बेंगलुरू की इस कंपनी में मिलती है मुंहमांगी सैलरी, लेकिन 1 शर्त पर

First Published | Aug 4, 2024, 11:48 AM IST

बेंगलुरू की कंपनी जोको के CEO अर्जुन वी पॉल ने हाई परफॉर्मर कैंडिडेट्स को मुंह मांगी सैलरी देने की रणनीति अपनाई है। जानें कैसे यह दृष्टिकोण टॉप टैलेंट को अट्रैक्ट करने में गेम-चेंजर साबित हो रहा है।

नौकरी की तलाश करने वालों को यहां मिलता है सुनहरा मौका

नई  दिल्ली। क्या आप किसी कंपनी में इंटरव्यू देने की योजना बना रहे हैं। क्या आप अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कंपनी की हर छोटी बड़ी शर्त मानने को सिर्फ इसलिए तैयार हैं, कि आपको जॉब की जरूरत है, तो रुकिए। क्योकि हमारे देश में एक ऐसी भी कंपनी हैं, जहां कंपनीअपने रूल एंड रेगुलेशन के साथ-साथ कैंडिडेट की भावनाओं की भी कद्र करती है। सबसे बड़ी बात ये कंपनी न्यू एंप्लाई सेलेक्ट करते समय सेलेक्शन प्रॉसेस क्रैक करने वाले कैंडिडेट को मुंह मांगा वेतन ऑफर करती है। कंपनी का दावा है कि इससे उसे बहुत बेनीफिट मिला है। 

बेस्ट परफार्मर की हर कंपनी को रहती है तलाश

आज की इस प्रतिस्पर्धी जॉब मार्केट में एंप्लायर हाई परफार्मेंश करने वाले एंप्लाईज काे सेलेक्ट करने की कोशिश में लगी रहती है। बेस्ट परफार्मर और प्रतिभाशाली कैंडिडेटों को हायर करने के लिए कंपनियां इनोवेटिव स्ट्रैटिजी अपनाती रहती है। जिसमें आकार्षक बेनीफिट पैकेज की पेशकश सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस रणनीति से अलग कर्नाटक के बेंगलूरू शहर में स्थित एक कंपनी के CEO ने हाई पराफार्मर को हायर करने की अपनी अलग रणनीति का खुलाशा किया है। जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।

बेंगलुरू स्थित कंपनी जोको के CEO ने शेयर की अपनी रणनीति

बेंगलुरू स्थित कंपनी जोको के को-फाउंडर और  CEO अर्जुन वी पॉल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिंकडाइन पर एक पोस्ट शेयर की है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि हाई परफार्मर कैंडिडेट को सेलेक्ट करने के बाद हम या हमारी कंपनी  कैंडिडेट से सैलरी को लेकर कोई बातचीत नहीं करती। कैंडिडेट जो भी अपनी सैलरी तय करके बताता है, कंपनी वहीं मान लेती है। 

Zoko कंपनी देती हैं कैंडिडेट की रिक्वेस्टेड सैलरी

लिंक्डइन पर बात करते हुए अर्जुन वी पॉल ने लिखा कि उनकी कंपनी अब कैंडिडेटों को बिना बातचीत के उनकी रिक्वेस्टेड सैलरी देती है। यह बताते हुए कि यह दृष्टिकोण टॉप टैलेंट को अट्रैक्ट करने के लिए एक गेम-चेंजर रहा है। उन्होंने लिखा है कि अपनी टीम के लिए 18+ मेंबरों का सेलेक्शन करने के बाद मुझे वर्ल्ड लेबल टैलेंटेड लोगों को बनाए रखने का रहस्य मिल गया है। हम सैलरी पर बातचीत नहीं करते हैं। हम सचमुच वही देते हैं जो वे मांगते हैं। फिर, हम साल में एक बार सैलरी को रिवाईज करते हैं।

LinkedIn पर CEO ने पोस्ट शेयर करके दी जानकारी, बताई ये वजह

CEO अर्जुन वी पॉल ने  इस दृष्टिकोण को अपनाने के लिए कई सम्मोहक रीजन को आउट लाइन किया, जिसमें आगे-पीछे की बातचीत को खत्म करना, कैंडिडेट की वैल्यू के प्रति सम्मान दिखाना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि एंप्लाईज के पास अपना बेस्ट परफार्मेंश न करने की कोई वजह न हो क्योंकि उन्हें वह पेमेंट मिल रहा है, जो वे चाहते हैं। सीईओ अर्जुन वी पॉल ने अपने आर्टिकल में एक रेयर एग्जांपल भी मेंटेन किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि एक बार उन्होंने एक कैंडिडेट के रिक्वेस्टेड सैलरी को बढ़ाने के लिए बातचीत की। उन्होंने लिखा कि मैंने केवल एक बार वेतन पर बातचीत की है, और यह एक कैंडिडेट द्वारा मांगे गए एमाउंट को बढ़ाने के लिए था। उन्होंने उसी रोल में दूसरों की तुलना में खुद को कम आंका, इसलिए मुझे उन्हें यह बताना पड़ा और उन्हें अधिक सैलरी की पेशकश करनी पड़ी।

अर्जुन वी पॉल की पोस्ट पर आ रहे धड़ाधड़ कमेंट

CEO अर्जुन वी पॉल के इस दृष्टिकोण की कई यूजर्स ने प्रशंसा की है, जबकि कई अन्य ने इस पर संदेह व्यक्त करते हुए सवाल भी उठाए हैं। एक यूजर  ने लिखा कि प्रतिभा का महत्व आपकी दृष्टिकोण में बहुत अच्छा है अर्जुन। यह स्पष्ट है कि शुरू से ही अपनी टीम का सम्मान करना और उस पर भरोसा करना एक ऐसा माहौल बनाता है जहां उत्कृष्टता पनपती है। एक अन्य ने कमेंट किया कि यह बहुत अच्छा है और अन्य कंपनियों को इसका अनुसरण करना चाहिए।

कईयों ने की प्रंशसा तो कई लोगों ने संदेह जताते हुए उठाए सवाल

हमें ऐसी स्थितियों को हतोत्साहित करना चाहिए, जहां एंप्लायर के पैसे बचाने के लिए रिक्रूटर कैंडिडेटों पर बहुत दबाव डालते हैं। तीसरे यूजर ने पूछा कि क्या होगा यदि आप किसी व्यक्ति को काम पर रखते हैं और वह अपनी सैलरी से कम योग्य साबित होता है? क्या बाद में वेतन संशोधन से वेतन में कटौती भी हो सकती है? मैं और अधिक जानने के लिए उत्सुक हूं?  चौथे ने कहा कि यह पोस्ट भर्ती के लिए एक छोटी गाइड के रूप में काम कर सकती है।

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