पिता बड़े वकील, बेटे को अफसर बनने की ऐसी लगी धुन...9 साल में 4 नौकरियां, 5 बार की असफलता को यूं दी मात

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Oct 3, 2024, 2:59 PM IST
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अमित गेमावत ने 5 बार यूपीएससी में असफलता के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और 9 साल के संघर्ष के बाद 4 सरकारी नौकरियां हासिल कीं, जिसमें 2019 में भारतीय वन सेवा (IFS) में सफलता पाना शामिल है। उनके पिता बड़े वकील थे, और अमित ने अफसर बनने के सपने को साकार कर दिखाया।

नई दिल्ली। राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले अमित गेमावत ने अपनी मेहनत से यह साबित किया कि असफलता किसी की अंतिम मंजिल नहीं होती। 5 बार यूपीएससी में असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 6वें प्रयास में कामयाबी हासिल की। अब भारतीय वन सेवा (आईएफएस) में अफसर हैं। उनकी यूपीएससी जर्नी स्ट्रगल और अनुशासन का बेहतरीन उदाहरण है और एस्पिरेंट्स के लिए इंस्पिरेशनल है। 

अधिकारियों की पर्सनॉलिटी से प्रभावित, यूपीएससी में जाने का निर्णय

अमित का परिवार शुरू से ही अनुशासन और शिक्षा पर विशेष ध्यान देता था। उनके पिता एक आपराधिक मामलों के वकील थे और अक्सर अधिकारियों से मिलते-जुलते थे। जब भी अधिकारी उनके घर आते, अमित उनके व्यक्तित्व और काम से बहुत प्रभावित होते। यही वो समय था, जिसने उनके मन में प्रशासनिक सेवा में जाने के बीज बोए। हालांकि, उस वक्त अमित को अंदाजा भी नहीं था कि यह सपना पूरा करने के लिए उन्हें कितना स्ट्रगल करना पड़ेगा।

जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग

अमित ने जोधपुर के प्रतिष्ठित एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की। हालांकि, इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उनका लक्ष्य सिविल सेवा ही था। उन्होंने अपनी पहली नौकरी उसी कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर शुरू की, लेकिन मन में अफसर बनने की धुन हमेशा बनी रही। इस नौकरी के साथ ही उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।

2014 में यूपीएससी का पहला अटेम्पट, लगातार चार बार इंटरव्यू तक

साल 2014 में अमित ने पहली बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी। पहली बार में ही वे प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) में सफल हो गए, लेकिन मेंस परीक्षा पास नहीं कर सके। यह उनके लिए पहला बड़ा झटका था। हालांकि, यह सिर्फ शुरुआत थी। अगले साल फिर से उन्होंने परीक्षा दी, और इस बार इंटरव्यू तक पहुंच गए, लेकिन फाइनल मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए। इसके बाद लगातार चार प्रयासों में वह इंटरव्यू तक तो पहुंचे, लेकिन सफलता उनके हाथ से बार-बार फिसलती गई।

5 बार असफलता के बाद 6वें प्रयास में सक्सेस

लगातार पांच बार असफल होने के बावजूद अमित ने हिम्मत नहीं हारी। कई लोग इतने प्रयासों के बाद निराश होकर दूसरी दिशा में चले जाते हैं, लेकिन अमित का फोकस एकदम स्पष्ट था, उन्हें सिविल सेवा में ही जाना था। उन्होंने अपने प्रयासों को जारी रखा और 6वें प्रयास में पूरी तैयारी के साथ एक बार फिर से परीक्षा में बैठे।

2017 में राज्य सिविल सेवा के जरिए बने लेखाकार

हालांकि, यूपीएससी में असफल होते हुए भी अमित ने अपने विकल्प खुले रखे थे। उन्होंने 2017 में राजस्थान राज्य सिविल सेवा की परीक्षा दी, जिसमें उनका चयन लेखाकार (Accountant) के पद पर हुआ। उन्होंने इस पद पर करीब दो साल तक काम किया, लेकिन उनका अंतिम लक्ष्य यूपीएससी ही था। इस दौरान भी वे लगातार सिविल सेवा की तैयारी में लगे रहे।

2019 में यूपीएससी और आईएफएस में डबल सक्सेस

साल 2019 अमित के जीवन का सबसे निर्णायक साल साबित हुआ। उन्होंने इस साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के साथ-साथ भारतीय वन सेवा (IFS) की परीक्षा भी दी। अमित की मेहनत और समर्पण का परिणाम आखिरकार 2020 में मिला, जब उन्होंने दोनों परीक्षाओं में सफलता हासिल की।

यूपीएससी में 672वीं और आईएफएस में 67वीं रैंक

अमित ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 672वीं रैंक हासिल की और उन्हें दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पुलिस सेवा (DANIPS) के लिए चुना गया। वहीं, भारतीय वन सेवा (IFS) की परीक्षा में उन्हें 67वीं रैंक मिली। यह वो क्षण था, जब उन्होंने भारतीय वन सेवा को चुना और अपने अफसर बनने के सपने को साकार किया।

असफलता को बनाया सीखने का जरिया


अमित की यात्रा यह दिखाती है कि असफलता से घबराने की बजाय उसे सीखने का जरिया बनाना चाहिए। पांच बार इंटरव्यू तक पहुंचने के बावजूद असफलता से वे कभी हताश नहीं हुए। हर बार उन्होंने अपनी कमियों को पहचाना और अगले प्रयास में सुधार किया। धैर्य और अनुशासन ने ही उन्हें आखिरकार मंजिल तक पहुंचाया।

छोटा भाई भी हुआ इंस्पायर, दूसरे अटेम्पट में आईएएस

अमित के संघर्ष और समर्पण ने उनके छोटे भाई शिशिर गेमावत को भी प्रेरित किया। शिशिर ने अमित को देख कर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और 2017 में अपने दूसरे प्रयास में आईएएस अधिकारी बन गए। इस तरह अमित न केवल खुद सफल हुए, बल्कि अपने परिवार के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए।

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