प्रधानमंत्री के संबोधन में दिखीं भविष्य की यह 6 प्रमुख चुनौतियां और उनका समाधान

By Anshuman Anand  |  First Published Aug 15, 2019, 7:29 PM IST

आजादी के जश्न के दौरान लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अभिभाषण में कुछ खास संकेत दिखाई दिए। यह भविष्य की चुनौतियों से संबंधित थे।  प्रधानमंत्री ने इन चुनौतियों का जिक्र इनके समाधान के जरिए किया। लेकिन पीएम द्वारा विशेष तौर पर इन बातों का जिक्र यह बताता है कि समस्याएं गंभीर हैं और इनके समाधान के लिए आम जनता को आगे आना पड़ेगा। 
 

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने अपने अभिभाषण में कुल छह गंभीर समस्याओं के संकेत दिए। खतरे के यह 6 संकेत हैं- 
-पड़ोसियों से बढ़ता खतरा
-खेती योग्य भूमि की खराब हालत
-जल संकट
-प्लास्टिक प्रदूषण
-जनसंख्या विस्फोट की स्थिति
-बढ़ती जन अपेक्षाएं।

1. संयुक्त सैन्य कमांड की जरुरत 
प्रधानमंत्री ने संयुक्त सैन्य कमांड यानी चीफ ऑफ डिफेन्स का नया पद सृजित करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान 8.42 मिनट पर कहा कि  'हमारी पूरी सैन्य शक्ति को एक साथ आगे बढ़ना है। जल, थल और नभ एक साथ आगे बढ़े क्योंकि एक के आगे बढ़ने से नहीं चलता है। आज मैं एक महत्वपूर्ण घोषणा करता हूं। चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) की घोषणा करता हूं। इससे तीनों सेवाओं को एक महत्वपूर्ण पद मिलेगा। सैन्य शक्तियों में सामंजस्य की जरूरत है। तीनों सेनाओं का एक प्रमुख होगा। सरकार की नीति साफ है। हमारे सुरक्षा कर्मियों और सुरक्षा एजेंसियों ने बेहतरीन काम किया है। संकट की घड़ी में घड़े होकर हमारे बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने शानदार काम किया। सैन्य रिफॉर्म की जरूरत है, सरकारों और कमेटियों ने कई प्रयास किए हैं लेकिन इन बातों को लगातार कहा गया है। हमारी तीनों सेवाओं के बीच कॉर्डिनेशन है। हम आधुनिकता के लिए भी तैयार है'।

प्रधानमंत्री की इस खास उद्घोषणा से स्पष्ट है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंध बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में हमें किसी तरह की परिस्थिति के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। 

दरअसल करगिल युद्ध के बाद और राजीव गांधी के समय से चीफ ऑफ डिफेन्स की मांग जोर शोर से उठी थी।  करगिल रिव्यू कमिटी ने तो यह भी पाया था कि युद्ध के दौरान सेना की विभिन्न शाखाओं के बीच संचार और प्रभावी तालमेल की कमी थी। इस चीज को देखते हुए कमिटी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाने का सुझाव दिया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने की जिम्मेदारी और सैन्य मसलों पर सरकार के लिए सिंगल पॉइंट सलाहकार के तौर पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपने का सुझाव दिया गया। 
 
अब प्रधानमंत्री ने विशेष तौर पर चीफ ऑफ डिफेन्स नियुक्त करने की जो घोषणा की है उसके पीछे कहीं न कहीं कश्मीर प्रकरण के बाद पाकिस्तान और चीन की तरफ से बढ़ते खतरे का संकेत है। क्योंकि पाकिस्तान जहां इसके खिलाफ कई बार जंग की धमकी दे चुका है। वहीं चीन भी लद्दाख को अपना भू भाग बताने संबंधी बयान दे रहा है। यह स्थिति कभी भी सशस्त्र झड़प में बदल सकती है। 

2.कृषि योग्य भूमि की बुरी स्थिति
हमारा देश कृषि प्रधान है। आज भी हमारी अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान खेती और उससे पैदा हुए उत्पादों का है। अच्छी फसल के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है मिट्टी की अच्छी स्थिति। लेकिन प्रधानमंत्री को मजबूर होकर बोलना पड़ा कि 'अपने किसान भाईयों से कुछ मांगना चाहता हूं। ये धरती हमारी मां हैं। भारत माता की जय बोलते ही हमारे मन में ऊर्जा पैदा होती है, क्या हमने कभी धरती माता के स्वास्थ्य की चिंता की है। हमने कैमिकल का प्रयोग का प्रयोग कर इस धरती माता को तबाह किया है। मेरी धरती माता को सूखी करने, बीमार करने का मुझे हक नहीं है। आजादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं, आइए वादा करते हैं कि हम कैमिकल का प्रयोग नहीं करेंगे या कम करेंगे। ये धरती मााता को बचाने का काम आपका है। मुझे विश्वास है कि किसान ये मांग पूरी करेंगे और मुझे निराश नहीं करेंगे'। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान 8.58 मिनट पर यह बात कही। 

प्रधानमंत्री को यह अपील करने की जरुरत इसलिए पड़ी क्योंकि रासायनिक खाद का लंबे समय तक प्रयोग करने से देश की कृषि योग्य भूमि का बड़ा हिस्सा बंजर होने की कगार पर पहुंच गया है। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में सॉयल हेल्थ कार्ड(मिट्टी की गुणवत्ता से संबंधित) जारी किया था। जिसके आंकड़े खेती योग्य भूमि की स्थिति के बारे में चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। 

