रविवार को लखनऊ में अपनी पहली बड़ी राजनैतिक रैली का आयोजन किया था। इसमें करीब साठ हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे। इस शिवपाल की इस रैली का मकसद सपा और राज्य के अन्य दलों को अपनी राजनैतिक ताकत दिखाना था। इस रैली को आयोजित करना शिवपाल के लिए अब फायदे का सौदा साबित हो रहा है।
जनाक्रोश रैली के जरिए राजधानी लखनऊ में खासी भीड़ जुटाकर राजनैतिक ताकत का एहसास कराना शिवपाल के लिए फायदे का सौदा रहा है। महागठबंधन की तरफ से शिवपाल को दिल्ली में आयोजित बैठक में आमंत्रित किया गया है। जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इससे दूरी बनाई है। हालांकि मुलायम सिंह इस बैठक में शामिल हो रहे हैं।
सपा के बागी विधायक और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल सिंह ने रविवार को लखनऊ में अपनी पहली बड़ी राजनैतिक रैली का आयोजन किया था। इसमें करीब साठ हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे। इस शिवपाल की इस रैली का मकसद सपा और राज्य के अन्य दलों को अपनी राजनैतिक ताकत दिखाना था। इस रैली को आयोजित करना शिवपाल के लिए अब फायदे का सौदा साबित हो रहा है। इस रैली की सफलता के बाद विपक्षी दलों की आज दिल्ली में बुलाई गयी बैठक में शिवपाल को भी बुलाया गया।
हालांकि इस रैली के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को भी बुलाया गया था। लेकिन दोनों ने महागठबंधन की बैठक में शामिल होने से मना कर दिया। हालांकि सपा सांसद और संरक्षक मुलायम सिंह यादव इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने इस बैठक का आयोजन किया है।
इसमें यूपीए के घटक दलों के साथ ही स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली दलों को बुलाया गया है। नायडू इस बैठक का समन्वय कर रहे हैं। बैठक में कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी बैठक में भाग लेंगी। वहीं कभी यूपीए सरकार में साथ रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , तृणमूल कांग्रेस , नेशनल कांफ्रेंस , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता हिस्सा ले रहे हैं।