फिलहाल प्रशांत किशोर बिहार में युवाओं को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अभियान चलाया हुआ है। उनके कई गुट युवाओं को विभिन्न माध्यमों से युवाओं को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि पार्टी से निष्कासन के बाद माना जा रहा था कि पीके किसी दल में शामिल होंगे। लेकिन उन्होंने अभी तक किसी भी दल का हाथ नहीं थामा है।
नई दिल्ली। जनता दल यूनाइटेड से निकाले जाने के बाद निष्कासित नेता प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि वह फरवरी में अपनी रणनीति की घोषणा करेंगे। लेकिन अब तक उन्होंने कोई बड़ा ऐलान नहीं किया है। लेकिन पीके खामोशी के साथ बिहार में अपने मिशन में लगे हुए हैं। उनके करीबियों का कहना है कि पीके राज्य में मिशन राजग हटाओ पर काम कर रहे हैं और इसका असर चुनाव से कुछ महीने पहले ही दिखेगा। इस मिशन के जरिए पीके भाजपा के साथ ही जदयू को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
फिलहाल प्रशांत किशोर बिहार में युवाओं को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अभियान चलाया हुआ है। उनके कई गुट युवाओं को विभिन्न माध्यमों से युवाओं को जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि पार्टी से निष्कासन के बाद माना जा रहा था कि पीके किसी दल में शामिल होंगे। लेकिन उन्होंने अभी तक किसी भी दल का हाथ नहीं थामा है। पिछले दिनों उन्होंने कई दलों की बैठक बुलाई थी। लेकिन इस बैठक में राजद शामिल नहीं हुई थी।
हालांकि राजद पहले ही साफ कर चुकी है कि अगर कोई पार्टी उसके साथ गठबंधन नहीं बनाती तो वह बिहार में अपने दम बल पर चुनाव लड़ेगी। बिहार में कांग्रेस भी ज्यादा सीटों का दावा कर रही हैं और उसके सहयोगी भी ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। लिहाजा पीके भी मान रहे हैं कि बिहार में इन दलों को एकत्रित करना अभी आसान नहीं है। लिहाजा वह बिहार में चुनाव पहले युवाओं को अपने साथ जोड़कर ताकत दिखाना चाहते हैं। अपनी रणनीती के तहत पीके प्रदेश के सभी 38 जिलों के गांवों और पंचायतों तकच पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं और इसके जरिए राज्य का मूड भांप रहे हैं। पीके का दावा है कि वह जून तक राज्य में अपने साथ दस लाख से ज्यादा युवाओं को जोड़ लेंगे।
बिहार में 8 हजार से अधिक पंचायतों और 45 हजार से अधिक गांवों हैं। अगर पीके दस लाख लोगों को जोड़ते हैं राज्य में उनका संगठन भाजपा से ज्यादा बड़ा हो जाएगा। अभी तक बिहार में भाजपा के पास नौ लाख सदस्य हैं। अगर ऐसा होता है पीके बिहार में सभी राजनैतिक दलों के लिए चुनौती बन जाएंगे। पीके ने पिछले दिनों ही रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी और वीआईपी के नेता मुकेश सहनी से मुलाकात की थी।
ये नेता बिहार में महागठबंधन के पक्ष में तो हैं लेकिन राजद के नेता तेजस्वी यादव को अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं। हालांकि इस बीच पीके ने सीपीआई नेता और जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से भी मुलाकात की। माना जा रहा है कि पीके इसके जरिए तीसरे गठबंधन को बनाने की रणनीति बना रहे हैं। लेकिन पीके का कुल मकसद राज्य में राजग को हटाना है और इसके लिए 'एनडीए हराओ' मिशन पर काम कर रहे हैं।