देश में कृषि के क्षेत्र में किसी तरह की हानि उसकी जीडीपी पर बेहद बुरा असर डालेगी। प्रधानमंत्री यह बखूबी जानते हैं। यही वजह है कि उन्होंने किसानों से धरती माता की सेहत बरकरार रखने की अपील की है। 

3. गंभीर जल संकट की तरफ इशारा 
लाल किले से अपने अभिभाषण के दौरान प्रधानमंत्री ने 8.15 मिनट पर कहा कि 'जिस तरह लोगों ने स्वच्छता के लिए अभियान चलाया, अब समय आ गया है कि पानी को बचाने के लिए भी कुछ ऐसा ही किया जाए। पानी को बचाने के लिए हमें 4 गुना रफ्तार से काम करना होगा'।

प्रधानमंत्री को जल बचाने की अपील इसलिए करनी पड़ी क्योंकि भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता में जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। मानसून के समय भरपूर बारिश होने के बाद भी देश के कई हिस्सों में जबरदस्त सूखा पड़ता है। इसका समाधान वर्षा जल प्रबंधन और जल के दुरुपयोग को रोकने से होगा। प्रधानमंत्री ने इसके लिए ही अभियान चलाने की बात कही है। उन्होंने पानी बचाने के लिए 4 गुना गति की जरुरत इसलिए बताई क्योंकि देश में जल संकट कई गुना तेजी से पांव पसार रहा है। 

4.प्लास्टिक प्रदूषण का बढ़ता खतरा
प्रधानमंत्री के हर एक बात का सांकेतिक महत्व होता है। जब वह किसी बात पर विशेष बल देकर कुछ कहते हैं तो समझिए इसके पीछे गंभीर निहितार्थ हैं। इसे समझते हुए हमें पहले से संभल जाना चाहिए। 

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान 8.51मिनट पर कहा कि ' 2 अक्टूबर को देश से प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति दिलाएं। इसके लिए कारोबारी आगे आएं। दिवाली पर प्लास्टिक की की जगह कपड़े के झोले यूज करें। ग्राहकों को कपड़े के थैले लिए के लिए  दुकानदार प्रेरित करें'। 

इस अपील का मतलब स्पष्ट है कि देश में प्लास्टिक से हो रहा प्रदूषण गंभीर रुप लेता जा रहा है। इसके लिए हमें अपनी आदतों में सुधार करने की जरुरत है।    

5. बढ़ती आबादी के बोझ से कराह रही है धरती
भारत की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। कुछ ही सालों में भारत की आबादी चीन से ज्यादा होने की संभावनाएं जताई गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने भाषण के दौरान इस समस्या की ओर संकेत किया है। 

उन्होंने 8.10 बजे कहा कि 'देश में जनसंख्या बढोत्तरी एक बड़ी चुनौती है। जनसंख्या विस्फोट हमारे लिए चुनौती है। आने वाली पीढी के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। मैं चाहूंगा कि हम सभी समाज के लोग इस मुद्दे को समझें। हमारे घर में शिशु के आने से पहले हमें सोचना होगा कि क्या हमने उसकी आवश्यकताओं को पूरा कर पाऊंगा या समाज के भरोसे छोड़ दूंगा। इसके लिए एक सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। जनसंख्या वृद्धि की हमें चिंता करनी ही होगी। हम अस्वथ्य समाज और अशिक्षित समाज नहीं छोड़ सकते हैं'। 

कुछ दिनों पहले खबर आ रही थी कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लेकर आने पर विचार कर रही है। देश में बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार इस तरह का कदम उठा सकती है। क्योंकि बढ़ती आबादी के कारण देश के संसाधनों पर बोझ बढ़ता जा रहा है। 

6. तेज गति से बढ़ती लोगों की उम्मीदें
लाल किले से अपने अभिभाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मजाकिया लहजे में जनता की बढ़ती आकांक्षाओं की तरफ इशारा किया। 

उन्होंने कहा कि 'आज नागरिक ट्रेन नहीं, वंदे मातरम एक्सप्रेस मांगते हैं। आज जनता बिजली के तार नहीं ये पूछती है कि 24 घंटे बिजली कब आएगी। आकांक्षी भारत के लिए जागरूकता सबसे बड़ी बात है। हम सब मिलकर देश के लिए सोचते हैं। 

दरअसल यह किसी भी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मोदी सरकार ने अपने काम काज से देश की सरकारों के काम काज का ऐसा कीर्तिमान खड़ा किया है। जिससे जनता की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। ऐसे में किसी भी सरकार के लिए इससे मुकाबला करना बड़ी चुनौती होता है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने तो लोगों को जीने के अधिकार से आगे बढ़ते हुए आसानी से जीने के अधिकार की भी बात की। उन्होंने कहा कि 'सरकारे लोगों की जिंदगी से बाहर हों।  ना सरकार का दवाब हो और ना सरकार का अभाव हो। रोजमर्रा की जिदंगी में सरकारी दखल कम हुई है। ईज ऑफ लिविंग भारत की जरूरत है जिसे हम बल दे रहे हैं। हम इसमें बहुत कुछ करने में सफल हुए हैं'।

ऐसे में जनता की अपेक्षाएं बढ़ती जाना स्वाभाविक ही है। 

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