सरकार को बने पौने दो साल होने वाले हैं और अभी तक राज्य सरकार अपने नेताओं को निगम और प्राधिकरणों में खाली पड़े अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पदों पर नियुक्त नहीं कर पायी है। लिहाजा संगठन और सरकार पर नेताओं का बढ़ता दबाव देखते हुए योगी सरकार राज्य में मकर संक्रांति के बाद निगमों, आयोगों और बोर्डों में खाली पड़े इन पदों पर नियुक्ति कर सकती है।
-सरकार पर है निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष नियुक्त करने का दबाव
तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा में राज्य सरकार के खिलाफ नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है। सरकार को बने पौने दो साल होने वाले हैं और अभी तक राज्य सरकार अपने नेताओं को निगम और प्राधिकरणों में खाली पड़े अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पदों पर नियुक्त नहीं कर पायी है। लिहाजा संगठन और सरकार पर नेताओं का बढ़ता दबाव को देखते हुए योगी सरकार राज्य में मकर संक्रांति के बाद निगमों, आयोगों और बोर्डों में खाली पड़े इन पदों पर नियुक्ति कर सकती है।
असल में राज्य संगठन की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस बारे में बातचीत भी हो चुकी है। संगठन ने साफ कह दिया है कि संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ता नाराज हो रहे हैं। अगर ऐसा ही हाल रहा तो कार्यकर्ताओं को मनाना मुश्किल होगी। तीन राज्यों में हुए चुनाव में भाजपा को कार्यकर्ताओं की नाराजगी के कारण सत्ता खोनी पड़ी है। राज्य सरकार की इस सिलसिले मे दिल्ली में भाजपा आलाकमान से बातचीत भी हो चुकी है।
ऐसा माना जा रहा है कि अगर सब ठीकठाक रहा तो मकर संक्रांति के बाद भाजपा निगमों और प्राधिकरणों में खाली पड़े पदों पर अपने नेताओं को नियुक्त करेगी। पार्टी संगठन की तरफ से निगमों के अध्यक्षों के खाली पड़े पदों पर नियुक्ति करने के लिए सरकार को लिखा जा चुका है। ताकि कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्मान दिया जा सके और नाराज नेताओं की नाराजगी दूर की जा सके। इन नामित पदों की तादाद 350 के आसपास है। पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय और सामाजिक समीकरणों के मुताबिक अपने समाज के जिन प्रभावी नेताओं के नाम की अनुशंसा करेगी, सरकार उस पर सहमति जताकर आदेश जारी करेगी।
राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त इन नामित पदों पर विभिन्न जातियों के प्रभावशाली नेताओं को बिठाने के लिए उसने एक फार्मूला बनाया है। इसके तहत अति पिछड़ी व पिछड़ी जातियों को 50 फीसदी और अति दलित व दलितों को 15 फीसदी नामित पद देगी। इस तरह पिछड़ों व दलितों को 65 फीसदी देने के बाद बाकी 35 फीसदी अगड़ी जातियों को इन नामित पदों में हिस्सा देगी।