दिल्ली पहुंचे पायलट और सोनिया से मांगा मिलने का समय, कभी सिंधिया ने भी दस जनपथ से मांगा था समय

By Team MyNationFirst Published Jul 12, 2020, 2:37 PM IST
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बताया जा रहा है कि पायलट के खेमे के करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक दिल्ली एनसीआर में कई होटलों में टिके हुए हैं और अपने नेता की हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।  वहीं पायलट खेमे के सदस्य माने जाने वाले विधायक पी. आर. मीणा ने सोनिया गांधी से भी मिलने के लिए समय मांगा है।

नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य की अशोक गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली पहुंच गए हैं और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है। बताया जा रहा है कि पायलट समर्थक विधायक हरियाणा के मानेसर में रूके हुए हैं। वहीं अभी तक सोनिया और सचिन पायलट की मुलाकात नहीं हो सकी है। बताया जा रहा कि परिस्थितियां कुछ ऐसी ही हैं जैसे पांच महीने पहले थी जब तत्कालीन कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से समय मांगा था लेकिन सोनिया ने सिंधिया को समय नहीं दिया। इसके बाद सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी थी।

बताया जा रहा है कि पायलट के खेमे के करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक दिल्ली एनसीआर में कई होटलों में टिके हुए हैं और अपने नेता की हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।  वहीं पायलट खेमे के सदस्य माने जाने वाले विधायक पी. आर. मीणा ने सोनिया गांधी से भी मिलने के लिए समय मांगा है। मीणा का आरोप है कि अशोक गहलोत सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। वहीं  ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान को मध्य प्रदेश नहीं बनाना चाहता है और वह विधायकों की बात को सुनने को तैयार हो रहा है। क्योंक राज्य में कांग्रेस के कई विधायकों में अशोक गहलोत के खिलाफ नाराजगी है और ये राज्यसभा चुनाव में देखा गया था। जब विधायकों ने राज्य सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी।

इसी बीच जानकारी सामने आ रही है कि शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने आधिकारिक आवास पर अपने मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाई थी। जिसमें उन्हें समर्थन देने को कहा गया था। लेकिन इस बैठक में पायलट खेमे के मंत्री और विधायक शामिल नहीं हुए। वहीं राज्य में अशोक गहलोत भी विधायकों को मनाने में जुट गए हैं। कहा जा रहा है कि राज्य में अगले हफ्ते कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। क्योंकि राज्य में अभी महज 23 मंत्री हैं जबकि राज्य में विधायकों की संख्या के तहत 30 मंत्री हो सकते हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि पायलट खेमे में दरार डालने के लिए गहलोत उनके करीबी नेताओं को मंत्री बना सकते हैं।

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