निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही लालथलामॉनी ने दावा किया है कि उन्हें ईश्वर से संकेत मिला है कि वह आगामी चुनावों में इतिहास लिखने के लिए पहली मिजो महिला बनकर लोकसभा में राज्य की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करें।
लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में खास है। पहला, 2014 में मजबूत बहुमत वाली बीजेपी सरकार सत्ता में अधिक संख्या के साथ बरकरार रहने की कवायद में है। दूसरा , पिछले चुनाव में देशभर में महज 44 सीट बटोरने वाली कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय राजनीति की मुख्यधारा में लौटने की कोशिश में हैं। इसके अलावा कई राज्य स्तरीय पार्टियां गठबंधन अथवा महागठबंधन के जरिए बीजेपी को संख्या बढ़ाने से रोकने और कांग्रेस को मुख्यधारा में आने की कोशिश में एक बार फिर विफल करने के प्रयास में लगी है। इनके बीच नॉर्थ ईस्ट राज्य मिजोरम में एक महिला पहली बार राज्य से लोकसभा पहुंचने की कवायद में है।
मिजोरम की लालथलामॉनी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव धर्मयुद्ध है। लालथलामॉनी कह रहीं हैं कि यह चुनाव उनके लिए राज्य की सभी महिलाओं की लड़ाई है। लालथलामॉनी ने दावा किया है कि उन्हें ईश्वर से संकेत मिला है कि वह आगामी चुनावों में इतिहास लिखने के लिए पहली मिजो महिला बनकर लोकसभा में राज्य की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करें।
ईश्वर से बीते हफ्ते चुनाव लड़ने का संकेत मिलने के बाद लालथलामॉनी ने मिजोरम की एकमात्र लोकसभा सीट पर पांच पुरुष प्रत्याशियों के खिलाफ लड़ने के लिए बतौर इंडिपेंडेंट उम्मीदवार नामांकन करने का फैसला किया है। मौजूदा लोकसभा में मिजोरम से 83 वर्षीय सीएल रुआला कांग्रेस पार्टी से सांसद हैं और राज्य से यह उनका लगातार दूसरा कार्यकाल है।
2018 में हुए मिजोरम विधानसभा चुनावों में लालथलामॉनी के साथ-साथ 15 महिला उम्मीदवारों ने राज्य की 40 सीटों के लिए चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी। लालथलामॉनी ने मिजोरम की एजावल साउथ-1 विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और महज 69 वोट बटोर पाईं थी। खास बात है कि जहां लोकसभा में अभी तक एक भी मिजो महिला संसद नहीं पहुंची है वहीं विधानसभा के इतिहास में सिर्फ तीन महिलाओं ने चुनाव में जीत दर्ज की है।
लालथलामॉनी के साथ अब मिजोरम से 6 उम्मीदवार मैदान में हैं जिसमें मिजो नेशनल फ्रंट से दूरदर्शन के पूर्व निदेशक सी लालरोसंगा, कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट से पत्रकार लालंघिनग्लोवा और बीजेपी से पूर्व विधायक निरुपम चकमा को मैदान में उतारा गया है।
लालथलामॉनी मिजोरम की यहूदी समुदाय से आती हैं। वह 2008 से मिजोरम में छिनलुंग इजराइल पीपल्स कंवेन्शन (सीआईपीसी) नाम के एनजीओ का संचालन कर रही हैं। खास बात है कि इस एनजीओ की स्थापना उनके पति लालछानहिमा साइलो ने मिजोरम के यहूदियों को आवाज देने के लिए की थी और माना जाता है कि वह इजराइल की 10 विलुप्त यहूदी जनजातियों से आते हैं। गौरतलब है कि 1970 के दशक से मिजोरम और मणिपुर में रह रही ये जनजातियां इजराइल जाने की कवायद में लगे हैं।