आसाराम बापू को 2013 में बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह यौन इच्छाओं से दूर रहने के बारे में उपदेश देता था लेकिन उसकी वास्तविकता कुछ और ही थी। आसाराम बापू की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह है। वह फर्श से अर्श तक पहुंचा और फिर उसका बुरी तरह पतन हुआ।
नई दिल्ली: आसाराम का जन्म 17 अप्रैल, 1941 को सिंध प्रांत के एक छोटे से गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उसने अजमेर में तांगा चालक के रूप में अपनी जीवन यात्रा शुरू की। उसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी माँ से ध्यान सीखा और संन्यास ग्रहण करने के लिए 15 साल की उम्र में अपना घर बार छोड़ दिया।
आसाराम ने 23 साल की उम्र से खुद आध्यात्मिक गुरु में पेश करना शुरु किया और महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के बिल्कुल नजदीक अपना ठिकाना तैयार किया। उसने धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपने साम्राज्य का विस्तार किया और भारत सहित दुनिया भर में सैकड़ों आश्रम तैयार किए। साल 2008 तक उसका आर्थिक साम्राज्य लगभग 5000 करोड़ रुपए का हो गया।
आसाराम के पतन की शुरुआत साल 2008 से होने लगी। जब उसके आश्रम के करीब से दो भाइयों के बरामद किए गए, जिनके अधिकांश अंग गायब थे। इसके बाद आसाराम के खिलाफ सूरत में जमीन हड़पने का मामला सामने आया। लेकिन उसके ताबूत में अंतिम कील तब लगी जब सूरत की दो बहनों ने उनके खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज किए। जिसमें से एक लड़की की उम्र महज 16 साल थी।
आसाराम के फर्जीवाड़े की पूरी कहानी आप यहां देख सकते हैं-
आसाराम कभी भी महिलाओं से सीधे तौर पर संपर्क नहीं करता था। इसकी बजाए वह अपने विश्वासपात्र कर्मचारियों शरतचंद्र, शिल्पी और शिव के माध्यम से लड़कियों अपने पास आने के लिए बहकाता था। आसाराम की हरकतें एक पेशेवर अपराधी की तरह थी और वह अपने कारनामों का कोई सुराग नहीं छोड़ता था। उसने अपने पास कभी मोबाइल फोन नहीं रखा और हमेशा अपने रसोइए के फोन का इस्तेमाल करता था। इसके बजाय अपने कुक के फोन का इस्तेमाल करेंगे। वह पीड़ितों को कभी भी सीधे तौर पर उनके नाम से भी नहीं बुलाता था बल्कि उन्हें अपने अंधेरे कमरे में बुलाने के लिए टॉर्च की रोशनी से संकेत देता था।
पिछले कुछ सालों में उसके खिलाफ ट्रायल शुरु होने के बाद नौ गवाहों पर जानलेवा हमले किए गए। जिसमें से तीन की तो मौत भी हो गई। हालांकि, उसकी वेबसाइट अभी भी कहती है कि वह निर्दोष है और उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। आसाराम के मोटेरा आश्रम में अभी भी दिन में तीन बार रोजाना सत्संग होता है और अब तक उसके अनुयायी उसमें भरोसा करते हैं।