांधी वायनाड से नामांकन कर रहे हैं और वहां भी कांग्रेस का मुस्लिम लीग से गठबंधन है। ये देश को कहां ले जाएगा। ये चिंता का विषय है।' 

केरल की ऑल इंडिया इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग का गठन तो 10 मार्च 1948 को हुआ परन्तु इसका इतिहास और पहले से है जो अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के गठन के साथ शुरु होता है। जिसने पाकिस्तान बनवाने में सक्रिय भूमिका निभाई। 1948 में भारत में इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग का गठन हुआ जो मुसलमानों के हित के लिए काम करती आ रही है।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राहुल के मुस्लिम बहुल वायनाड से चुनाव लड़ने पर निशाना साध चुके हैं। पीएम मोदी ने एक रैली में राहुल का भी बिना नाम लिए कहा, 'कुछ लोग हिंदुओं से इतना घबरा गए हैं कि अल्पसंख्यक बहुल सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, ताकि उन्हें हिंदू बहुल सीट से हार ना झेलनी पड़े।'

इससे पहले, हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले सेना के पूर्व अधिकारी मेजर सुरेंद्र पूनिया ने राहुल के रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे दिखने को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, 'आज जिन्ना की आत्मा कब्र में भी खुश हो रही होगी। 1947 में भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग से बनी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग वायनाड में राहुल गांधी का समर्थन कर रही है। स्मृति ईरानी जी, अगर अमेठी में हुर्रियत होती तो उसका भी समर्थन ले लेते ये लोग।'

केरल में मुस्लिम लीग की सहयोगी पार्टी है जमाते इस्लामी। पिछले दिनो केंद्र सरकार ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए  जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया । इस संगठन पर देश विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में जुटे होने के साथ आतंकियों के साथ करीबी संबंध रखने का भी आरोप है। इस अलगाववादी संगठन को नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला भी बताया गया है। हाल ही में पुलवामा हमले के बाद जमात-ए-इस्लामी के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया गया था। यही जमाते इस्लामी भी मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किए हुए है।

 मुस्लिम लीग से गठबंधन करने वाला एक और मुस्लिम संगठन है दक्षिण भारत का  मुस्लिम कट्टरतावादी संगठन है पीएफआई। वास्तव में यह एक संगठन होने के साथ—साथ कई कट्टरवादी संगठनों का पोषण भी करता है। इसके पास नए—नए रास्तों से अकूत धन आता रहता है। 

इस्लामी गुट पीएफआई को कई संगठनों से आर्थिक मदद मिलती है। ऐसा माना जाता है कि पीएफआई के अखबार 'तेजस' को चलाने के लिए खाड़ी देशों से पैसा मिलता है। यह पैसा केरल के उन मुसलमान कामगारों से आता है, जो खाड़ी में काम करते हैं और पीएफआई के समर्थक हैं। 

उल्लेखनीय है कि खाड़ी के देशों में केरल के लाखों कामगार हैं। इनमें आधे से अधिक मुसलमान हैं। ये लोग वहां से हर वर्ष अरबों रुपए भारत भेजते हैं। कहा जाता है कि इस पैसे से ज्यादातर मुसलमान केरल में जमीन खरीदते हैं। कुछ इस्लामी संगठन भी छद्म नाम से जमीन खरीद रहे हैं। लोगों का मानना है कि यह सब पीएफआई की रणनीति के तहत हो रहा है। केरल के लोग इसे 'जमीन जिहाद' कहते हैं। इसी जिहाद का असर है कि केरल के कई जिलों में लगभग 70 प्रतिशत भूमि का स्वामित्व मुसलमानों के पास आ गया है। यह धन हवाला के जरिए आता है। 

यह भी कहा जाता है कि हवाला के जरिए मिली रकम को वर्ल्ड असेम्बली ऑफ मुस्लिम यूथ (डब्ल्यूएएमवाई) और मुस्लिम वर्ल्ड लीग (एमडब्ल्यूएल) के स्थानीय प्रतिनिधि मस्जिदों और स्थानीय मुस्लिम सामुदायिक संगठनों के बीच बांट लेते हैं। इन संगठनों का कहना है कि यह धन मजहबी प्रसार, राहत गतिविधियों को चलाने और शिक्षा के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन वास्तविकता बिल्कुल अलग है। लोगों का मानना है कि इस धन का इस्तेमाल मजहबी कट्टरता बढ़ाने और धर्मपरिवर्तन के लिए किया जाता है।

पिछले कुछ बरसों में मुस्लिम चरमपंथी गुट पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई.) और उसकी राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया (एस.डी.पी.आई.) का अच्छा-खासा विस्तार हुआ है। इसके पीछे सेकुलर दल हैं, जो उनकी गलत बात को भी मान लेते हैं। कांग्रेस और एस.डी.पी.आई. के बीच जिस तरह के संबंध बन रहे हैं, उनसे यही लगता है कि इन दोनों के बीच कोई समझौता हो चुका है। इसी संबंध को पुष्ट करने वाले कुछ प्रसंगों पर यहां चर्चा जरूरी है। मई, 2018 में संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एस.डी.पी.आई. ने कांग्रेस का नैतिक समर्थन किया था। 

