'कुरूक्षेत्र' बनी कांग्रेस, आपस में ही लड़ हैं नेता

By Team MyNation  |  First Published Aug 31, 2020, 10:51 AM IST

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों का कोई आसान समाधान नहीं दिखाई दे रहा है। दोनों ही गुटों के बीच तलवारें खींच चुकी हैं और पार्टी के भीतर विवाद रोज बढ़ता जा रहा है। 

नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस के नेता आपस में लड़ रहे हैं। फिलहाल कांग्रेस के अंदर शुरू झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और गांधी परिवार के वफादार और विरोधी अपने स्टैंड पर पूरी तरह से कायम हैं। यही नहीं दोनों मुखर होकर एक दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वहीं गांधी परिवार की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन गांधी समर्थक विरोधियों को जयचंद और गद्दार की उपाधि दे रहे हैं। 

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों का कोई आसान समाधान नहीं दिखाई दे रहा है। दोनों ही गुटों के बीच तलवारें खींच चुकी हैं और पार्टी के भीतर विवाद रोज बढ़ता जा रहा है। असल में पार्टी में विवाद की असली जड़ कांग्रेस में आमूलचूल परिवर्तन की मांग के लिए पार्टी के 23 नेताओं द्वारा लिखी गई चिट्ठी है। जिसके बाद कार्य समिति की बैठक में तूफान आ गया। कांग्रेस नेता विरोधी नेताओं पर आरोप लगाया कि वह भाजपा से जाकर मिल गए हैं। वहीं पार्टी में सोनिया गांधी और गांधी परिवार के समर्थकों ने विरोधी गुट को गद्दार तक कह दिया। जिसके बाद पार्टी के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल आहत हैं।

वहीं इसके बाद कांग्रेस का असंतुष्ट खेमा अपने स्टैंड पर पूरी तरह से कायम ही नहीं बल्कि मुखर हो गया है। वहीं गांधी परिवार की ओर से डैमेज कंट्रोल की कवायद की गई है। लेकिन विरोधियों की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही है। फिलहाल कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर चुनाव नहीं हुआ है और सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव का चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था। वहीं पार्टी में 1998 से 2017 तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रही थी।

हालांकि कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक हर नए अध्यक्ष के लिए चुनाव होना  जरूरी है और इसके लिए सीडब्लूसी का गठन होना चाहिए। लेकिन दिलचस्प ये है कि कांग्रेस में  पिछले 22 साल से सीडब्लूसी का चुनाव नहीं हुआ है। वर्किंग कमेटी में कुछ लोग चुनाव से आते हैं, कुछ मनोनीत होते हैं। या यूं कहें कि आलाकमान के करीबी लोगों को इस पर नियुक्त किया जाता है तो गलत नही होगा।  वहीं विरोधी गुट का कहना है कि सोनिया गांधी के कमान लेने के बाद सभी सदस्य मनोनीत होते रहे हैं।  लिहाजा पार्टी में विरोधी खेमा संगठन में चुनाव कराने को लेकर आवाज बुलंद किए हुए है।
 

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