किस्मत और भाग्य का रोना रोने वालों को अर्पिता रॉय की कहानी पढ़नी चाहिए। कॉलेज लाइफ में अर्पिता के दोनों पैर एक एक्सीडेंट में कट गए। अपने पैरों पर खड़े होने में अर्पिता को 6 महीने लग गए। यह पैर भी कृत्रिम पैर थे। लेकिन अर्पिता ने इन्हीं पैरों को अपनी ताकत बनाया और रोजी-रोटी का जरिया भी।
हैदराबाद की अर्पिता हिम्मत और हौसले की मिसाल है, जिन्होंने अपने दो पैर गंवा कर भी जिंदगी की रफ्तार से दौड़ लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अर्पिता के दोनों पैर नहीं है। अपनी इसी कमजोरी को उन्होंने ताकत बनाया और आज वह इसी कमी की वजह से सेल्फ डिपेंड है। माय नेशन हिंदी से अर्पिता ने अपनी जर्नी शेर की
कौन है अर्पिता
अर्पिता हैदराबाद की रहने वाली हैं। घर में उनके माता-पिता और एक भाई है। 17 साल पहले अर्पिता की जिंदगी में एक भूचाल आया था जब वह साल 2006 में कोलकाता में बाजार से कुछ सामान लेने के लिए अपनी बाइक से जा रही थी। अर्पिता का लोरी से भीषण एक्सीडेंट हो गया और अर्पिता की जिंदगी चंद लम्हों में एकदम बदल गई।
पैर हो गया था सेन्सलेस
अर्पिता कहती हैं जब एक्सीडेंट हुआ तो मुझे समझ में नहीं आया की चोट कहां लगी है मैं जमीन पर पड़ी थी और तभी मुझे किसी ने इशारा किया कि अपना पर देखो। मेरे पैर से सिर्फ खून बह रहा था। वहीं पास में अस्पताल था और लोग मुझे अस्पताल लेकर गए। इलाज शुरू हुआ, दवाएं तो अफोर्ड कर लिया लेकिन सर्जरी के लिए पैसे इकट्ठा करने में 12 दिन लग गए और वह सर्जरी फॉरन करनी थी। मैं मिडिल क्लास की लड़की अगर पैसा होता तो आज मेरे पैरों में एम्प्यूटी लेग्स ना लगे होते। घर में मेरा इकलौता भाई था कमाने वाला। जिसने मुझे आर्थिक और मानसिक तौर पर बहुत सपोर्ट किया। 4 महीने तक अस्पताल में ही रहना पड़ा क्योंकि गैंग्रीन मेरे शरीर के 80% हिस्से में फैल चुका था। हर आदमी मुझ पर तरस खाता था।
और फिर अर्पिता चलने लगी
डॉक्टर के इलाज और अर्पिता के आत्मविश्वास के साथ एक दिन अर्पिता अपने एम्प्यूटी पैरों से चलने लगी। शुरुआत में डॉक्टर ने पैरों की पोजीशन को दुरुस्त रखने के लिए हर रोज 1 घंटे खड़े रहने की हिदायत दिया। धीरे-धीरे अर्पिता अपनी कृत्रिम पैरों से जिंदगी जीने लगी। उन्होंने अपने शरीर को एक्सेप्ट किया। साल 2007 में अर्पिता ने एक कॉल सेंटर में नौकरी कर लिया।
एक्सरसाइज बनी पार्टनर
अर्पिता ने खुद को फिट रखने के लिए धीरे-धीरे एक्सरसाइज करना शुरू किया। साल 2015 में अर्पिता ने योग करना शुरू कर दिया। योग की अर्पिता को इतनी आदत हो गई कि उन्होंने 4 साल में ही हेड स्टैंड जैसा आसान भी करना शुरू कर दिया। साल 2019 तक अर्पिता ने योग के सभी आसनों को सीख लिया और अर्पिता योग की ट्रेनर बन गई। धीरे-धीरे अर्पिता की योग क्लास में 25 स्टूडेंट शामिल हो गए। आज अर्पिता अपने एम्प्यूटी पैरों से मशहूर योग टीचर बन चुकी हैं और कई लोगों को योग सिखा रही हैं।
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