शांति और मानव जीवन की रक्षा के लिए कई संगठन और नेता अपने-अपने स्तर से प्रयास करते हैं। लेकिन ईसाइयों से सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने ऐसा कुछ किया है, जिसकी दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
ईसाइयों से सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने लंबे समय से मानव नरसंहार झेल रहे दक्षिणी सूडान में शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए एक अभूतपूर्व मिसाल पेश की है। उन्होंने इस अफ्रीकी देश के पक्ष-विपक्ष के नेताओं के समक्ष झुककर शांति का अनुरोध किया और उनके पैर चूम लिए। पोप के इस कदम की दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
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अफ्रीकी नेताओं के लिए वेटिकन में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में पोप ने दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति और विपक्षी नेता को बढ़ते संकट के बावजूद शांति समझौते पर आगे बढ़ने के लिए अनुरोध किया। इसके बाद वह घुटनों पर बैठ गए और एक-एक करके नेताओं के पैरों को चूमा। पोप आमतौर पर एक रस्म के तौर पर होली थर्स्डे पर कैदियों के पैर धोते हैं, लेकिन नेताओं पहले ऐसा कभी नहीं किया गया।
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पोप के इस कदम के बाद दक्षिण सूडान की उपराष्ट्रपति रबेका न्यानदेंग गरांग ने कहा कि इस नम्र स्वभाव ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया है। वह यह सब देखकर भावुक हो गईं थी और उनके आंसू बहने लगे थे।
इस बीच, पोप की ओर से जारी वक्तव्य में दक्षिण सूडान के बारे में कहा गया है, ‘मैं दिल से कामना व्यक्त करता हूं कि दुश्मनी आखिरकार समाप्त हो जाएगी, युद्धविराम का सम्मान किया जाएगा, राजनीतिक और जातीय विभाजन समाप्त कर दिया जाएगा और उन सभी नागरिकों के सामान्य हित के लिए स्थायी शांति कायम होगी जो राष्ट्र निर्माण को आरंभ करने का सपना देखते हैं।’
दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति सलवा कीर और विपक्षी दल के प्रमुख रीक मचर को एक साथ लाने के लिए आध्यात्मिक समारोह का आयोजन किया गया था। उनके अलावा तीन उप राष्ट्रपति भी समारोह में मौजूद थे। पोप ने उन सभी के पैर चूमे।
साल 2011 में सूडान से अलग होकर दक्षिण सूडान बना था। लेकिन उसके बाद साल 2013 में यहां सियासी दलों के बीच हिंसक संघर्ष शुरू हो गया। इसमें लाखों लोग मारे जा चुके हैं।