इस मंदिर में बाढ़ आने से लोग होते हैं खुश

By Team Mynation  |  First Published Sep 6, 2018, 4:26 PM IST

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिससे हर कोई बचना चाहता है। लेकिन भारत के इस अनूठे मंदिर में बाढ़ का पानी घुसने पर खुशियां मनाई जाती हैं। यह मंदिर इलाहाबाद में संगम के किनारे है।

बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिससे हर कोई बचना चाहता है। लेकिन भारत के इस अनूठे मंदिर में बाढ़ का पानी घुसने पर खुशियां मनाई जाती हैं। यह मंदिर इलाहाबाद में संगम के किनारे है। हनुमान जी का यह अनोखा मंदिर गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर मौजूद है।

यहां पर बजरंगबली आराम की मुद्रा में लेटे हुए हैं, जिन्हें हर साल मां गंगा खुद स्नान कराती हैं। ये अदभुत व अनोखी हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लंबी है। पूरे भारत में हनुमान जी की यह ऐसी इकलौती प्रतिमा है जो लेटी हुई मुद्रा में है। ऐसी मान्यता है कि अगर संगम में डुबकी लगाने के बाद हनुमान जी के दर्शन नहीं किया जाए, तो तीर्थस्नान का पुण्यलाभ नहीं मिल पाता है।

संगम स्नान का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस रूप के दर्शन के बाद ही पूरा होता है। इस मंदिर को इलाहाबाद में बड़े हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जो संगम तट के पास और अकबर के किले के नज़दीक विराजमान हैं। इस मंदिर का  विहंगम दृश्य मां गंगा के बाढ़ के उफान के समय देखने को मिलता है जब स्वयं मां गंगा इनके द्धार पर आकर स्नान कराती हैं।

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कहा जाता है कि लंका पर विजय के बाद देवी सीता ने हनुमान जी को आराम करने के लिए कहा था इसके बाद उन्होंने तीर्थों के राजा कहे जाने वाले प्रयाग में आकर इसी पवित्र स्थान पर विश्राम किया था। इस सिद्ध प्रतिमा का अभिषेक खुद मां गंगा अपने जल से हर साल करती हैं और लेटे हनुमान जी को स्नान कराने के बाद वो वापस लौट जाती हैं कहा जाता है कि गंगा का जल स्तर तब तक बढ़ता रहता है।

 जब तक कि गंगा हनुमान जी की मूर्ति को स्पर्श नहीं कर लेती, इसके बाद गंगा का जल स्तर अपने आप घटने लगता है और धीरे धीरे सामान्य हो जाता है। लहरों के उफान का यह दृश्य को देखने के लिए हजारों लोग वहां रोज़ पहुंच रहे हैं। काफी लोगों के लिए यह चमत्कार जैसा ही लगता है मां गंगा जब स्नान कराकर पीछे चली जाती हैं तब रीति-रिवाज़ के हिसाब से पूजा-अर्चना होती है।

उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर पट के द्वार पूजन व दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। बड़े हनुमान जी की इस भव्य मूर्ति के बारे में प्राचीन किदवंती है जिसमें कहा जाता है कि अंग्रेज़ों के समय में उन्हें खोदकर सीधा खड़ा करने की कोशिश किया गया था, लेकिन वे असफल रहे थे जैसे-जैसे लोगों ने ज़मीन को खोदने की कोशिश की तो मूर्ति और नीचे धंसती चली गई।

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