मोदी सरकार ‘मीटिंग डिप्लोमैसी’ से कम करेगी राज्यों से मतभेद

By Team MyNation  |  First Published Jan 12, 2020, 11:23 AM IST

असल में केन्द्र सरकार की कई योजनाएं राज्यों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही हैं। वहीं कई राज्य ऐसे  हैं जो केन्द्र की योजनाओं को अपने राज्यों में लागू नहीं कर रहे हैं। इसमें खासतौर से गैर भाजपा शासन वाले राज्यों हैं। जहां केन्द्र की योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है।

नई दिल्ली। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार जल्द ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने जा रही है। ताकि राज्यों की नाराजगी को दूर किया जा सके। वहीं गैरभाजपाई राज्यों से मतभेद कम हों। इस बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ ही उनके कैबिनेट के मंत्री भी शामिल हो सकते हैं। ताकि राज्यों के साथ बेहतर तालमेल कर सरकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से राज्यों में  लागू किया जा सके।

असल में केन्द्र सरकार की कई योजनाएं राज्यों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही हैं। वहीं कई राज्य ऐसे  हैं जो केन्द्र की योजनाओं को अपने राज्यों में लागू नहीं कर रहे हैं। इसमें खासतौर से गैर भाजपा शासन वाले राज्यों हैं। जहां केन्द्र की योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है। अगर पश्चिम बंगाल की बात करें तो वहां पर केन्द्र की आयुष्मान भारत योजना अभी तक लागू नहीं हुई है। जबकि इस योजना से करोड़ों लोगों को फायदा हो रहा है। लिहाजा कांग्रेस शासित राज्यों में भी केन्द्र की कई योजनाओं को अभी तक लागू नहीं किया गया है।

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बढ़ती दूरी को कम करने के लिए केंद्र सरकार सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक को बुलाने की तैयारी की है। माना जा रहा है कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं और इसके साथ ही उनके कैबिनेट के सहयोगी भी इस बैठक में मौजूद रह सकते हैं। पिछले कुछ समय से कई मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच गंभीर मतभेद उभरे हैं। इसका एक बड़ा कारण गैरभाजपा शासित राज्यों की संख्या में इजाफा होना है। पिछले दो साल के दौरान ही पांच राज्य भाजपा के हाथ से निकल गए हैं।

इस बैठक की तैयारी नीति आयोग कर रहा है। क्योंकि देश के लिए नीति बनाने का जिम्मा आयोग को ही है। हालांकि आयोग अपनी गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग आयोजित करता है और इसमें पीएम और सारे सीएम शामिल होते हैं। क्योंकि सभी राज्य इसमें सदस्य होते हैं। फिलहाल केन्द्र सरकार का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार में टकराव होने से कई अहम योजनाओं को क्रियान्वयन करने और लागू करने में दिक्कत आ सकती है। वहीं संवादहीनता के कारण राज्यों का विकास प्रभावित हो सकता है।
 

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