देश में बना पहला हिंदू न्यायालय, महिला बनी मुख्य न्यायाधीश

By Siddhartha RaiFirst Published Aug 15, 2018, 6:42 PM IST
Highlights

अगर मुसलमान समाज अलग पर्सनल लॉ के मुताबिक चलेगा तो फिर हिंदू ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं? ये सवाल उठाया है हिंदू महासभा ने। सवाल तो ये है कि ऐसे कानूनों को चलाने वाली अदालतें और जजों का वैधता क्या होगी।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भारत के अधिकतर हिस्से में शरिया कोर्ट लगाने की तैयारी के जवाब में हिंदू महासभा ने हिंदू कोर्ट लगानी शुरू कर दी है।


आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर अपने फैसले का ऐलान करते हुए हिंदू महासभा की तरफ से जानकारी दी गई कि यूपी के मेरठ में ऐसी अदालत की स्थापना कर दी गई है जो हिंदू महाग्रंथों और शास्त्रों के आधार पर न्याय प्रक्रिया चलाएगी। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती इस अदालत में मुख्य न्यायाधीश भी नियुक्त कर दिया गया है।


संगठन की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडे को हिंदू अदालत का पहला मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।


“हिंदू अदालतें हिंदुओं से जुड़े तमाम मामलों में स्वत: संज्ञान लेने के साथ, उन लोगों की फरियाद भी सुनेगी जो अपनी समस्याओं को लेकर इन अदालतों को रुख करेंगे। सिविल और पर्सनल मामले इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में होंगे जैसे कि विवाह से संबंधित मामले और धर्म के मामले में किसी प्रकार की दखल या विवाद। अगर मुसलमानों के शरिया अदालतें हो सकती हैं तो हिंदुओं के लिए ऐसा कुछ क्यों नहीं?” माय नेशन से बातचीत में पूजा पांडे ऐसा कहती हैं।


इसी साल 2 अक्टूबर को महासभा अपना न्यायिक विधान के लिए घोषणापत्र और संहिता जारी करेगा। जिसके आधार पर अदालतें काम करेंगी।


संगठन जहां पूरे देश में पर्सनल लॉ से संचालित होने वाली अदालतें लगाने की तैयारी में है, वहीं मेरठ में इसकी स्थापना हो चुकी है। अलीगढ़, हाथरस और इलाहाबाद में ये अदालतें जल्दी ही लगने लगेंगी।
माय नेशन ने इससे पहले ये खबर भी दी थी कि आरएसएस की मुस्लिम शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच देशभर के 720 जिलों में पारिवारिक मध्यस्थता केंद्र खोलने की योजना बना रहा है जो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के शरिया अदालतों को चुनौती देगा।

click me!