आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भर में बेनकाब हो चुके पाकिस्तान ने यू टर्न लिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया कि उनकी सरकार 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाना चाहती है क्योंकि यह पाकिस्तान के हित में है। 

इमरान खान ने 'वाशिंगटन पोस्ट को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'भारत में चुनाव आने वाले हैं। (भारत के) सत्ताधारी दल का रुख मुस्लिम विरोधी और पाकिस्तान विरोधी है। उन्होंने मेरी सभी पहल को खारिज कर दिया। उम्मीद करें कि चुनावों के खत्म होने के बाद हम फिर से भारत के साथ वार्ता शुरू कर पाएंगे।

उन्होंने कहा, ''मैंने अपनी सरकार से मामले की स्थिति के बारे में पता करने को कहा है क्योकि यह मामला हमारे हित में है यह आतंकवादी कृत्य था। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ले आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी 26 नवंबर 2008 को समुद्र के रास्ते भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में घुसे और अंधाधुंध गोलीबारी कर 166 लोगों की जान ले ली।

सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया था जबकि जिंदा पकड़े गए एक मात्र आतंकवादी अजमल कसाब को भारतीय अदालत से मृत्युदंड मिलने के बाद फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था।

भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत से तब तक इनकार किया था जब तक वह भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकी गतिविधियों को बंद नहीं करता।

भारत में अप्रैल या मई 2019 में आम चुनाव होने हैं। मुंबई आतंकी हमले का जिक्र करते हुए खान ने कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि ''मुंबई के हमलावरों के बारे में कुछ किया जाए।