पिछले पांच सालों में कैसे भारतीय रेलवे पर दिखा मोदी का असर, जानिए छह मुख्य बातें

By Dhaval Patel  |  First Published Feb 25, 2019, 7:56 PM IST

पिछले पांच सालों में भारतीय रेलवे का पूरी तरह कायाकल्प हो गया है। या फिर यूं कहें कि ट्रेनें मोदी के रंग में रंग गई हैं। आईए नजर डालते हैं भारतीय रेलवे की इस गौरवशाली उपलब्धि के छह प्रमुख बिंदुओं पर- 

पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेलवे का पूरी तरह कायाकल्प हो गया है। देश की सबसे तेज गति से चलने वाली स्वदेशी ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस से लेकर भारतीय रेल ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं।  

आईए आपको दिखाते हैं पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेल में कौन से छह बड़े बदलाव हुए। 

1.वंदे भारत एक्सप्रेस

यह भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन है, जिसे हाल ही में प्रधानमंत्री ने झंडी दिखाकर रवाना किया। यह देश की पहली बिना इंजन की ट्रेन है। यह तेज गति से चलने वाली ट्रेन शताब्दी से 10 से 15 फीसदी तेज गति से यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है। इसका निर्माण इंटेगरल कोच फैक्ट्री चेन्नई के काबिल इंजीनियरों ने 18 महीने में किया। यह 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा की है कि यह भारतीय रेलवे के भविष्य की रुपरेखा दिखाती है। 

2.रेलवे और एल्सटॉम ने मेक इन इंडिया के तहत लोकोमोटिव का विकास किया

भारतीय रेलवे ने फ्रांस के एल्सटॉम एसए के साथ मिलकर 12 हजार एचपी लोकोमोटिव का निर्माण मधेपुरा की फैक्ट्री में किया। यह काम पूरी तरह मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत हुआ और यह निर्यात के उद्देश्य से भी अहम है। यह देश के लिए गर्व का विषय है। यह लोकोमोटिव छह हजार टन वजन उठा सकता है और इसकी अधिकतम स्पीड 120किलोमीटर प्रति घंटे है। 

भारतीय रेलवे सभी डीजल लोकोमोटिव को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना बना रही है। जिसकी वजह से इनका प्रदर्शन सुधर जाएगा और यह पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहतर होगा। 

3. लिंक हॉफमैन बुश कोचों का अधिकतम संख्या में निर्माण

पिछले पांच सालों में आश्चर्यजनक रुप से तेज गति से कोचों का निर्माण हुआ। भारत जल्दी ही इनका निर्यात भी करेगा। भारतीय रेलवे ने पिछले दो सालों में जितने एलएचबी(लिंक हॉफमैन बुश) कोचों का निर्माण किया है उतना पिछले 17 सालों में भी नहीं हुआ। रेलवे ने साल 2017 और 2018 में 5500 कोचों का निर्माण किया। जबकि साल 2001 से लेकर मार्च 31 2016 तक 4020 कोचों का ही निर्माण हुआ था। साल 2016 से 2017 के बीच तो मात्र 1470 कोचों का ही निर्माण किया गया था। 

4. सभी स्टेशनों पर एलईडी, सोलर पैनल और वाईफाई लगाना

क्या आपने पहले कभी सोचा था कि सभी रेलवे स्टेशनों पर 100 फीसदी एलईडी लगाई जा सकेगी? लेकिन यह हो गया है। एलईडी लाइटें पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, कम बिजली खाती है और यह ज्यादा अच्छी रोशनी देती हैं जो कि ज्यादा सुंदर लगती है। दुनिया में पहली बार रेल के डिब्बों पर सोलर पैनल भी लगाए गए हैं। 


प्रति पैनल 300 WP का उर्जा उत्पादन करने वाले 16 सोलर पैनल, जो कि ट्रेन की छह कोचों पर लगाए गए हैं, उनसे बैटरी द्वारा कम से कम 72 घंटों तक रोशनी की जा सकती है। मेक इन इंडिया के तहत इन सोलर पैनलों के निर्माण पर 54 लाख रुपए का खर्च आता है। आज देश के लगभघ सभी बड़े स्टेशनों पर यात्रियों को मुफ्त वाईफाई की सुविधा उपलब्ध है। 

5. रेलवे का विद्युतीकरण और सुरक्षा अपने चरम पर

नए इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के लिए रेल लाइनों का विद्युतीकरण जरुरू है। सरकार ने तेज गति से काम करते हुए साल 2017-18 में 4087 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण कर दिया है। क्या आप यकीन करेंगे. कि 4943 मानवरहित फाटकों को हटा दिया गया है और यहां सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं। मानवरहित फाटकों की वजह से हमेशा दुर्घटनाएं होती रही हैं। लेकिन अब इनकी संख्या में कमी आती जा रही है। जहां साल 2009-10 में 65, 2010-11 में 48, 2011-12 में 54, 2012-13 में 53, 2013-14 में 47, 2014-15 में 48, 2015-16 में 29, 2016-17 में 20, 2017-18 में 10 जबकि 2018-19 में मात्र तीन मौतें मानवरहित फाटकों पर हुईं।    

6. रेलवे स्टेशनों पर उच्चस्तरीय सुविधाएं
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