दिल्ली में कौन संभालेगा शीला की विरासत, दीक्षित परिवार पर दांव खेल सकती है कांग्रेस

By Team MyNation  |  First Published Sep 5, 2019, 12:21 PM IST

असल में कांग्रेस में पहले इस बात की चर्चा थी कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पर पंजाब के नेता नवजोत सिंह सिद्धू या फिर बिहार के नेता और फिल्म स्टार शत्रुध्न सिन्हा को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है। लेकिन पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने साफ कर दिया था कि दिल्ली में किसी बाहरी को इसकी कमान नहीं सौंपी जाएगी। 

नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष का पद अभी खाली जा चल रहा है। प्रदेश अध्यक्ष और दिग्गज नेता शीला दीक्षित ने निधन के बाद अभी तक इस पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया है। लेकिन पार्टी पर इस पर किसी नेता को नियुक्त करने के लिए दबाव बना हुआ है। माना जा रहा है कि शीला दीक्षित को इमेज को ध्यान में रखते हुए यहां पर दीक्षित परिवार पर भी कांग्रेस पार्टी दांव खेल सकती है।

असल में कांग्रेस में पहले इस बात की चर्चा थी कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पर पंजाब के नेता नवजोत सिंह सिद्धू या फिर बिहार के नेता और फिल्म स्टार शत्रुध्न सिन्हा को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है। लेकिन पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने साफ कर दिया था कि दिल्ली में किसी बाहरी को इसकी कमान नहीं सौंपी जाएगी।

जाहिर है ऐसे में इन दोनों नेताओं की दावेदारी खत्म हो गई है। माना जा रहा है कि पार्टी शीला दीक्षित की दिल्ली में पकड़ को देखते हुए दीक्षित परिवार से इस पर नियुक्त कर सकती है। हालांकि दीक्षित परिवार में शीला दीक्षित के बेटे हैं जो सक्रिय राजनीति में हैं। लेकिन उनकी इतनी पकड़ नहीं है। जिस पर उनके विरोध इस मामले को तूल दे सकते हैं।

बुधवार को कांग्रेस ने हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कुमारी शैलजा को नियुक्त कर दिया है। जिसके बाद ये उम्मीद की जा रही है कि अब पार्टी दिल्ली में भी जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष को नियुक्त करेगी। पिछले कुछ दिनों दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कई नेता सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। इसके जरिए वह अपनी अपनी दावेदारी कर रहे हैं।

दो दिन पहले दो पूर्व मंत्री डॉक्टर ए के वालिया और अरविंदर सिंह लवली ने मुलाकात की थी। वहीं बुधवार को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा भी सोनिया से मिले। हालांकि कांग्रेस ने पहले से ही दिल्ली में संतुलन बनाने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्षों को नियुक्त किया था। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद इनमें भी बदलाव किए जा सकते हैं।
 

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