पूर्व मंत्री अब तक फरार, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई बिहार पुलिस को फटकार

By Team MyNationFirst Published Nov 12, 2018, 3:49 PM IST
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बिहार के बहुचर्चित शेल्टर होम रेप मामले में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा अब तक फरार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार पुलिस को जमकर फटकार लगाई है और राज्य के डीजीपी को तलब किया है। 

बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में बच्चियों के साथ रेप का प्रमुख आरोपी ब्रजेश ठाकुर पुलिस की गिरफ्त में है। लेकिन उसकी नजदीकी मानी जाने वाली पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा अब तक फरार हैं। 

इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्ती दिखाई। मंजू वर्मा के घर से हथियार बरामद हुए थे। 

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की कि 'हम हैरान हैं कि पुलिस एक पूर्व कैबिनेट मंत्री का महीने भर में सुराग तक नहीं लगा पाई। पुलिस बताए कि आखिर इतनी महत्वपूर्ण शख्स को अबतक ट्रेस क्यों नहीं कर पाई। डीजीपी कोर्ट में पेश हों।'

Supreme Court slams police for its failure to arrest former state minister Manju Verma, in a case related to the recovery of ammunition from her home during a CBI raid in connection with the Muzaffarpur shelter home case.

— ANI (@ANI)

जस्टिस मनन लोकुर ने बिहार पुलिस से कहा, 'बहुत बढ़िया! कैबिनेट मंत्री (मंजू वर्मा) फरार है... बहुत बढ़िया... यह कैसे हो सकता है कि कैबिनेट मंत्री फरार हो और किसी को पता ही न हो कि वह कहां हैं। आपको इस मुद्दे की गंभीरता पता है कि कैबिनेट मंत्री फरार हैं। हद है, यह बहुत ज्यादा है।' 

इस मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होनी है। इस तारीख पर बिहार के डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट में हाजिरी देनी होगी। 

मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम कांड मामले में सीबीआई ने 17 अगस्त को मंजू वर्मा के बेगूसराय वाले घर पर छापा मारा था। जिसमें उनके घर से अवैध हथियार के साथ 50 कारतूस बरामद किए थे। जिसके बाद मंजू वर्मा और उनके पति चन्द्रशेखर वर्मा के खिलाफ चेरिया बरियारपुर थाने में केस दर्ज किया गया। तब से ही मंजू वर्मा फरार हैं।  

31 अक्टूबर को एक निचली अदालत ने मंजू वर्मा के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट भी जारी किया था। जिसके बाद मंजू वर्मा के पति चन्द्रशेखर वर्मा ने इस 29 अक्टूबर को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था, लेकिन पूर्व मंत्री अब भी फरार हैं।

मुजफ्फपुर शेल्टर होम में कई लड़कियों से बलात्कार का आरोप लगा था। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला खुला था। 

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