इस गणतंत्र दिवस की परेड में 22 ही झांकियों को प्रदर्शित किया जाएगा। हालांकि परेड के लिए कुल 56 झांकियों के प्रस्ताव आए थे। लेकिन कमेटी ने केवल 22 को चुना गया है। केन्द्र सरकार को राज्यों एवं केंद्रशासित राज्यों की तरफ से 32 और केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से 24 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। जिसमें से 22 झांकियों को मंजूरी मिली है।
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड में शामिल होने वाली पर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने 26 जनवरी को महाराष्ट्र और बंगाल की झांकी को शामिल न करने पर केन्द्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। हालांकि केन्द्र सरकार का कहना है नियमों के तहत ही झांकियों को शामिल किया गया है। हालांकि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पहले से ही केन्द्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाती आई हैं। लेकिन अब इस में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार का नाम जुड़ गया है।
हालांकि पिछले साल गणतंत्र दिवस पर पश्चिम बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किया गया था। इस गणतंत्र दिवस की परेड में 22 ही झांकियों को प्रदर्शित किया जाएगा। हालांकि परेड के लिए कुल 56 झांकियों के प्रस्ताव आए थे। लेकिन कमेटी ने केवल 22 को चुना गया है। केन्द्र सरकार को राज्यों एवं केंद्रशासित राज्यों की तरफ से 32 और केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से 24 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। जिसमें से 22 झांकियों को मंजूरी मिली है।
अब विपक्षी दलों ने इसे एक बड़ा मुद्दा बना लिया है और उनका कहना है कि केन्द्र सरकार झांकियों पर राजनीति कर रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि बंगाल और महाराष्ट्र की झांकियों को शामिल न कर भाजपा सरकार भेदभाव कर रही है। जबकि इन राज्यों की झांकियों को शामिल करना चाहिए था। पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस ने इसे राज्य का अपमान बताया है और केन्द्र सरकार राज्य के साथ भेदभाव कर रही है।
वहीं महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी एनसीपी ने इसे केन्द्र सरकार का अहंकार बताया है। उधर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि केन्द्र सरकार की जिद के कारण पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की झांकी गणतंत्र दिवस में नहीं दिखेगी। हालांकि पिछले साल भी गणतंत्र दिवस के मौके पर बंगाल की झांकी को परेड में शामिल नहीं किया गया था।