भारतीय वायुसेना की ओर से जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट स्थित ट्रेनिंग कैंप पर वायुसेना के हवाई हमले से पाकिस्‍तान सहम गया है। वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान के पास अब आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिखने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इसलिए वह दुनिया को दिखाने के लिए आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा कर रहा है। इस कड़ी में पाकिस्तान ने जैश सरगना मसूद अजहर के दो भाइयों समेत 44 आतंकियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री शहरयार अफरीदी ने कहा कि मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ और हम्माद अजहर समेत 44 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि शहरयार ने दावा किया कि ये गिरफ्तारियां किसी दबाव में नहीं की गई हैं। 

पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के  40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसके बाद 26 फरवरी को भारत ने बालाकोट में हवाई हमला कर जैश के ठिकाने को तबाह कर दिया था।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शहरयार ने दावा किया कि पाकिस्तान सरकार का ये कार्रवाई किसी बाहरी दबाव में नहीं है। सभी प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ ऐसी ही कार्रवाई की गई है। जैश सरगना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ और हम्माद अजहर की गिरफ्तारी को भले ही पाकिस्तान भारत का दबाव मानने से इनकार करे, लेकिन ये जगजाहिर है कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों पर एक्शन लेने का चौतरफा दबाव पड़ रहा है। इसीलिए पाकिस्तान ने मसूद अजहर के दोनों भाइयों को गिरफ्तार किया है।

विश्व समुदाय भी चाहता है कि पाकिस्तान आतंकियों एवं उनके नेटवर्कों पर कार्रवाई करे। दरअसल, पाकिस्तान अगर आतंकी समूहों पर कार्रवाई नहीं करता है तो उसे टेरर फंडिंग की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फिलहाल अपनी 'ग्रे' सूची में रखा है। आतंकी फंडिंग रोकने के लिए यदि पाकिस्तान ने कारगर कदम नहीं उठाए तो संस्था उसे काली सूची में डाल सकती है। इस सूची में जाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और आर्थिक संकट में फंस जाएगी।