आम तौर पर लोग भिखारियों को चंद रुपये देकर आगे बढ़ जाते हैं, तमाम लोग तो दुत्कार कर भगा भी देते हैं। ऐसे में उड़ीसा के चंद्र मिश्रा बिल्कुल अलग खड़े दिखाई देते हैं। भिखारियों के जीवन में कैसे बदलाव आए? इस विचार के साथ मिश्रा ने अगस्त 2022 में बेगर्स कॉर्पोरेशन की नींव रखी। मौजूदा समय में 14 बेगर्स फैमिली के जीवन में बदलाव भी लाए हैं।
वाराणसी। आम तौर पर लोग भिखारियों (Beggars) को चंद रुपये देकर आगे बढ़ जाते हैं, तमाम लोग तो दुत्कार कर भगा भी देते हैं। ऐसे में उड़ीसा के चंद्र मिश्रा बिल्कुल अलग खड़े दिखाई देते हैं। देश के अलग-अलग जगहों पर मंदिरों के बाहर, सड़कों पर भिखारियों की लंबी लाइन देखकर उनका मन कचोटता था। भिखारियों के जीवन में कैसे बदलाव आए? इस विचार के साथ मिश्रा ने साल 2021 में सोशल मीडिया पर आनलाइन सर्वे शुरु किया। 27 हजार से ज्यादा लोग उसमें शामिल हुए, लोगों का सपोर्ट मिला और फिर उन्होंने अगस्त 2022 में बेगर्स कॉर्पोरेशन की नींव रखी। मौजूदा समय में 14 बेगर्स फैमिली के जीवन में बदलाव भी लाए हैं। यह कारवां लगातार आगे बढ़ रहा है।
बेगर्स कॉरपोरेशन कैसे करता है काम?
माई नेशन एशियानेट न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए चंद्र मिश्रा कहते हैं कि हम भिखारियों को इंटरप्रेन्योर बनने में मदद करते हैं। ट्रेनिंग देकर काम शुरु कराने के लिए फाइनेंस की भी व्यवस्था कराने का काम कर रहे हैं। भिखारियों को रोजगार देने के मकसद से अगस्त 2022 में 'फॉर प्रॉफिट कंपनी' बेगर्स कॉर्पोरेशन बनाई। पहले भिखारियों का चयन करते हैं। उनका वेरिफिकेशन कराते हैं और फिर मोटिवेशन के बाद हम उनको 3 महीने की ट्रेनिंग देते हैं। पहले महीने में सामान्य ट्रेनिंग होती है, दूसरे महीने में जिस प्रोडक्ट से जुड़ा काम भिखारी को शुरु कराना है, उसका मार्केट ट्रायल करते हैं और तीसरे महीने में बाजार से एडवांस आर्डर इकट्ठा करते हैं। चौथे महीने में जब वह अपना स्टार्टअप शुरु करते हैं, तो उनके बिजनेस में एक लाख रुपये का इंवेस्टमेंट कराते हैं।
आधार कार्ड तक नहीं फिर भी शुरु करा रहें स्टार्टअप
जिन भिखारियों के पास आधार कार्ड तक नहीं होता है, बेगर्स कॉर्पोरेशन उनका स्टार्टअप शुरु कराता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में बैंक से मदद की गुंजाइश ही नहीं बचती है। एक भिखारी के बजाए 5 से 10 भिखारियों का एक वेंचर बनाकर रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। चंद्र मिश्रा कहते हैं कि यदि एक भिखारी अकेले बिजनेस शुरु करता है तो असफलता की ज्यादा संभावना रहती है। इसलिए 5 से 10 बेगर्स को मिलाकर एक वेंचर बनाते हैं। जब भिखारी एक समूह में बिजनेस शुरु करते हैं तो एक-दूसरे की कमियों को पूरा करते हैं।
इन भिखारी परिवारों के जीवन में आया बदलाव
वर्तमान में, बेगर्स कॉर्पोरेशन के काम से 14 भिखारी परिवारों के जीवन में बदलाव आया है। दो भिखारी परिवार मंदिरों के पास दुकान लगाकर फूल व पूजा में उपयोग किए जाने वाले वस्तुएं बेचने का काम करते हैं, जबकि 14 भिखारी परिवार उनके साथ मिलकर शॉपिंग बैग बनाने का काम कर रहे हैं। चंद्र मिश्रा वाराणसी के घाटों पर भीख मांगने वाले बच्चों के जीवन में बदलाव लाने के लिए उन्हें भी प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे बच्चों की पढ़ाई में भी मदद कर रहे हैं।
जनवरी 2021 से शुरु किया काम
यह काम शुरु करना इतना आसान नहीं था। चंद्र मिश्रा कहते हैं कि काफी समय से भिखारियों को उनके पैरों पर खड़ा करने का विचार था। इस सिलसिले में उन्होंने कई बार सरकारी नुमाइंदों को पत्र भी लिखा। काफी इंतजार के बाद भी रिस्पांस नहीं मिला। बहरहाल, मिश्रा अपने मिशन को मूर्त रूप देने में जुटे रहें। सोशल मीडिया पर रोजगार को लेकर डिबेट शुरु कर दिया तो लोग जुड़ें और चंद्र मिश्रा 30 दिसम्बर 2020 को वाराणसी आ गएं। जनवरी 2021 से काम शुरु कर दिया।