2014 चुनाव में फेसबुक और ट्विटर राजनीतिक दलों के मुख्य हथियार थे। 2019 तक व्हाट्सएप का चलन इतना बढ़ा कि यह सोशल मैसेजिंग ऐप सबकी पसंद बन गया। अब यूट्यूब और इंस्टाग्राम को ज्यादा विश्वसनीय माना जा रहा है।
नयी दिल्ली। पिछले कुछ चुनावों से सोशल मीडिया राजनीतिक दलों के प्रचार में मुख्य भूमिका निभाता आ रहा है। पहले बीजेपी ने इसकी ताकत समझी और प्रचार में बढ़त हासिल की। फिर विपक्षी दल भी उसी राह पर चल पड़े। लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ताधारी और विपक्षी दल एक दूसरे पर डिजिटल स्ट्राइक की तैयारी मे हैं। सभी दल सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। जनता को अपने अपने तरीके और तर्कों से लुभा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर विश्वास
2014 चुनाव में फेसबुक और ट्विटर राजनीतिक दलों के मुख्य हथियार थे। 2019 तक व्हाट्सएप का चलन इतना बढ़ा कि यह सोशल मैसेजिंग ऐप सबकी पसंद बन गया। अब यूट्यूब और इंस्टाग्राम को ज्यादा विश्वसनीय माना जा रहा है, क्योंकि ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। चुनावी मैदान में एक तरफ प्रत्याशी ताल ठोंकने को तैयार हैं। उधर, वर्चुअल दुनिया में भी चुनावी प्रचार की होड़ मची है।
इंफ्लूएंसर्स के जरिए लोगों तक पहुंचाएंगे अपनी बात
महिला दिवस पर जब पीएम नरेंद्र मोदी ने 23 हस्तियों को नेशनल क्रिएटर्स अवार्ड से सम्मानित किया। तब से यह कहा जाने लगा कि बीजेपी सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स को साध रही है। चुनाव में उनके जरिए पार्टी अपनी उपलब्धियां लोगों तक पहुंचाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लगभग 2 करोड़ यूट्यूबर्स, ब्लॉगर्स और इन्फ्लूएंसर्स चिह्नित किए गए हैं।
जमीनी स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप से पहुंचाई अपनी बात
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने जिस तरह सोशल मीडिया का यूज किया। वह काफी चर्चा में रहा। बूथ स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप तैयार किए गए थे। तब प्रमुख तौर पर पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक ओर अन्य योजनाओं से जुड़े कंटेंट जमीनी स्तर तक पहुंचे। माना जाता है कि इसी रणनीति का प्रभाव था कि बीजेपी ने लोगों का भरोसा जीता।
कांग्रेस देश भर में ऐसे कर रही अपना प्रचार
उधर, कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर पहले से ज्यादा एक्टिव दिख रही है। सोशल मीडिया वॉरियर्स बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में सोशल मीडिया टीम बनाई गई है। जिलों में वालंटियर्स यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के नाम पर व्हाट्सएप ग्रुप बना है, जिसके जरिए गठबंधन की नीतियों और सत्ताधारी दल के काम काज की कमी उजागर की जा रही है। सोशल मीडिया के जरिए देश भर में कांग्रेस अपनी नीतियों को प्रसारित कर रही है। समाजवादी पार्टी भी अपने सोशल मीडिया सेल के जरिए सत्ताधारी दल को मुंहतोड़ जवाब दे रही है।