न्यूयॉर्क— विदेश मंत्री स्वराज संयुक्त राष्ट्र की आम सभा की 73वीं बैठक में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क आई हैं। इससे इतर उन्होंने ज़रीफ के साथ यह बातचीत की। दोनों पक्षों ने यूरोपीय संघ के साथ ईरान के परमाणु समझौते के मुद्दे पर भी बातचीत की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रतिबंध के मसले पर भारत उन सभी पक्षधारकों के साथ बातचीत के दौर में है जो इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं और ईरान उनमें से एक है। तो यह स्वभाविक है कि बैठक के दौरान प्रतिबंध के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।’’ 

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने इस मुद्दे पर अपनी मौजूदा स्थिति को साझा किया है।

कुमार ने कहा कि ज़रीफ ने परमाणु समझौते को लेकर ईरान और यूरोपीय संघ की बातचीत के बारे में जानकारी साझा की। 

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें सुना, और अपनी स्थिति से भी अवगत कराया। यह समझना महत्वपूर्ण है कि जैसे-जैसे ईरान पर प्रतिबंधों की कार्रवाई आगे बढ़ेगी हम अन्य पक्षधारकों और देशों के साथ भी बातचीत करेंगे, उदाहरण के लिए अमेरिका।’’ 

उन्होंने हाल में भारत और अमेरिका के बीच हुई ‘2+2’ वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने अमेरिका को अपनी चिंताओं और उम्मीदों से अवगत कराया है। ‘2+2’ वार्ता में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों ने बैठक की थी।

कुमार ने कहा, ‘‘ हमारा विश्वास है कि अमेरिका हमारी स्थिति को समझ रहा है। कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में काम कर रहा है।’’ 

मई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि अमेरिका 2015 में बराक ओबामा की सरकार के दौरान ईरान के साथ हस्ताक्षर किए गए परमाणु समझौते से बाहर आएगा। इसके तहत ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को इसकी समीक्षा करने की अनुमति दी थी, बदले में उसके ऊपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने की बात की गई थी।

अमेरिका की इस समझौते से बाहर आने की घोषणा के बाद उसने भारत एवं अन्य देशों को ईरान से चार नवंबर तक तेल आयात शून्य करने के लिए कहा, नहीं तो प्रतिबंध झेलने की चेतावनी दी है।

कुमार ने कहा कि प्रतिबंधों के लागू होने से भारत विभिन्न सहयोगियों और देशों के साथ इस मसले पर बातचीत कर रहा है।

उन्होंने इस बैठक को ‘अच्छा’ बताया।

ईराक और सऊदी अरब के बाद भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात ईरान से करता है।