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IIT-IIM से नहीं...विदेश में 17 साल जॉब, भारत लौटीं तो एक शख्स से मुलाकात ने बदल दी जिंदगी, अब 8000 Cr की कंपनी

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Jun 01, 2024, 01:57 PM ISTUpdated : Jun 01, 2024, 02:01 PM IST
IIT-IIM से नहीं...विदेश में 17 साल जॉब, भारत लौटीं तो एक शख्स से मुलाकात ने बदल दी जिंदगी, अब 8000 Cr की कंपनी

सार

Success Story: भारत में कॉर्पोरेट जगत की हस्ती उपासना टाकू किसी परिचय की मोहताज नहीं है। एक समय पढ़ाई के बाद अमेरिका में नौकरी कर रही थीं। करीबन 17 साल तक विदेश में जॉब की। अपना कारोबार शुरू करने का ख्याल आया तो नौकरी छोड़कर भारत लौट आईं।

Success Story: भारत में कॉर्पोरेट जगत की हस्ती उपासना टाकू किसी परिचय की मोहताज नहीं है। एक समय पढ़ाई के बाद अमेरिका में नौकरी कर रही थीं। करीबन 17 साल तक विदेश में जॉब की। अपना कारोबार शुरू करने का ख्याल आया तो नौकरी छोड़कर भारत लौट आईं। अमेरिका में जमा-जमाया कॅरियर छोड़कर देश में बिजनेस शुरू करने का फैसला परिवार को अटपटा लगा, परिवार ने विरोध भी किया। पर वह अपने निर्णय पर डटी रहीं। यह जानते हुए भी कि स्टार्टअप शुरू करना जोखिम भरा काम है, क्योंकि उसमे सफलता की गारंटी नहीं होती। आज सफल कारोबारी महिलाओं की लिस्ट में शुमार हैं। फिनटेक इंडस्ट्री की जानी मानी कम्पनी मोबिक्‍विक (MobiKwik) की सीईओ हैं। आइए जानते हैं उपासना टाकू की सफलता की कहानी। 

अमेरिकी नौकरी छोड़कर लौटीं भारत, 17 साल किया जॉब

उपासना टाकू ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (PTU) से इंजीनियरिंग और स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस और इंजीनियरिंग में पोस्‍ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। कई कंपनियों में जॉब की। PayPal में प्रोडक्ट मैनेजर के अलावा HSBC कम्पनी में भी काम किया। 17 साल से ज्यादा समय तक नौकरी करने के बाद वह साल 2008 में अपना कारोबार शुरू करने के मकसद से भारत वापस आईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक वह मानती हैं कि भारत में यदि समस्याए हैं तो अवसर भी हैं। फाइनेंस से रिलेटेड जो बिजनेस करना चाहती थीं। उसके लिए भारत अच्छी जगह थी। 

भारत में एक माइक्रोफाइनेंस एनजीओ के लिए शुरू किया काम

तब उपासना के पैरेंट्स अफ्रीका में रहते थे। पिता अस्मारा विवि में ​भौतिक विज्ञान के प्रोफसर थे, जो इरिट्रिया में है, जबकि मां म्यूजिशियन थीं। बहरहाल, उपासना भारत लौटने के बाद अपना बिजनेस शुरू करना चाहती थीं। उन्होंने एक माइक्रोफाइनेंस एनजीओ दृष्टि के लिए काम शुरू किया, जो उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण इलाकों में काम करती थी। एक जगह उनकी मुलाकात​ बिपिन प्रीत सिंह से हुई, जो जॉब कर रहे थे। उनका भी सपना खुद का बिजनेस खड़ा करना था।

बिपिन प्रीत सिंह से हुई मुलाकात और 2009 में MobiKwik की शुरूआत

दो एक जैसे सोच के लोग मिले तो बस कारवां आगे बढ़ पड़ा। अब तक बिपिन प्रीत सिंह अपना काम शुरू करने के लिए नौकरी नहीं छोड़ पा रहे थे, क्योंकि परिवार को चलाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। हालांकि उन्होंने एक बेहतरीन कॉन्सेप्ट डेवलप किया था। उपासना ने उन्हें स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रेरित किया और साल 2009 में दोनों ने मिलकर बिजनेस की शुरूआत कर दी। उस समय किसी को नहीं पता था कि MobiKwik नाम से शुरू की गई एक छोटी सी कम्पनी आने वाले समय में फिनटेक इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम बनेगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, MobiKwik का टर्नओवर 8000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। साल 2011 में दोनों ने शादी रचा ली।

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