इस दौर की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की छाप स्पष्ट दिखाई देती है। पार्टी का कोई भी फैसला इन दोनों दिग्गजों की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता है। बीजेपी के नए कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा के चयन के पीछे भी यही दोनों हैं। आईए आपको बताते हैं कि नड्डा को क्यों चुना गया पार्टी अध्यक्ष पद के लिए-
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी को करिश्माई सफलता दिलाने वाले अमित शाह अब देश के दूसरे सबसे ताकतवर गृहमंत्री के पद पर आसीन हो चुके हैं। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी उठाना उनके लिए शायद मुश्किल हो रहा था। इसलिए कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर जे.पी.नड्डा का चुनाव किया गया।
दरअसल जब से अमित शाह गृहमंत्री बने हैं तब से अध्यक्ष पद के लिए नड्डा का नाम चर्चा में है। इसकी कुछ प्रमुख वजहें इस प्रकार हैं-
1. उम्र का कम होना
जे.पी. नड्डा की उम्र मात्र 58 साल है। भारतीय राजनीति के हिसाब से वह बेहद युवा हैं। उनके पास काम करने की उर्जा और समय काफी ज्यादा है।
2. संतुलन साधने में माहिर
जे.पी. नड्डा संतुलन साधने में माहिर हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी समर्थन हासिल है। संघ उनकी गिनती अपने अनुशासित कार्यकर्ता के तौर पर करता है। आरएसएस का कर्ता धर्ताओं को भरोसा है कि वह आरएसएस की विचारधारा से कभी भी अलग नहीं हो सकते हैं।
3. बेहद सामान्य और अविवादित जीवन शैली
केन्द्रीय मंत्री रहते हुए भी जे.पी.नड्डा बहुत सामान्य जीवन जीते हैं। वह कभी विवादों में नहीं रहते और कार्यकर्ताओं के लिए भी उपलब्ध रहते हैं। उनकी जीवन शैली काफी हद तक पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलती जुलती है।
4. दिया गया काम पूरी ईमानदारी से करने की आदत
जे.पी.नड्डा को जो भी काम दिया जाता है वह उसे पूरी ईमानदारी से करते हैं। साल 2014 के चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में बैठकर पार्टी के पूरे चुनावी अभियान की जिम्मा संभाला था। साल 2019 में उनके पास उत्तर प्रदेश का प्रभार था। जहां बीजेपी ने कमाल कर दिया। सपा बसपा के महागठबंधन के बावजूद वहां पार्टी 62 सीटें जीतने में सफल रही।
5. कुशल रणनीतिकार की छवि
जे.पी.नड्डा को अमित शाह की ही तरह कुशल रणनीतिकार माना जाता है। वह जमीनी स्तर पर काम करके परिणाम निकाल लेते हैं। इस बार उत्तर प्रदेश में पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर थी। लेकिन जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी ने यूपी में 49.6 फीसदी वोट हासिल करके सबको चौंका दिया। इस चुनाव में बीजेपी का बड़े से बड़ा समर्थक भी उसे 45-50 से ज्यादा सीटें पाता हुआ नहीं दिखा रहा था। क्योंकि सामने सपा-बसपा के महागठबंधन का खतरा था जो कि जातीय आंकड़ों के हिसाब से बेहद मजबूत था। लेकिन जे.पी.नड्डा ने अपनी जमीनी रणनीति के कारण लगभग 50 फीसदी वोटों के साथ 62 सीटें हासिल करके सबको अचरज में डाल दिया।
6. मंत्री के तौर पर भी रहे बेहद सफल
जे.पी.नड्डा को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के तौर पर चुना गया। पीएम मोदी की महत्वकांक्षी आयुष्मान भारत योजना की जिम्मेदारी उनके ही मंत्रालय की थी। गरीबों को स्वास्थ्य बीमा देने वाली इस योजना को नड्डा ने इतनी सफलतापूर्वक चलाया कि यह मोदी सरकार की सबसे सफल योजनाओं में एक के रुप में गिनी गई। मोदी सरकार को दोबारा सत्ता दिलाने में आयुष्मान भारत योजना की सफलता का बड़ा योगदान है।
जे.पी.नड्डा की इन्हीं खूबियों का ध्यान रखते हुए 17 जून को बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक में जे.पी.नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर मनोनीत करने का फैसला किया गया।
उनके नाम की चर्चा काफी पहले से गरम थी। जब से उनका नाम मोदी सरकार के नव नियुक्त मंत्रियों की लिस्ट में नहीं पाया गया तब से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि वह पार्टी का काम संभाल सकते हैं।
बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद नड्डा के चयन की घोषणा खुद रक्षा मंत्री और पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने की। उन्होंने कहा कि 'बीजेपी ने अमित शाह के नेतृत्व में कई चुनाव जीते। प्रधानमंत्री ने अब उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है तो उन्होंने खुद कहा कि पार्टी की कमान किसी को और संभालना चाहिए। बीजेपी संसदीय बोर्ड ने नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना है।'