कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुछ दिन पहले ये बयान देकर सबको चौंका दिया था कि कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर वोट कटवा प्रत्याशियों को उतारा है। जो बीजेपी को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाएंगे। लेकिन प्रियंका के इस बयान के बाद बीजेपी तो नहीं, बल्कि गठबंधन को खतरा लगने लगा है। गठबंधन के नेताओं का कहना है कि अगर यूपी में कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ता है तो इससे बीजेपी के बजाय गठबंधन को नुकसान होगा।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन अब कांग्रेस के वोट कटवा रणनीति से डरने लगा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बयान के बाद गठबंधन के नेताओं को लग रहा है कि यूपी में कांग्रेस की इस रणनीति का खामियाजा बीजेपी के तुलना में उसे ही ज्यादा उठाना पड़ेगा। क्योंकि कांग्रेस ने उन्हीं नेताओं को ज्यादा टिकट दिए हैं जो एसपी और बीएसपी छोड़कर कांग्रेस में गए हैं।
कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुछ दिन पहले ये बयान देकर सबको चौंका दिया था कि कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर वोट कटवा प्रत्याशियों को उतारा है। जो बीजेपी को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाएंगे। लेकिन प्रियंका के इस बयान के बाद बीजेपी तो नहीं, बल्कि गठबंधन को खतरा लगने लगा है। गठबंधन के नेताओं का कहना है कि अगर यूपी में कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ता है तो इससे बीजेपी के बजाय गठबंधन को नुकसान होगा।
हालांकि बीएसपी प्रमुख मायावती ये अंदेशा पहले ही जता चुकी हैं कि कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं। हालांकि ये मायावती के आरोप हैं, लेकिन इसमें जमीनी हकीकत भी है। राज्य की करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर कांग्रेस ने लड़ाई त्रिकोणीय बनाकर सपा-बसपा के वोटों में बंटवारे का खतरा भी पैदा कर दिया है। सच्चाई ये भी है कि इन सीटों पर उतरे कांग्रेस के प्रत्याशी एसपी-बीएसपी से आयातित हैं। अगर देखें तो देवरिया, सीतापुर, घोसी, सलेमपुर, फतेहपुर समेत डेढ़ दर्जन सीटों पर प्रत्याशी विपक्षी दलों से आए हुए हैं जो सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाएंगे।
सबसे पहले बात करते हैं देवरिया सीट पर। इस सीट पर कांग्रेस ने नियाज अहमद को टिकट दिया है जो पूर्व में बीएसपी में रह चुके हैं। वहीं घोसी सीट पर भी बीसएपी से आए बालकृष्ण चौहान को टिकट दिया गया। पूर्वांचल में अहम माने जाने वाली चंदौली सीट पर कांग्रेस ने कभी मायावती के खास रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या को उतारा है। जबकि बस्ती कांग्रेस ने एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी और उनकी सरकार में मंत्री रहे राजकिशोर सिंह को टिकट दिया है।
राजकिशोर एसपी-बीएसपी को जाने वाले सवर्ण वोटों जरूर नुकसान पहुंचाएंगे। कुछ इसी तरह से कांग्रेस ने संतकबीर नगर में एसपी के पूर्व सांसद को टिकट दिया है। एसपी के पूर्व सांसद भालचंद्र यादव को पार्टी उम्मीद बनाया है। कभी आजमगढ़ में मुलायम सिंह को कड़ी टक्कर देने वाले रमाकांत यादव को कांग्रेस ने भदोही से टिकट दिया है। यहां पर यादव गठबंधन के कोर वोटरों को नुकसान जरूर पहुंचाएंगे। बहराइच में कांग्रेस ने साध्वी सावित्री बाई फुले को टिकट दिया है जो कभी बीजेपी की सांसद हुआ करती थी।
जबकि सीतापुर में कांग्रेस ने पूर्व सांसद कैसर जहां को उम्मीदवार बनाया है। कैसर बसपा से सांसद रह चुकी हैं। कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ जिले की दूसरी सीट मोहनलालगंज पर भी है यहां कांग्रेस ने आरके चौधरी को टिकट दिया है जो पहले बीएसपी में थे। बांदा सीट पर कांग्रेस ने यहां सपा से ही आए पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल को उम्मीदवार बनाया है। वहीं इससे सीट सीट फतेहपुर में पार्टी ने सपा के पूर्व सांसद राकेश सचान को उम्मीदवार बनाया है।