क्या एनडीए से अलग होने के लिए नीतीश कुमार ने चल दी चाल

By Team MyNationFirst Published Jun 9, 2019, 4:29 PM IST
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पटना में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी चल रही है। इसमें नीतीश कुमार ने जो ऐलान किया है। उससे इस बात को समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में और बदलाव आने वाले हैं। नीतीश कुमार की राज्य के विपक्षी दलों से नजदीकियां बढ़ रही हैं। आरजेडी भी अब नीतीश कुमार की तारीफ कर रही है। 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनैतिक पैंतरेबाजी के लिए जाने जाते हैं। लिहाजा आज उन्होंने एनडीए से अलग होने के लिए चाल चल दी है। नीतीश कुमार ने पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ऐलान किया कि पार्टी का बिहार में ही बीजेपी से गठबंधन रहेगा। जबकि देश के अन्य राज्यों में वह अकेले चुनाव लड़ेगी। इसे नीतीश कुमार का एनडीए से रिश्ता तोड़ने का पहला कदम माना जा रहा है।

पटना में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी चल रही है। इसमें नीतीश कुमार ने जो ऐलान किया है। उससे इस बात को समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में और बदलाव आने वाले हैं। नीतीश कुमार की राज्य के विपक्षी दलों से नजदीकियां बढ़ रही हैं। आरजेडी भी अब नीतीश कुमार की तारीफ कर रही है।

कार्यकारिणी में नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के बाहर पार्टी बीजेपी गठबंधन का हिस्सा नहीं रहेगी और पार्टी जम्मू कश्मीर, झारखंड, हरियाणा और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में अकेले चुनाव लड़ेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि वह पार्टी सिर्फ बिहार में ही एनडीए का हिस्सा रहेगी और भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। 

इस बैठक में नीतीश कुमार के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। लेकिन सबकी नजर पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर लगी थी। जिन्होंने कुछ दिन पहले ही बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी के लिए रणनीति बनाने के लिए ममता बनर्जी के साथ मुलाकात की थी। हालांकि नीतीश कुमार ने साफ कर दिया था कि प्रशांत किशोर की कंपनी का पार्टी के साथ कोई लेना देना नहीं है।

नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई बैठक में पार्टी ने अहम फैसले लिए हैं। असल में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने आगे की संभावनाओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। यानी बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार कोई और बड़ा फैसला ले सकते हैं।

असल में केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। नीतीश कुमार केन्द्रीय कैबिनेट में ज्यादा पद चाहते थे, लेकिन मोदी सरकार ने 1 कैबिनेट का पद देने की बात कही थी। जिसको लेकर वह नाराज हो गए थे और बिहार में हुए कैबिनेट विस्तार में उन्होंने बीजेपी के विधायकों को शामिल नहीं किया था।
 

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