रामपुर में अपने उत्तराधिकारी का फैसला खुद करेंगे आजम

By Team MyNation  |  First Published Sep 26, 2019, 9:54 AM IST

फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर, गंगोह, इगलास को छोड़ अन्य आठ सीटों के प्रत्याशियों के चयन को लेकर पार्टी नेताओं और चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के साथ मंथन कर लिया है। असल में अखिलेश यादव 27 सितम्बर को हमीरपुर विधानसभा सीट के नतीजों के बाद ही प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाएंगे। हालांकि नामांकन करने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर ही है।

लखनऊ। राज्य में 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी शुक्रवार को फैसला करेगी। असल में कल हमीरपुर विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने वाले हैं। हालांकि इन सीटों के लिए कई नेताओं के नाम चल रहे हैं और दावेदारी भी काफी हैं। लिहाजा काफी दिनों की माथापच्ची के बाद पार्टी ने ये फैसला लिया है। इसके साथ ही रामपुर में आजम खान द्वारा छोड़ी गई सीट के लिए पार्टी ने आजम खान को ही अधिकृत किया है। आजम जिसे चाहे उसे इस सीट पर प्रत्याशी बना सकते हैं। वहीं अलीगढ़ की इगलास सीट सपा ने रालोद को देने का फैसला किया है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर के मामले में आजम खान को अधिकृत कर ये जता दिया है कि आजम खान को लेकर पार्टी में किसी भी तरह के मतभेद नहीं है। रामपुर की सीट सबसे सुरक्षित और सेफ सीट मानी जाती है और यहां से आजम खान नौ बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि पहले इस सीट पर अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज से पूर्व सांसद डिंपल यादव का नाम चल रहा था। लेकिन अब पार्टी ने इस पर अपना रूख बदल दिया है। इस सीट पर आजम खान का करीबी ही सपा का प्रत्याशी बनाया जाएगा।

फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर, गंगोह, इगलास को छोड़ अन्य आठ सीटों के प्रत्याशियों के चयन को लेकर पार्टी नेताओं और चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के साथ मंथन कर लिया है। असल में अखिलेश यादव 27 सितम्बर को हमीरपुर विधानसभा सीट के नतीजों के बाद ही प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाएंगे। हालांकि नामांकन करने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर ही है।

फिलहाल पार्टी ने अलीगढ़ जिले की जाट बहुल इगलास सीट रालोद देने का फैसला किया है। क्योंकि राज्य में अभी भी रालोद और सपा का आपस में गठबंधन है। जबकि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बसपा ने सपा के साथ अपना चुनावी गठबंधन तोड़ लिया था। इस बार उपचुनाव में पहली बार बसपा भी चुनाव मैदान में है। जिससे सपा की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। क्योंकि लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने बसपा को वोट दिया था।

click me!