सत्यसारणी ' इस्लामी गुट पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई) का एक सहयोगी संगठन है। इस पर जबरन धर्मांतरण से लेकर हवाला के जरिए विदेश से पैसा मंगाने जैसे अनेक आरोप हैं।  पी.एफ.आई. ने तमिलनाडु के थेनी और आवाडी में कई केंद्र स्थापित किए हैं। उसका कहना है कि इन केंद्रों के जरिए मजहब का प्रचार किया जाता है, जबकि पुलिस का आरोप है कि ये केंद्र मूल रूप से धर्मांतरण के अड्डे हैं। हिंदू लड़कियों का मुस्लिम लड़कों से निकाह करवाने और उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए तैयार करने में सत्यसारणी की बड़ी भूमिका रहती है। लव जिहाद की जांच के दौरान सत्यसारणी का नाम विशेषरूप से सामने आया है। समूह की महिला शाखा की प्रमुख जैनब ए़ एस़ पर आरोप है कि हिंदू लड़की अखिला अशोकन (हदिया) का निकाह शफीन जहां से कराने में उसकी प्रमुख भूमिका रही है। 

पीएफआई किस कदर कट्टर है इसकी मिसाल तब देकने को मिली जब 4 जुलाई, 2010 को केरल में प्रो़ टी.जोसेफ का हाथ काट लिया गया था। इसका आरोप पीएफआई पर लगा था। प्रो. जोसेफ पर एक प्रश्नपत्र तैयार करने के दौरान मुसलमानों की भावनाएं आहत करने वाला सवाल रखने का आरोप था। 

हालांकि पीएफआई हमेशा अपने पर लगे आरोपों को नकारता रहा। लेकिन कुछ दिन पहले इंडिया टुडे टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में पीएफआई के संस्थापक सदस्य और उसके मुखपत्र ‘तेजस’ के संपादक ने कैमरे के समक्ष स्वीकार किया था, ‘‘प्रो. जोसेफ के हाथ काटने की घटना को पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने इसलिए अंजाम दिया था, क्योंकि भारत का कानून प्रो. जोसेफ की गलती की सजा देने में असफल साबित हुआ था।’

आईएसआईएस से संबंधित सबसे बड़ा मामला भी दक्षिण भारत से ही सामने आया। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले केरल के करीब 23 युवा अचानक गायब हो गए थे। जांच से पता चला कि वे अफगानिस्तान में आईएसआईएस में शामिल हो गए हैं। इस संगठन की अफगान शाखा बड़ी संख्या में भारतीय जिहादियों की भर्ती कर रही है, और उसका लक्ष्य हमेशा दक्षिण, खासकर केरल रहा है। 

केरल पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि 10 जिहादी दक्षिण भारत से जाकर अफगानिस्तान में आईएसआईएस में शामिल हो गए हैं। उनमें से कई लोगों के पीएफआई से भी संबंध रहे हैं। केरल के छोटे से शहर पप्पीनिस्सेरी का रहने वाला शमीर अपने दो बेटों सलमान और सफवान के साथ आईएस में शामिल होने के उपरांत सीरिया में मारा जा चुका है। शमीर पीएफआई का सक्रिय सदस्य था। कहा जा रहा है कि उसी ने अब्दुल रजाक, अब्दुल मनाफ, मुहम्मद शाजिल और अब्दुल कयूम को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। ये सभी पीएफआई के सदस्य थे। 

पीएफआई से जुड़े अनेक युवा कुख्यात आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं। इसके बावजूद पी.एफ.आई. खुद को सामाजिक संस्था कहता है। 

दरअसल, केरल के चुनाव में वेटिकन सिटी के चर्च और खाड़ी के देशों का बहुत हस्तक्षेप रहता है। राहुल गांधी समझ चुके हैं कि विमान से वाया नेपाल उनकी मानसरोवर यात्रा और मंदिरों में जाकर माथा टेककर वह चुनाव नहीं जीत सकते। ऐसे में उन्हें हिंदू मतदाताओं की बजाय वेटिकन सिटी के सहयोग से वायनाड के इसाई मतदाताओं और अपनी तुष्टिकरण की नीति के आधार पर मुस्लिम मतदाताओं का ही भरोसा रह गया है।

वायनाड केरल एक ऐसा जिला है, जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से कम है। ये मुस्लिम लीग का एक बड़ा गढ़ माना जाता है। मुस्लिम लीग कांग्रेस की सहयोगी पार्टी है। वायनाड जिले में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जैसे पीएफआई, जमात-ए-इस्लामी से खुलकर मदद मिलने की उम्मीद है। यहां पर ये जिहादी संगठन हिंदू संस्थाओं के खिलाफ एक तरह की लड़ाई लड़ रहे हैं। वायनाड में नक्सलियों का भी काफी दबदबा है। 
राहुल गांधी को उम्मीद है कि वायनाड के मुसलमान, ईसाई और नक्सली मिलकर उन्हें वोट देंगे। जिससे वो यहां पर बहुत बड़ी जीत हासिल कर सकते हैं। 

जमाते इस्लामी,पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया की  राजनीतिक शाखा सोशल डैमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया जैसे संगठनों का चरित्र और इतिहास देखने पर तो यही लगता है कि वायनाड में राहुल गांधी सांप्रदायिक,मुस्लिम कट्टरतावादी अलगाववादी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार होंगे।