अयोध्या मामलाः सरकार के कदम से भड़के मुस्लिम पक्षकार, हाजी महबूब का विवादित बयान

By Team MyNationFirst Published Jan 29, 2019, 2:57 PM IST
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अयोध्या में गैर-विवादित जमीन को वापस लौटाने की अर्जी देने पर साधु-संतों की भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने फैसले का स्वागत किया है।

सुप्रीम कोर्ट में राममंदिर विवाद पर चल रही सुनवाई के बार-बार टलने के बीच एक नया मोड़ आ गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अयोध्या में गैर-विवादित जमीन पर यथास्थिति हटाने की मांग की है। इस पर अयोध्या के साधु-संतों और बाबरी मस्जिद के पैरोकारों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार की अर्जी का स्वागत किया है। वहीं मामले में एक मुस्लिम पक्षकार ने इस कदम को लेकर विवादित बयान दे दिया है। 

बाबरी मस्जिद के दूसरे पक्षकार हाजी महबूब ने सरकार के कदम तीखी प्रतिक्रिया देते हुए एक टीवी चैनल से कहा, 'सरकार का यह एक बड़ा 'खेल' है और 'अगर ऐसा हुआ तो पूरा मुल्क जलेगा, ये मुल्क बचेगा नहीं।'

We know that it’s a big game. If this happens, the entire country will burn: Haji Mehboob, Petitioner pic.twitter.com/mHj8C1Oo4S

— TIMES NOW (@TimesNow)

उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी सरकार के इस तरह के किसी फैसले का विरोध करने की तैयारी में हैं। जिलानी ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार की इस तरह की किसी भी पहल का विरोध करेगी, क्योंकि अधिगृहीत जमीन में कुछ जमीन मुसलमानों की भी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में अधिगृहीत जमीन के बारे में जो सलाह दी थी उसके अनुसार वहां किसी भी हालत में सरकार मंदिर का निर्माण नहीं कर सकती। जिलानी ने साफ किया एक बार सुप्रीम कोर्ट सरकार की अपील स्वीकार कर ले तो उसके बाद वह अपने कानूनी दांव खोलेंगे।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'हम केंद्र के इस कदम का स्वागत करते हैं। हम पहले भी कह चुके हैं कि हमें गैर-विवादित जमीन के इस्तेमाल की अनुमति मिलनी चाहिए।'  

UP CM on Centre moves SC seeking permission for release of excess vacant land acquired around Ayodhya disputed site&be handed over to Ramjanambhoomi Nyas: We welcome the move by the Centre. We have been saying that we should get permission to use the undisputed land. pic.twitter.com/ZW1GPMadPf

— ANI UP (@ANINewsUP)

रामजन्मभूमि मंदिर के पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि केंद्र सरकार अविवादित 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि को वापस ले सकती है लेकिन जबतक गर्भगृह की विवादित जमीन पर फैसला नहीं होता मंदिर निर्माण नहीं शुरू हो सकता। उन्होंने कहा, 'कोर्ट लगातार तारीख देकर मंदिर-मस्जिद केस की सुनवाई टाल रहा है। इस पर जल्द फैसला आना चाहिए या सरकार संसद में कानून बना कर इस विवाद का हल कर अपने वादे पर खरा उतरे।' 

उधर, रामजन्म भूमि न्यास के रामविलास वेदांती ने कहा कि 67 एकड़ जमीन की वापसी की याचिका केंद्र सरकार का देर से उठाया गया पर अच्छा कदम है। उन्होंने कहा, 'यह याचिका 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी उसी समय दायर होनी चाहिए थी। अब तक मंदिर का निर्माण भी चलता रहता और कोर्ट का फैसला भी आ गया होता। अब अगर कोर्ट में याचिका पर निर्णय होकर अविवादित जमीन न्यास को वापस मिल जाती है तो मंदिर निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।' 

विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, 'हम सरकार द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करते हैं।' उन्होंने कहा, 'तत्कालीन सरकार ने 1993 में कुल 67.703 एकड़ जमीन अधिगृहीत कर ली थी। इसमें राम जन्मभूमि न्यास की जमीन भी शामिल थी।' उन्होंने कहा कि 'विवादित ढांचा वाले जमीन सिर्फ 0.313 एकड़ की है। इसके अलावा राम जन्मभूमि न्यास सहित बाकी जमीन विवादित स्थल पर नहीं है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस अर्जी पर जल्द से जल्द फैसला लेगा।' 

केंद्र ने कोर्ट में कहा है कि वह गैर-विवादित 67 एकड़ जमीन इसके मालिक राम जन्मभूमि न्यास को लौटाना चाहती है। इस जमीन का अधिग्रहण 1993 में कांग्रेस की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने किया था। कोर्ट में बाद में वहां यथास्थिति बनाए रखने और कोई धार्मिक गतिविधि न होने देने का निर्देश दिया था। केंद्र सरकार की अर्जी के मुताबिक 0.313 एकड़ जमीन जिसपर विवादित ढांचा स्थित था, उसी को लेकर विवाद है। बाकी जमीन अधिग्रहित जमीन है।

बाकी पक्षों का मानना है कि विवादित स्थल 2.77 एकड़ जमीन पर है जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन पक्षकारों में बराबर-बराबर बांट दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ ने 2003 में पूरी अधिग्रहित जमीन 67.707 एकड़ पर यथास्थिति बनाने का आदेश दिया था। 

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