सबरीमला मामलाः पुनर्विचार याचिकाओं पर छह फरवरी को होगी सुनवाई

By Team MyNation  |  First Published Jan 31, 2019, 5:57 PM IST

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ 6 फरवरी से याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। मामले की सुनवाई पहले 22 जनवरी को निर्धारित की गई थी, लेकिन जस्टिस इंदु मल्होत्रा के मेडिकल लीव पर होने के चलते इसे स्थगित करना पड़ा। 

सबरीमला मंदिर में महिलाओं की प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर 6 फरवरी को सुनवाई होगी। 28 सितंबर 2018 को शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर हैं। पहले सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था।

Supreme Court to hear on February 6 the review petitions filed against verdict allowing entry of women of all age groups into the temple. pic.twitter.com/1RPmUTOrnF

— ANI (@ANI)

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ 6 फरवरी से याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी। मामले की सुनवाई पहले 22 जनवरी को निर्धारित की गई थी, लेकिन जस्टिस इंदु मल्होत्रा के मेडिकल लीव पर होने के चलते इसे स्थगित करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को अपने निर्णय में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दे दी थी। मगर कोर्ट के फैसले के बावजूद श्रद्धालुओं के भारी विरोध-प्रदर्शन के चलते 31 दिसंबर, 2018 तक कोई भी महिला सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी थी। 

दो जनवरी को 40 वर्ष से ज्यादा उम्र की दो महिलाएं सबको चकमा देकर मंदिर में प्रवेश करने में कामयाब रही थीं। बिंदु और कनकदुर्गा नाम की इन दो महिलाओं ने उस दिन सुबह 3 बजकर 45 मिनट पर मंदिर में प्रवेश कर गर्भगृह के दर्शन किया था। सैकड़ों साल पुराने भगवान अयप्पा के इस मंदिर में 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष उम्र तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।

वहीं इससे पहले, केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने राज्य में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ हुई हिंसा को दूसरी सबसे बड़ी आपदा बताया। उन्होंने कहा कि बाढ़ के पुननिर्माण हमारे सामने एक चुनौती है। बाढ़ के बाद सबरीमला हिंसा राज्य में दूसरी आपदा थी। इसाक ने विधानसभा में राज्य का बजट पेश करते हुए कहा है कि लाखों महिलाएं यह कहने के लिए सड़कों पर उतरीं कि वे समान और अपवित्र नहीं हैं।  

उधर, प्रयागराज में कुंभ के दौरान विश्व हिंदू परिषद की दो दिवसीय धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी सबरीमला मामले का जिक्र किया। मोहन भागवत ने कहा कि कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया लेकिन इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं एवं सम्मान आहत हुआ, इसका ख्याल नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है।

click me!