क्या ओली की कुर्सी बचाने में कामयाब हो गया है ड्रैगन, यांकी के जाल में फंस गए हैं प्रचंड

By Team MyNation  |  First Published Jul 21, 2020, 9:08 AM IST

नेपाल में ओली के खिलाफ विरोध के साथ ही चीन सक्रिय हो गया था और उसने नेपाल में चीन की राजदूत होउ को लगा दिया था। यांकी को ओली का बहुत करीबी माना जाता है और नेपाल में अकसर दोनों के रिश्तों को लेकर चर्चा भी हो रही है। क्योंकि नेपाल में पहली बार किसी राजदूत का देश की सियासत में इतना दखल बड़ा है।

नई दिल्ली। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर चला आ रहा खतरा कम हो गया है और ओली के सबसे बड़े विरोधी पुष्प कमल दहल उर्फ़ प्रचंड के तेवर फिलहाल नरमी आ गई है। क्योंकि चीन के प्रयासों के कारण प्रचंड भी फिलहाल ओली को लेकर नरम हो गए हैं। असल में माना जा रहा है कि नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांकी के जाल में ओली के बाद अब प्रचंड भी फंस गए हैं। गौरतलब है कि चीन ने कुर्सी बचाने के लिए चीन ने जमीन-आसमान एक कर दिया था।

नेपाल के मीडिया के मुताबिक देश की सत्ताधारी पार्टी में फिलहाल विभाजन का संकट टल गया है और ओली देश के पीएम बने रहेंगे। जबकि ओली के विरोधी प्रचंड के रूख में नरमी आई है और इसके कारण ओली की कुर्सी सुरक्षित है। नेपाल में ओली के खिलाफ विरोध के साथ ही चीन सक्रिय हो गया था और उसने नेपाल में चीन की राजदूत होउ को लगा दिया था। यांकी को ओली का बहुत करीबी माना जाता है और नेपाल में अकसर दोनों के रिश्तों को लेकर चर्चा भी हो रही है।

क्योंकि नेपाल में पहली बार किसी राजदूत का देश की सियासत में इतना दखल बड़ा है। बीजिंग के कहने पर यांकी ने कई बार ओली और प्रचंड से मुलाकात कर विवाद सुलझाने के लिए कूटनीतिक पहल की। हालांकि पहले ओली यांकी के जाल में फंस चुके हैं और नेपाल में कहा जा रहा है कि यांकी के जाल में अब प्रचंड भी फंस गए हैं।  फिलहाल नेपाल में चीन को लेकर लोगों में गुस्सा है और जनता अब चीनी राजदूत की भूमिका पर भी सवाल उठा रही है। वहीं चीनी राजदूत के नेपाल की सियासी बैठकों में शामिल होने पर मीडिया ने भी सवाल उठाए हैं और इसको लेकर चीनी दूतावास से सवाल पूछे। अब चीनी दूतावास के प्रवक्ता का कहना है कि होउ यांकी कम्युनिस्ट पार्टी को संकट में नहीं देखना चाहती है और वह चाहती हैं कि देश में सत्ताधारी नेताओं के बीच चल रहा विवाद खत्म हो जाए।

फिलहाल यांकी का नेपाल की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। यांकी की पहुंच नेपाल के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में सीधा हस्तक्षेप है और वह बगैर किसी अनुमति के सरकारी विभागों में जा सकती है। फिलहाल चीन के बार फिर से अपने प्यादे ओली को बचाने में सफल हो गया है। हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि प्रचंड बीजिंग के दबाव में माने हैं और उनकी सरकार को लेकर नाराजगी अभी भी जारी है।  वहीं नेपाल में चर्चा है कि ओली के साथ चीन ने गुप्त डील कर ली है और इसी कारण ओली भारत विरोधी बयान दे रहे हैं।

click me!