एक साल पहले कोरोना से हुई थी मौत: बेटे ने किया ऐसा काम की लगता है घर के सोफे पर बैठे हैं पिता

By Team MyNation  |  First Published Sep 25, 2021, 10:53 PM IST

महाराष्ट्र के सांगली में रहने वाले अरुण कोरे ने अपने पिता की याद में सिलिकॉन का स्टैच्यू (silicone statue) बनवाया है। उनके पिता पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर की पोस्ट पर थे। लेकिन कोरोना की चपेट में आने में आने के कारण पिछले साल उनकी मौत हो गई। 

मुंबई. कोरोना काल में कई लोगों ने अपनों को खो दिया तो कई लोग मौत के बाद अपने सगे परिजनों को खो दिया। महाराष्ट्र के सांगली में रहने वाले अरुण कोरे ने अपने पिता की याद में सिलिकॉन का स्टैच्यू (silicone statue) बनवाया है। उनके पिता पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर की पोस्ट पर थे। लेकिन कोरोना की चपेट में आने में आने के कारण पिछले साल उनकी मौत हो गई। अपने पिता का एहसास हमेशा अपने पास रखने के लिए बेटे ने पिता का स्टैच्यू बनवाया और उसे घर के सोफे पर स्थापित कर दिया है। अब इस प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं।  आइए जानते हैं इसके बारे में।

 

रावसाहेब शामराव कोरे राज्य सरकार के आबकारी विभाग के निरीक्षक थे। 2020 में ड्यूटी के दौरान उनकी कोरोना के कारण मौत हो गई। पिता की मौत के बाद बेटे ने उनका स्टैच्यू बनवाने का फैसला किया।

स्टैच्यू को बनाने में करीब पांच महीने का समय लगा। बेटे ने पिता के स्टैच्यू को अपने घर के सोफे पर बैठाया है। सोफे पर रखी इस स्टैच्यू को देखकर आप भी धोखा खा जाएंगे की सच  में कोई जीवित व्यक्ति बैठा हुआ है।

इस स्टैच्यू की खास बात ये है कि ये हूबहू रावसाहेब शामराव कोरे की तरह दिखाई देती है। रंग, रूप, बाल, भौहें, चेहरा, आंखें और शरीर का लगभग हर हिस्सा ऐसे बनाया गया है कि लगता है कि कोई जीवित व्यक्ति बैठा हुआ है। क्षेत्र में रावसाहेब शामराव कोरे  की छवि अच्छी थी इसी कारण से लोग अब  उनके स्टैच्यू को देखने आते हैं। 

इस मूर्ति को  बेंगलुरु के मूर्तिकार श्रीधर ने पांच महीने तक कड़ी मेहनत के बात बनाया है। रावसाहेब शामराव कोरे  के बेटे अरुण कोरे ने दावा किया है कि यह महाराष्ट्र का पहला सिलिकॉन स्टैच्यू है।

अरुण कोरे ने बताया कि 2020 में मेरे पिता की मौत हो गई। उनकी मौत से पिता को गहरा धक्का लगा। उनका पूरा परिवार उन्हें बहुत मिस कर रहा था। जिसके बाद दिमाग में सिलिकॉन स्टैच्यू बनवाने का विचार आया और इसे करने के लिए मूर्तिकार श्रीधर से संपर्क किया।  एक सिलिकॉन मूर्ति की लाइफ करीब 30 साल होती है। सिलिकॉन मूर्ति को पहनाए गए कपड़े हर दिन बदले जा सकते हैं। यह मूर्ति आम इंसान की तरह दिखती है। 

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