सूत्रों ने कहा कि दोषी पाए गए सभी लोगों को आजीवन कारावास की सजा होती है या नहीं, इसकी पुष्टि होने में 2 से 3 महीने का समय लगेगा। इस कथित डांगरी एनकाउंटर के मामले में एसजीसीएम ने यह आदेश दिया है, जिसमें पांच युवाओं प्रबिन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबजीत विश्वास, अखिल सोनोवाल और भाबेन मोरन को निर्दयिता से मार दिया गया था।
नई दिल्ली- सेना की एक अदालत ने असम में 24 साल पुराने 1994 में हुए कथित एनकाउंटर मामले में एक मेजर जनरल और 6 अन्य सैन्यकर्मियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की है।
सूत्रों ने माय नेशन को बताया " सैन्य अदालत ने सभी सैन्यकर्मियों के लिए आजीवन कारावास की सिफारिश की है। दीनजन में आयोजित जनरल कोर्ट मार्शल (एसजीसीएम) ने चार जवानों के साथ तीन अधिकारियों को पूर्वोत्तर में 1994 के मुठभेड़ मामले में दोषी पाया है।
मामले में सबसे वरिष्ठ अधिकारी मेजर जनरल एके लाल हैं जो उस समय 18 पंजाब रेजिमेंट का नेतृत्व कर रहे थे।
सूत्रों ने कहा कि दोषी पाए गए सभी लोगों को आजीवन कारावास की सजा होती है या नहीं, इसकी पुष्टि होने में 2 से 3 महीने का समय लगेगा। इस कथित डांगरी एनकाउंटर के मामले में एसजीसीएम ने यह आदेश दिया है, जिसमें पांच युवाओं प्रबिन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबजीत विश्वास, अखिल सोनोवाल और भाबेन मोरन को निर्दयिता से मार दिया गया था।
एसजीसीएम ने 16 जुलाई को 2 माउंटेन डिवीजन के मुख्यालय लाईपुली सेना शिविर में कार्यवाही शुरू कर दी थी।
आरोप है कि भारतीय सेना के ढोला स्थित 18 पंजाब रेजिमेंट ने कथित रूप से नौ लोगों को तिनसुकिया जिले के डुमडुमा इलाके के अलग-अलग जगहों से 17-19 फरवरी के बीच 1994 में उठाया था। जिसमें
एएएसयू नेता प्रबिन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबजीत विश्वास, अखिल सोनोवाल, भाबेन मोरन, मथेश्वर मोरन, गुनीन हजारिका, प्रकाश शर्मा और मनोरंजन दास शामिल थे। इन सभी को तिनसुकिया जिले में
डूमडूम सर्कल और उल्फा आतंकवादियों द्वारा तालाप चाय एस्टेट में असम फ्रंटियर चाय लिमिटेड के महाप्रबंधक रामेश्वर सिंह की हत्या के बाद धौला सेना शिविर में हिरासत में लिया गया था।