9 साल की बच्ची ने मां को बताया लापरवाह, HC ने पिता को सौंप दी उसकी कस्टडी

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Apr 8, 2024, 12:39 PM IST

 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 9 साल की लड़की की कस्टडी उसके पिता को दे दी है। न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल की पीठ ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में बच्चे की प्राथमिकताओं और सुरक्षा चिंताओं पर विचार करते हुए उसकी भलाई को प्राथमिकता दी।


रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 9 साल की लड़की की कस्टडी उसके पिता को दे दी है। न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल की पीठ ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में बच्चे की प्राथमिकताओं और सुरक्षा चिंताओं पर विचार करते हुए उसकी भलाई को प्राथमिकता दी। बच्ची से अलग-अलग बातचीत के दौरान हाईकोर्ट को पता चला कि उसने अपनी मां को लापरवाह और हिंसात्मक व्यहार वाली है। 

बच्ची ने कहा नानी के साथ भी हिंसक व्यवहार करती थी मां
अदालत ने कहा कि 9 साल की बच्ची ने दावा किया कि उसकी मां नानी के साथ भी हिंसक व्यवहार करती है। अपने पिता के साथ रहने की इच्छा व्यक्त करते हुए बच्ची ने कोर्ट में मां की मौजूदगी में अपने नाना-नानी से मिलने वाले पालन-पोषण के माहौल और स्नेह की सराहना किया। हाईकोर्ट ने बच्ची के अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार को बताने की हिम्मत करने को बहादुरी बताया। 

बच्ची की भलाई के लिए हाईकोर्ट ने बदला फेमली कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट की एक निर्णय का हवाला देते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बच्ची की समस्या को सुना और स्वीकार किया। उसके बाद निष्कर्ष निकाला कि मां के पास दबाव में रहना बच्ची के मानसिक एवं भावनात्मक कल्याण के लिए हानिकारक होगा।  हालांकि पिता को हिरासत देते समय छत्तीसगढ़ HC ने सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा निर्धारित मुलाकातों के माध्यम से मां के मुलाक़ात के अधिकार को बनाए रखा है।

2014 में हुई थी कपल की शादी
बच्ची के मां-बाप की शादी 24 मई 2014 को हुई थी। उनकी बेटी का जन्म 21 मार्च 2015 को हुआ। इसके तुरंत बाद आरोप लगे कि उसकी मां सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है। जिसकी वजह से पति-पत्नी के बीच विवाद होने लगा। लड़की एक वर्ष की उम्र से ही अपने पिता की देखरेख में रह रही थी, क्योंकि मां और उसके परिवार ने उसे पिता को सौंप दिया था। लड़की के पिता ने कोर्ट में उसकी मां से तलाक के लिए अर्जी डाली तो मां ने बच्ची की कस्टडी मांग ली। 

फेमली कोर्ट ने मां को सौंप दी थी बच्ची की कस्टडी
फेमिली कोर्ट में लड़की के एकाउंटेंट पिता ने एक अभिभावक के रूप में अपनी योग्यता और बेटी की देखभाल करने की अपनी क्षमता पर तर्क दिया। उसने बच्ची के सर्वोत्तम हित में हिरासत की वकालत करते हुए उसके प्रति अपने लगाव को बताया। इसके बावजूद फैमिली कोर्ट ने मां के पक्ष में फैसला सुनाया था। पिता ने फैसले को HC में चुनौती दी थी।

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