पहाड़ों की बेटी बनी IAS अफसर, बिना कोचिंग के घर में रहकर UPSC किया क्रेक..बताए अपनी सफलता के राज

By Team MyNationFirst Published Sep 25, 2021, 10:47 PM IST
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उत्तराखंड की रहने वाली सदफ चौधरी ने सिविल सेवा परीक्षा-2020 (Civil Services Exam-2020) क्रेक किया है। अब वह आईएएस अफसर बन गई हैं। कमाल की बात तो यह है कि सदफ ने इसके लिए कोई कोचिंग तक नहीं की। यानि बिना किसी कोचिंग के देश की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। 

देहरादून (उत्तराखंड). त्याग-समर्पण और मेहनत और लगन से बड़ी से बड़ी जीच भी आसानी से पाई जा सकती है। कुछ ऐसा कर दिखाया है पहाड़ों की बेटी यानि उत्तराखंड की रहने वाली सदफ चौधरी की। जिसने सिविल सेवा परीक्षा-2020 (Civil Services Exam-2020) क्रेक किया है। अब वह आईएएस अफसर बन गई हैं। कमाल की बात तो यह है कि सदफ ने इसके लिए कोई कोचिंग तक नहीं की। यानि बिना किसी कोचिंग के देश की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। आइए जानते हैं सदफ चौधरी की कामयाबी कहानी..आखिर कैसे पाया यह मुकाम...

दरअसल, शुक्रवार को सिविल सेवा परीक्षा-2020 (Civil Services Exam-2020) का अंतिम परिणाम जारी हुआ है। जिसमें सदफ चौधरी ने यूपीएससी एग्जाम पास करते हुए 23वीं रैंक हासिल अपने परिवार ही नहीं राज्य का नाम रोशन किया है। 

बता दें कि सदफ चौधरी मूल रूप से रुड़की के ग्रीन पार्क कॉलोनी में रहती हैं। पिता  मोहम्मद इसरार पिता ग्रामीण बैंक में मैनेजर शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। वहीं घर में मां शाहबाज बानो, बहन सायमा व भाई मोहम्मद साद हैं। जो एक साथ रहते हैं।

शिक्षानगरी रुड़की की रहने वाली सदफ ने बताया कि उसने बताया कि उसने इतना बड़ा एग्जाम पास करने के लिए किसी कोचिंग संस्थान की मदद नहीं ली। सिर्फ दिन रात घर में कड़ी मेहनत करके ही यह मुकाम हासिल किया है।  बता दें सदफ़ ने एनआईटी जालंधर से बीटेक की है। इसके बाद सदफ ने यूपीएसएसी की तैयारी शुरू की।

सदफ ने कहा कि जरूरी नहीं कि आपको कोई परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग की जरुरत है। बस ए मेहनत के साथ-साथ स्मार्ट वर्क और त्याग होना चाहिए। सही स्ट्रेटेजी के साथ तैयारी करेंगे तो आप बड़ी आसानी से यह मुकाम हासिल कर सकते हैं। 

सिविल सेवा परीक्षा-2020 में सफलता के बाद सदफ चौधरी के घर बधाई देने वालों का तांता लग रहा है। रिश्तेदार से लेकर शहर के लोगों का जमावड़ा है। इतना ही नहीं इलाके के विधायक हाजी फुरकान अहमद भी बधाई देने के लिए घर पहुंचे हुए थे।

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