धारा 370 के समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों की आशंका बढ़ गई है। किसी भी बुरी स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कमान खुद अपने हाथों में रखने का फैसला किया है। वह कश्मीर की तरफ रवाना हो चुके हैं।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी किसी भी मुश्किल हालात से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर ही भरोसा करते हैं। सोमवार को केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को लेकर बड़ा कदम उठाए जाने के बाद अब डोभाल की जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। उनके सामने अब कश्मीर घाटी में शांति बनाए रखने की चुनौती है।
बताया जा रहा है कि डोभाल खुद अगले मोर्चे पर रहकर स्थिति को संभालने के लिए कश्मीर रवाना हो चुके हैं। वह व्यक्तिगत तौर पर कश्मीर घाटी में उपस्थित रहकर ये सुनिश्चित करेंगे कि वहां पर किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं घटे। उनके पहुंचने के साथ ही जम्मू कश्मीर में 10 हजार और जवान भेजे गए हैं।
खबरों के मुताबिक देश के अलग अलग हिस्सों में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों को हवाई सेवा के जरिए सीधा कश्मीर पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। गृह मंत्रालय ने 25 जुलाई को केंद्रीय सशस्त्र बलों की अतिरिक्त 100 कंपनियों की तैनाती का आदेश जारी किया था। जवानों की तत्काल तैनाती के लिए उन्हें हवाई रास्ते से जम्मू-कश्मीर ले जाया जा रहा है।
ऐसी खबरें आ रही हैं कि डोभाल खुद कश्मीर के कमांड रुम में बैठकर सुरक्षा बलों की तैनाती का जायजा लेंगे और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए हर समय तैयार रहेंगे। इसीलिए वह उन्होंने खुद ही घाटी में रहना पसंद किया है। हालांकि यह स्थिति खतरनाक भी हो सकती है। क्योंकि अजीत डोभाल पाकिस्तान सहित किसी भी आतंकवादी संगठन के लिए बड़ा निशाना साबित हो सकती हैं।
डोभाल ने किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए सेना को तैयार कर रखा है। कश्मीर के तनावपूर्ण हालातों को देखते हुए वह घाटी में कुछ दिनों तक रुक भी सकते हैं। डोभाल स्थितियां सामान्य होने तक वहां रुककर सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखेंगे।
कश्मीर में जब से सरकार ने धारा 370 को हटाने की तैयारी शुरु की है। तब से अजीत डोभाल की व्यस्तता बेहद बढ़ गई है। वह जुलाई के अंतिम सप्ताह में भी कश्मीर पहुंचे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डोभाल 20 जुलाई को श्रीनगर पहुंचे थे। उन्होंने वहां मौजूद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के टॉप अफसरों के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं। इन अधिकारियों में राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यन, डीजीपी दिलबाग सिंह, आईजी एसपी पाणि जैसे वरिष्ठ अधिकारी लोग शामिल थे।
इसके अलावा अजित डोभाल के कश्मीर दौरे के समय उनके साथ दिल्ली से आईबी के उच्च अधिकारियों की टीम भी गई थी।
डोभाल के कश्मीर दौरे से लौटते ही तुरंत 10 हजार अतिरिक्त बल वहां भेजे गए। जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक अब तक कश्मीर में 46 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए जा चुके हैं।