रामगोपाल और आजम की बली लेकर शिवपाल को ‘बाहुबली’ घोषित कर सकेंगे अखिलेश!

By Harish Tiwari  |  First Published Sep 30, 2019, 10:33 AM IST

रविवार को ही सपा के विधानसभा में नेता रामगोविद चौधरी ने बयान दिया है कि अगर शिवपाल अपनी पार्टी का सपा में विलय करा लें तो उनकी विधानसभा की सदस्यता बरकरार रह सकती है। वहीं कुछ दिन पहले अखिलेश ने खुलेतौर पर बयान दिया था कि अगर कई पार्टी में आना चाहता है तो उसका स्वागत है। जब उनसे पूछ गया कि शिवपाल को भी पार्टी में लिया जा सकता है तो उन्होंने कहा कि सपा में लोकतंत्र है। ये नियम सबके लिए लागू है।

लखनऊ। समाजवादी पार्टी राज्य में अपना राजनैतिक वजूद बचाने के लिए कई पार्टी के दिग्गज नेता रहे और बागी शिवपाल यादव के पार्टी में फिर से लेने के लिए आतुर हो रही है। सपा की तरफ से कई नेताओं के बयान बार बार आ रहे हैं। वहीं शिवपाल भी परिवार में एकता की वकालत कर रहे हैं। लेकिन अब सवाल ये है कि पार्टी में शिवपाल से धुरविरोधी माने जाने वाले पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव और आजम खान को नाराज कर अखिलेश शिवपाल को पार्टी में फिर से और ज्यादा मजबूत कर सकेंगे। अगर ऐसा होता है तो जाहिर है शिवपाल पार्टी में बाहुबली के तौर पर उभरेंगे और रामगोपाल और आजम खान की पार्टी में ताकत कम होगी।

रविवार को ही सपा के विधानसभा में नेता रामगोविद चौधरी ने बयान दिया है कि अगर शिवपाल अपनी पार्टी का सपा में विलय करा लें तो उनकी विधानसभा की सदस्यता बरकरार रह सकती है। वहीं कुछ दिन पहले अखिलेश ने खुलेतौर पर बयान दिया था कि अगर कई पार्टी में आना चाहता है तो उसका स्वागत है। जब उनसे पूछ गया कि शिवपाल को भी पार्टी में लिया जा सकता है तो उन्होंने कहा कि सपा में लोकतंत्र है। ये नियम सबके लिए लागू है।

लेकिन सपा की तरफ से आ रहे बार बार बयानों से लग रहा है कि कमजोर हो रहे संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी शिवपाल को पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार है। जबकि शिवपाल पहले ही कह चुके हैं कि कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि परिवार में एकता हो। उनका इशारा साफतौर से रामगोपाल यादव की तरफ है। रामगोपाल को सपा में शिवपाल सिंह का बड़ा विरोधी माना जाता है। हालांकि पार्टी छोड़ने से पहले शिवपाल ने रामगोपाल यादव के साथ ही बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की थी। यही नहीं शिवपाल सिंह रामगोपाल को जन्मदिन की बधाई देने के लिए फिरोजाबाद भी गए थे।

लेकिन बाद में कोई सकारात्मक रूख न दिखने के बाद शिवपाल ने पार्टी छोड़ दी थी। शिवपाल को सपा के निष्कासित सांसद अमर सिंह का भी करीबी माना जाता है और अमर सिंह और आजम खान की रंजिश जगजाहिर है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि अगर शिवपाल अपनी पार्टी समाजवादी प्रगतिशील पार्टी (लोहिया) का विलय सपा में कराते हैं तो पार्टी में उनकी भूमिका क्या रहेगी। सपा में शिवपाल के आने से अभी तक सपा में खामोश बैठा खेमा भी शिवपाल के पक्ष में आ जाएगा और ऐसे में रामगोपाल और आजम खान की स्थिति कमजोर होगी।

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