8 महीने लगे पापा को बताने में कि मेरी कम्पनी सेक्स एजुकेशन कंपनी है- आस्था वोहरा

By rohan salodkarFirst Published Oct 21, 2023, 7:32 PM IST
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आस्था वोहरा ने सेक्स एजुकेशन की कोई पढ़ाई नहीं की है, कोई कोर्स नहीं किया है।  लेकिन उनके अंदर एक ख्वाहिश थी कि समाज में मौजूद लोगों को सेक्स के प्रति एजुकेटेड किया जाए।  उनके अंदर अवेयरनेस पैदा की जाए। महिलाओं को यह बताया जाए कि ऑर्गेज्म या चरम सुख उनका भी अधिकार है। हालांकि आस्था को अपने इस मकसद में बहुत सी तकलीफों से गुजरना पड़ा लेकिन उनकी कंपनी देश की पहली सेक्स एजुकेशन कंपनी है।

दिल्ली। 26 साल की आस्था सेक्स एजुकेशन और वैलनेस कंपनी मंज़ूरी की को फाउंडर है।
आस्था एक मिडिल क्लास कंजरवेटिव फैमिली से आती हैं इसलिए जब उन्होंने सेक्स एजुकेशन पर काम करना शुरू किया तो लोगों का विरोध झेलना पड़ा। आस्था की कंपनी देश की पहली सेक्स एजुकेशन कंपनी है। इतने  नाजुक और बोल्ड मुद्दे पर काम करते हुए आस्था को क्या कुछ झेलना पड़ा। डिटेल में आस्था ने माय नेशन हिंदी से शेयर किया। 

कौन है आस्था वोहरा
आस्था के पिता एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं। उनकी मां की मृत्यु 8 साल पहले हो गई थी। आस्था एक टिपिकल पंजाबी फैमिली से आती हैं ।क्योंकि आस्था के पिता की जॉब ट्रांसफरेबल थी इसलिए उनका ज्यादा समय आगरा और दिल्ली में बीता।आस्था की स्कूलिंग
आर्मी स्कूल से हुई हैं। 2017 में पुणे के सिंबायोसिस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एमए किया है। स्कॉलरशिप पर आस्था 6 महीने के लिए यूनाइटेड किंगडम गई जहां पर रिसर्च ओरिएंटेड थीसिस लिखी और 3 साल तक इन्ही सब्जेक्ट से जुड़े सेक्टर में नौकरी भी किया। उनकी लास्ट जब डेनमार्क में इंडियन एंबेसी में थी।

दोस्तों की मदद से खोली सेक्स एजुकेशन कंपनी
साल 2020 में आस्था ने सेक्स एजुकेशन को लेकर एक इंस्टाग्राम पेज बनाया जहां उन्होंने ऑर्गेज्म मास्टरबेशन और सेक्स से जुड़े मिथ और फैक्ट से लोगों को रूबरू कराने का काम किया। जो मुद्दा लोगों के बेडरूम तक था जिसे लोग शर्म का नाम देकर बता नहीं पाते थे। अंदर ही अंदर कुंठित होते थे, ऐसे लोगों से आस्था ने बात करना शुरू किया। धीरे-धीरे आस्था के पास लोगों के मैसेज आने लगे जिसमें लोग अपनी जिज्ञासा तो शांत करते थे, साथ में सेक्स टॉयज के बारे में भी पूछते रहते थे। और फिर एक दिन आस्था ने अपने दोस्त के साथ मिलकर देश की पहली सेक्स एजुकेशन कंपनी "मंजूरी" खोल लिया।

 



कंपनी का नाम मंजूरी क्यों रखा
इस सवाल पर आस्था रहती हैं मंज़ूरी का मतलब है फीमेल मास्टरबेशन जो की एक जापानी शब्द है। हालांकि आस्था की कंपनी मेल मास्टरबेशन से जुड़े प्रोडक्ट भी बनाती है। उनकी कंपनी वाइब्रेटर एडल्ट टॉयज़ की डिलीवरी भी करती है। नौकरी के साथ आस्था अपनी कंपनी भी चला रही थीं। सुबह 9:00 से 5:00 वह नौकरी करती थी और 5:00 बजे के बाद अपनी कंपनी को समय देती थी लेकिन जब रिस्पांस अच्छा आने लगा तो आस्था ने नौकरी छोड़ दिया।

कंपनी के बारे में 8 महीने तक नहीं बताया पापा को
आस्था रहती हैं 8 महीने तक पापा को नहीं बताया अपनी कंपनी के बारे में फिर धीरे-धीरे उन्हें बताया तो उन्हें समझ में आया कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है जागरूकता का मुद्दा है। और आज वह प्राउड भी फील करते हैं कि मेरी बेटी सेक्स एजुकेशन पर काम कर रही है।


 10000 से ज्यादा सेक्स टॉयज बेच चुकी हैं  आस्था
आस्था कहती हैं एडल्ट टॉयज़ की सबसे ज्यादा डिमांड  दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से आती है, एज ग्रुप की बात करें तो 35 प्लस के लोग सबसे ज्यादा एडल्ट टॉयज की डिमांड करते हैं। वहीं आस्था ने बताया कि हर महीने उनकी कंपनी 1200 से 15 00 सेक्स टॉयज बेचती है। साथ ही अब तक वह 10000 से ज्यादा सेक्स टॉयज बेच चुकी हैं।

कितनी महिलाओं को ऑर्गेज्म के बारे में पता ही नहीं है
आस्था कहती हैं जब हम इक्वलिटी की बात करते हैं सशक्तिकरण की बात करते हैं तो हमें सबसे पहले कोशिश करनी चाहिए की महिलाओं को हर मुद्दे से जागरूक कराया जाए वह कहती हैं कि मैंने अपनी कम्पनी की कस्टमर केयर पर अक्सर महिलाओं को यह कहते सुना कि उन्हें ऑर्गेज्म का मतलब ही नहीं पता।सेक्स करने वाले मर्दों को 99% ऑर्गेज्म मिलता है लेकिन सिर्फ 25% महिलाओं को चरम सुख मिल पाता है।

कई कंपनियों ने आस्था की कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया
आस्था रहती है जब मैं सेक्स एजुकेशन पर काम करना शुरू किया तो कोई कंपनियों ने हमें ब्लैक लिस्ट कर दिया पेमेंट गेटवे बन कर दिया लिंकडइन तक हमें रिस्टिक कर दिया था कुछ दिन के बाद जब उन्हें हमारा मकसद समझ में आया तो ओपन कर दिया।

लोगों को जागरूक करना हमारा मकसद है
आस्था कहती हैं सेक्स एजुकेशन का मतलब सिर्फ सेक्स एजुकेशन नहीं बल्कि हर वह चीज जो सेक्स से जुड़ी है उसे पर बात करना होता है जैसे कितनी ही लड़कियां हैं जिन्हें नहीं पता है कि पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग क्यों होती है, पीरियड क्रैंप क्यों होता है। समाज ने एक धारणा बना दिया है की औरतों को प्लेजर से कोई मतलब नहीं होता है शादी हुई बच्चा पैदा करो एक रूटीन फुल जिंदगी गुजारो यही उनकी जिंदगी होती है हमारी कंपनी का उद्देश्य ऐसी ही महिलाओं को जागरूक करना है।

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