बिहार के सत्यम सुंदरम, जिन्हें कभी 'जंगली' कहा गया था, आज अपने बांस से बने इको-फ्रेंडली उत्पादों से 25 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं। जानें कैसे एक छोटे से स्टॉल से शुरू हुआ उनका सफर सफलता की ऊंचाईयों तक पहुंचा।
नई दिल्ली। बिहार के मुंगेर जिले के लखनपुर गांव में जन्मे सत्यम सुंदरम ने संघर्षों को पीछे छोड़ते हुए सफलता की नई कहानी लिखी। कभी 'जंगली' कहे जाते थे, आज वही सत्यम अपने बांस से बने प्रोडक्ट के बिजनेस से सालाना 25 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। सड़क के किनारे छोटी सी शुरूआत की थी। अब बड़े-बड़े शहरों में अपने प्रोडक्ट बेच रहे हैं।
कॉन्वेंट स्कूल ने उन्हें ‘जंगली’ कहकर निकाला
सत्यम का बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा। वह सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते थे और किताबें बोरे में लेकर स्कूल जाते थे। उनके पिता के ट्रांसफर की वजह से परिवार को पूर्णिया शिफ्ट होना पड़ा, जहां सत्यम का अपर केजी में दाखिला कराया गया। अपनी कमजोर बुनियादी शिक्षा के कारण सत्यम कई बार फेल हुए और उन्हें ‘फेलियर’ कहा जाने लगा। एक कॉन्वेंट स्कूल ने उन्हें ‘जंगली’ कहकर निकाल दिया क्योंकि वह गांव के थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और स्थानीय स्कूल से बोर्ड परीक्षा पास की।
MBA के बाद अपने बिजनेस आइडिया पर काम
बीसीए की डिग्री के बाद सत्यम पर सरकारी नौकरी करने का दबाव था, क्योंकि उनके पिता बिहार पुलिस में कार्यरत थे। उन्होंने PCS परीक्षा दी लेकिन असफल रहे। इस असफलता के बाद उन्होंने MBA करने का फैसला किया। 2020 में सत्यम ने MBA में दाखिला लिया। यह पहला मौका था जब उन्होंने अपनी रुचि का विषय चुना। MBA के दौरान उन्होंने कम्युनिकेशन और मार्केटिंग स्किल्स में महारत हासिल की और ब्रिटानिया व ITC जैसी कंपनियों में इंटर्नशिप की। हालांकि, नौकरी के ऑफर को ठुकराते हुए उन्होंने अपने बिजनेस आइडिया पर काम करना शुरू किया।
सड़क से शुरू किया कारोबार
MBA के दौरान सत्यम को पूर्वोत्तर भारत में बांस उद्योग के बारे में पता चला। उन्होंने बांस से बनने वाले इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग को देखा और इसे अपने बिजनेस का आधार बनाने का निर्णय लिया। सत्यम ने अपने छोटे भाई से 15,000 रुपये उधार लिए और सड़क किनारे एक मेज पर 10 बांस की बोतलें रखकर कारोबार शुरू किया। वह ग्राहकों से बातचीत कर उनकी रुचि को समझने लगे।
150 से अधिक प्रोडक्ट, कीमत 10 रुपये से 40,000 तक
2022 की शुरुआत में सत्यम को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत 8 लाख रुपये की सहायता मिली। उन्होंने अपनी मां के साथ मिलकर अपनी कंपनी 'मणिपुरी बैम्बू आर्टिफैक्ट्स' की शुरुआत की। सत्यम बांस से बने 150 से अधिक प्रोडक्ट बेचते हैं। इनमें टूथब्रश, पेन स्टैंड, लैंपशेड, डांडिया स्टिक, फ्लास्क, फर्नीचर और डिस्पोजेबल कटलरी शामिल हैं। इन प्रोडक्ट्स की कीमत 10 रुपये से 40,000 रुपये तक है।
छोटे से स्टॉल से 25 लाख सालाना कमाई तक
सत्यम के प्रोडक्ट प्लास्टिक का बेहतरीन विकल्प साबित हो रहे हैं। उन्होंने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए बांस उत्पादों को बढ़ावा दिया।वह पोस्टर लेकर भीड़ में खड़े होकर लोगों को पर्यावरण अनुकूल उत्पाद अपनाने के लिए प्रेरित करते थे। उनकी यह सोच उन्हें औरों से अलग बनाती है। आज सत्यम अपने प्रोडक्ट तेलंगाना, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में बेचते हैं। उनके बिजनेस का दायरा लगातार बढ़ रहा है। एक छोटे से स्टॉल से शुरुआत करने वाले सत्यम अब सालाना 25 लाख रुपये कमा रहे हैं।
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