जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले को लेकर दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। अमेरिका ने इसे लेकर कड़ा रुख जताया है। भारत सरकार इस हमले को अंजाम देने वालों और आतंकियों के पनाहगाह पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने का मन बना चुकी है। इस बीच अमेरिका ने फिर दोहराया है कि वह भारत की हर संभावित कार्रवाई का समर्थन करता है। साथ ही दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी समूहों के लिए पनाहगाह बनना बंद करे।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से कहा कि उनका देश भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। बोल्टन ने डोभाल को फोन करके जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के लिए संवेदनाएं जताई और भारत को आतंकवाद से लड़ाई में अमेरिका का पूरा समर्थन देने की पेशकश की। 

उन्होंने बताया, ‘मैंने अजीत डोभाल से कहा कि हम भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हैं। मैंने सुबह सहित दो बार उनसे बात की और आतंकवादी हमले पर अमेरिका की ओर से संवेदनाएं व्यक्त की।’

 बोल्टन ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी पनाहगाहों को समर्थन देना बंद करने को लेकर बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा, ‘हम इस पर काफी स्पष्ट हैं और हम पाकिस्तान से इस पर बातचीत करते रहेंगे।’    

इससे पहले व्हाइट हाउस और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने पाकिस्तान से देश के भीतर आतंकवादियों की पनाहगाहों को समर्थन देना बंद करने के लिए कहा था।

पोम्पिओ ने टि्वटर पर कहा, ‘हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े हैं। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले आतंकवादियों को पनाहगाह उपलब्ध नहीं करानी चाहिए।’

पाकिस्तान को सख्त लहजे में दिए संदेश में व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान से सभी आतंकवादी समूहों को अपना ‘समर्थन तुरंत बंद’ करने और उन्हें पनाहगाह उपलब्ध नहीं कराने को कहा। अमेरिका ने पुलवामा आतंकी हमले की निंदा भी की जिसमें सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हुए हैं।

इधर, नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बताया कि डोभाल और बोल्टन ने शुक्रवार शाम टेलीफोन पर बातचीत की जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के तहत पाकिस्तान को उसके कर्तव्यों के लिए जिम्मेदार ठहराने और जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल करने की सभी बाधाओं को हटाने का संकल्प लिया।