कच्चे तेल की गिरती कीमतों को थामने के लिए उत्पादन घटाया जाए या नहीं, इसे लेकर बड़े तेल उत्पादक देश अंतिम फैसला करने वाले हैं। हालांकि इससे पहले वह दुनिया के बड़े नेताओं की राय पर विचार करना चाहते हैं। सऊदी अरब के तेल मंत्री खलील अल फलीह मोदी की मुखरता के मुरीद हैं। उन्होंने कहा है कि कच्चे तेल के निर्यात में कटौती पर फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं के बयान पर उनका देश गंभीरता से विचार करेगा। खास बात यह है कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (ओपेक) की बैठक से इतर पत्रकारों ने केवल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर सवाल पूछा था लेकिन फलीह ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों पर भी गौर किया जाएगा। 

फलीह ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को गंभीरता से लेते हैं, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह इस मुद्दे पर मुखर रहे हैं। हमने जी20 सम्मेलन के दौरान ब्यूनस आयर्स में उनसे मुलाकात की थी। निजी तौर पर उन्होंने अपने मुद्दों को बहुत मजबूती के साथ रखा कि वह भारतीय उपभोक्ताओं का ख्याल रखते हैं। उसे लेकर बहुत गंभीर हैं। मैंने भारत में भी उन्हें तीन ऊर्जा कार्यक्रमों में देखा है, जहां वह काफी मुखर थे।'

यह भी पढ़ें - अमेरिकी बैन के बावजूद भारत का ईरान से समझौता, तेल का भुगतान रुपये में करेगा

                 पीएम मोदी 2018 में ट्विटर पर सबसे चर्चित हस्ती, #Sarkar और #MeToo अभियान भी शीर्ष पर

भारत तेल का उपयोग करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत अपनी ऊर्जा संबंधी 80 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। मोदी की अगुवाई में दुनिया भर के नेताओं ने ओपेक से कच्चे तेल की उचित एवं जवाबदेह कीमत तय करने को कहा था। 

इससे पहले, भारत ने ईरान और अमेरिका में तनातनी के बीच एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की है। भारत ने ईरान से कच्चे तेल के आयात के बदले में भुगतान रुपये में करने का करार किया है। भारतीय रिफाइनरी कंपनियां, नेशनल ईरानियन आयल कंपनी (एनआईओसी) के यूको बैंक खाते में रुपये में भुगतान करेंगी। सूत्रों ने कहा कि इसमें से आधी राशि ईरान को भारत द्वारा किए गए वस्तुओं के निर्यात के भुगतान के निपटान को रखी जाएगी। अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत भारत द्वारा ईरान को खाद्यान्न, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्यात किया जा सकता है। भारत को अमेरिका से यह छूट आयात घटाने तथा एस्क्रो भुगतान के बाद मिली है। इस 180 दिन की छूट के दौरान भारत प्रतिदिन ईरान से अधिकतम तीन लाख बैरल कच्चे तेल का आयात कर सकेगा। इस साल भारत का ईरान से कच्चे तेल का औसत आयात 5,60,000 बैरल प्रतिदिन रहा है। ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों के 5 नवंबर से लागू होने के बावजूद भारत ने इस्लामिक राष्ट्र के साथ समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका ने भारत और 7 अन्य देशों को ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंधों को लेकर कुछ समय की मोहलत दी है।