अमेरिका ने दिया भारतीयों को झटका

By Team MyNationFirst Published Nov 3, 2018, 12:28 PM IST
Highlights

अमेरिका में अस्थायी नौकरी के लिए दिए जाने वाले एच-1बी वीजा के लिए दिए जाने वाले आवेदन के नियम सख्त कर दिए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर सिलिकॉन वैली में काम करने वाले भारतीयों पर पड़ने की आशंका है। 

अमेरिका के एच-1बी वीजा लेने वालों में सबसे ज्यादा संख्या भरतीयों की होती है। यह अस्थायी नौकरी के लिए होता है। जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां तकनीकी विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों को नियुक्त करती है। यह अस्थायी नौकरी के लिए होता है। ज्यादातर भारतीय आईटी पेशेवर इसी वीजा के सहारे अमेरिका में नौकरी कर रहे हें। 

लेकिन अब अमेरिकी सरकार ने एच-1बी वीजा आवेदन के नियम और सख्त कर दिए हैं। जिसके बाद अब विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने से पहले अमेरिकी कंपनियों को यह बताना होगा कि उनके यहां कितने विदेशी काम कर रहे हैं। इससे एच-1बी आवेदन की प्रक्रिया सख्त हो जायेगी। 

श्रम विभाग द्वारा मांगी गयी नयी जानकारियां इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एच-1बी वीजा के तहत विदेशी कर्मचारी को रखने से पहले कंपनी को श्रम विभाग से मंजूरी लेने की जरुरत होगी।

विभाग यह सत्यापित करेगा कि इस खास पद के लिए स्थानीय स्तर पर कोई उपयुक्त् व्यक्ति नहीं मिल रहा है और इसलिये कंपनी एच-1बी वीजा श्रेणी के तहत विदेशी कर्मचारी को नियुक्त किया जा रहा है।  

श्रमिक आवेदन फार्म में अब नियोक्ताओं को एच-1 बी से जुड़ी रोजगार शर्तों के बारे में अधिक जानकारी देनी होगी। 

जिसमें एच-1बी वीजा कर्मचारियों के लिये कहां-कहां रोजगार है, उन्हें कितने समय के लिये रखा जायेगा और किन-किन जगहों पर एच-1 बी वीजा कर्मचारियों के लिये कितने रोजगार हैं।

 नये नियमों के तहत नियोक्ताओं को यह भी बताना होगा कि उसके सभी स्थानों पर कुल कितने विदेशी कर्मचारी पहले से काम रहे हैं। 
दरअसल अमेरिकी कंपनियां कम सैलरी पर विदेशी पेशेवरों की भर्ती कर लेती हैं। क्योंकि उसू काम के लिए अमेरिकी पेशेवरों को ज्यादा सैलरी देनी होती है। इसके लिए वह एच-1बी वीजा का सहारा लेती हैं। 

लेकिन इसकी वजह से अमेरिका में स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है। जिसकी वजह से वो इसका विरोध करते हैं। ट्रंप सरकार का यह नया फरमान इसी का नतीजा है। 

click me!